लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



महत्त्वपूर्ण संस्थान/संगठन

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन

  • 30 May 2023
  • 20 min read

पूर्वी एशिया-शिखर सम्मेलन 

  • वर्ष 2005 में स्थापित पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS), हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियों पर रणनीतिक संवाद एवं  सहयोग हेतु 18 क्षेत्रीय नेताओं (देशों) का एक मंच है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • सर्वप्रथम वर्ष 1991 में पूर्वी एशिया समूह की अवधारणा को तत्कालीन मलेशियाई प्रधानमंत्री, महाथिर बिन मोहम्मद द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
  • प्रथम शिखर सम्मेलन 14 दिसंबर, 2005 को कुआलालंपुर, मलेशिया में आयोजित किया गया था।

कुआलालंपुर घोषणा: पूर्व एशिया में शांति, आर्थिक समृद्धि के साथ क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने के लिये सामरिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर बातचीत के लिये पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन एक "खुला मंच" है।

     भारत पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के संस्थापक सदस्यों में शामिल है।

पूर्वी एशिया-शिखर सम्मेलन की सदस्यता 

  • पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन (ASEAN) के 10 सदस्य देश शामिल  हैं - ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम के साथ ही 8 सदस्य देश ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, भारत, न्यूज़ीलैंड, कोरिया गणराज्य, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका है।
  • पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के सदस्य विश्व की लगभग 54% आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में इनकी 58% भागीदारी है।
  • पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन एक आसियान-केंद्रित मंच है; इसकी अध्यक्षता केवल एक आसियान सदस्य द्वारा की जा सकती है।

पूर्वी एशिया-शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता

  • ASEAN का अध्यक्ष EAS का भी अध्यक्ष होता है तथा प्रतिवर्ष 10 ASEAN सदस्य देशों के मध्य बारी-बारी से इसकी अध्यक्ष की जाती है।
  • जनवरी से दिसंबर 2022 की अवधि में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन का अध्यक्ष कंबोडिया है, जो वर्तमान में ASEAN अध्यक्ष भी है।
  • सहयोग के प्रमुख क्षेत्र
    • पर्यावरण और ऊर्जा
    • शिक्षा
    • वित्त
    • वैश्विक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे और महामारी 
    • प्राकृतिक आपदा प्रबंधन
    • आसियान देशों के मध्य संपर्क
    • आर्थिक व्यापार और सहयोग
    • खाद्य सुरक्षा
    • समुद्री सहयोग

 भारत सभी छ: प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में क्षेत्रीय सहयोग का समर्थन करता है।

पूर्वी एशिया-शिखर सम्मेलन की संभावनाएँ  

  • वर्ष 2021 में EAS सदस्यों ने विश्व की 53.1% आबादी का प्रतिनिधित्व किया तथा  अनुमानित 57.2 ट्रिलियन डॉलर मूल्य के वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 59.5% हिस्सा प्राप्त किया।
  • EAS मज़बूत और तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं का एक क्षेत्र है। इसे अमेरिका और यूरोप के बाद विश्व अर्थव्यवस्था का तीसरा ध्रुव माना जाता है। इसके 4 प्रमुख आर्थिक भागीदार देश जापान, चीन, भारत और कोरिया 12 उच्च रैंकिंग वाली वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं।
  • ASEAN+6 या EAS देशों के मध्य वित्तीय तथा मौद्रिक सहयोग इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए उपयोगी सहयोग का क्षेत्र हो सकता है कि उनका संयुक्त विदेशी मुद्रा भंडार 3 ट्रिलियन डॉलर से अधिक रहा है,परिणामस्वरुप एक एशियाई वित्तीय संरचना के निर्माण की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं जो एशिया में विकास अंतराल को कम करने के लिये इन भंडारों को आंशिक रूप से एकत्र करने की सुविधा प्रदान करेगा।

पूर्वी एशिया-शिखर सम्मेलन के समक्ष चुनौतियाँ 

  • चीन-जापान के मध्य उत्पन्न मतभेद EAS के समक्ष एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत कर सकते हैं इसके साथ ही चीन-भारत के बीच संभावित प्रतिद्वंद्विता भी है क्योंकि चीन-भारत को न केवल निवेश और बाज़ारों के लिये बल्कि राजनीतिक और सुरक्षा कारणों से भी प्रतिस्पर्द्धी के रूप में देखता है।
  • EAS में तनाव का दूसरा क्षेत्र संस्थागतकरण और संस्था निर्माण के प्रश्न से संबंधित है। शिखर सम्मेलन में अपनाई गई स्थिति स्पष्ट रूप से EAS को ASEAN द्वारा संचालित संगठन बनाती है।
  • EAS तनाव का तीसरा क्षेत्र एजेंडे को सुव्यवस्थित करने से संबधित है। EAS ने एक बहुत व्यापक एजेंडा अपनाया है यद्यपि एजेंडे के सभी भागों पर प्रभावी ढंग से कार्रवाई करना संभव नहीं हो सका है। एक सामान्य समझ है कि सांस्कृतिक, राजनीतिक और सुरक्षा एजेंडे की तुलना में आर्थिक एजेंडे को अधिक सख्ती से आगे बढ़ाया जाएगा। आर्थिक एजेंडे के अंतर्गत भी इस बात के संकेत हैं कि संपूर्ण एशिया में मुक्त व्यापार क्षेत्र के निर्माण की दिशा में व्यापार से संबंधित मुद्दों को प्राथमिकता के आधार पर रखा जाएगा।
  • EAS में तनाव का चौथा क्षेत्र इस क्षेत्र में कार्यरत अन्य क्षेत्रीय संगठनों, जैसे ASEAN, APEC और विभिन्न अन्य उप-क्षेत्रीय समूहों के साथ इसका संबंध है। ASEAN और EAS के बीच की सीमा अस्पष्ट और भ्रमित करने वाली भी है। यदि EAS  का उद्देश्य ASEAN समुदाय के निर्माण को प्रोत्साहित करना है तो ASEAN का अर्थ क्या है और ASEAN या EAS  एक-दूसरे की तुलना में कितनी स्वतंत्र पहचान को बनाए रख सकते हैं।

अधिक सैन्य रूप से सक्षम क्षेत्रीय शक्तियों के मध्य लघुपार्श्विक संरेखण की बढ़ती संख्या और उनके सैन्य बजट में  भारी अंतर क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और समृद्धि के उद्देश्यों को कमज़ोर करता है।

APEC की तुलना में EAS का क्या महत्त्व 

  • EAS के समान, APEC के वक्तव्य और घोषणाएँ बाध्यकारी नहीं हैं। भले ही इसके सदस्यों को कार्य-प्रक्रिया कितनी ही सक्रिय क्यों ना हो, परंतु यह किसी भी परिणाम के वास्तविक महत्त्व को कम करता है।
  • EAS अधिक महत्त्वपूर्ण हो सकता है क्योंकि यह प्रमुख रूप से एशिया विशिष्ट है (अमेरिका और रूस को छोड़कर) जबकि APEC में मेक्सिको, चिली, अर्जेंटीना और यूरोपीय संघ जैसे देश शामिल हैं इसलिये APEC के लिये उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना असंभव नहीं परंतु कठिन है जो पूर्वी एशिया के लिये विशिष्ट हैं।
  • APEC के एशिया-प्रशांत संस्थान बने रहने की अधिक संभावना है, जो एशिया और संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और रूस के साथ संपूर्ण  प्रशांत महासागर में आर्थिक और राजनीतिक सहयोग पर बल देता है। इसे "अंतर-एशियाई" प्रक्रिया के अलावा "ट्रांस-पैसिफिक" के रूप में जाना जाता है।

भारत के लिये EAS का क्या महत्त्व है?

  • भारत के लिये यह APEC के एक विकल्प के रूप में कार्य करता है जिसका भारत सदस्य नहीं है।
  •  EAS के लिये भारत की सदस्यता इसके तेज़ी से बढ़ते आर्थिक एवं राजनीतिक समर्थ को मान्यता प्रदान करता है।
  • भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी: ASEAN और अन्य बहुपक्षीय देशों के साथ बहुआयामी संबंध बनाने और द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के लिये भारत ने अपनी एक्ट ईस्ट पॉलिसी (Act East Policies) पर बल दिया है जिसके लिये  EAS महत्त्वपूर्ण साबित होगा।
  • वर्ष 2008 के आर्थिक संकट के समय  EAS एक समूह के रूप में विकसित देशों में हुई औसत वृद्धि की तुलना में अधिक तीव्र दर से बढ़ा इसलिये EAS सदस्यों के साथ गहन एकीकरण ने विकास के इंजन के रूप में भारत के बाहरी क्षेत्र को बनाए रखने में सहायता प्रदान की।
  • दक्षिण चीन सागर में चीन की हठधर्मिता और उसके बढ़ते निवेश की प्रकृति ने ASEAN देशों में भारत को एक ऐसी संभावित शक्ति के रूप में देखने के लिये प्रेरित किया है जो चीन को संतुलित कर सकता है
  • भारत की शक्ति, सेवा क्षेत्र और सूचना-प्रौद्योगिकी में निहित है तथा जापान के पास एक मज़बूत पूँजी आधार है। इस प्रकार  EAS सदस्यों के व्यापार और उत्पादन संरचना एक-दूसरे के पूरक हैं।
  • भारत, EAS क्षेत्र के मौद्रिक एकीकरण और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के लिये भी उत्सुक है। भारत को आने वाले 4-5 वर्षों में  ढाँचागत क्षेत्र में 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के निवेश की आवश्यकता होगी। पूर्वी एशियाई देश पहले से ही भारत के ढाँचागत क्षेत्र में समिल्लित हैं और वे उपलब्ध अवसरों का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।
  • व्यापार: दक्षिण चीन सागर एक व्यस्त जलमार्ग है जिसके माध्यम से भारत का आधा व्यापार संभव होता है इसलिये अंतर्राष्ट्रीय जल में आवागमन की स्वतंत्रता के लिये यह क्षेत्र महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
  • संपर्क परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिये जैसे भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और सभी EAS  सदस्य देशों के साथ नए व्यापार और परिवहन संबंधों का निर्माण इस शिखर सम्मेलन के महत्त्व को दर्शाता है।
  • भारतीय निजी क्षेत्र के रक्षा उत्पादन और आपूर्ति में सम्मिलित होने की संभावनाएँ हैं जो इस क्षेत्र में भारत की रक्षा कूटनीति में और अधिक सुधार करेगा। भारत ने लगभग सभी EAS सदस्यों के साथ नौसैनिक अभ्यास भी किया है साथ ही ASEAN, ARF तथा उप-क्षेत्रीय 40 समूहों के BIMSTEC ढाँचे केअंतर्गत आतंकवाद विरोधी प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है।

BIMSTEC देशों के साथ भारत के प्रगाढ़ सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंध व्यापक रूप से जाने जाते हैं। भारत इस क्षेत्र के साथ सांस्कृतिक तथा लोगों से लोगों के मध्य सहयोग में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है, जो सामुदायिक निर्माण के लिये आर्थिक गति को मज़बूती प्रदान कर सकता है।

नवीनतम पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन

  • 13वाँ पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन
    • 13वाँ पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन 15 नवंबर 2018, सिंगापुर में आयोजित किया गया था। बैठक की अध्यक्षता सिंगापुर गणराज्य के प्रधान मंत्री - एच.ई. ली-सीन लूंग ने की।
    • शिखर सम्मेलन में EAS सदस्य देशों/ शासनाध्यक्षों के साथ-साथ ASEAN के महासचिव ने भी भाग लिया।
  • विशेषताएँ
    • शिखर सम्मेलन के सदस्यों ने सहयोग के एक नए क्षेत्र के रूप में समुद्री सहयोग को सम्मिलित करने के साथ  EAS की विकास पहल (वर्ष 2018-2022) पर नोम-पेन्ह घोषणा को आगे बढ़ाने के लिये मनीला कार्य योजना को अपनाने का स्वागत किया गया।
    •  EAS देशों में ऊर्जा सुरक्षा में सुधार के साथ प्राकृतिक गैस में वृद्धि के लिये एक पहल की गई थी जो कम उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्थाओं के रूप में इसके परिवर्तन की भूमिका को स्वीकार करती है।
    • इसमें स्वीकृत किया गया कि समुद्री कचरे का प्रदूषण एक वैश्विक चिंता है इसलिये समुद्री प्लास्टिक कचरे को समाप्त करने के लिये  EAS नेताओं ने एक साझे वक्तव्य को अपनाया।
    • शिखर सम्मेलन ने शिक्षा पर ASEAN की कार्य योजना के साथ EAS सहयोग को संरेखित कर 'शिक्षा' के क्षेत्र में मिलकर कार्य करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
    • शिखर सम्मेलन में समुदाय के एकीकरण को प्राप्त करने के लिये ASEAN कनेक्टिविटी (MPAC), वर्ष 2025 तक एक मास्टर प्लान के कार्यान्वयन किये जाने का उल्लेख किया गया है।
    • शिखर सम्मेलन में क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है।
    • दक्षिण चीन सागर - दक्षिण चीन सागर में आचार संहिता को लागू करने तथा शांति, सुरक्षा, स्थिरता, सुरक्षा और नौवहन की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिये प्रतिबद्ध है।
    • कोरियाई प्रायद्वीप - शिखर सम्मेलन में उत्तर कोरिया से परमाणु निरस्त्रीकरण को लागू करने तथा भविष्य में  परमाणु और मिसाइल परीक्षणों से बचने की अपनी प्रतिज्ञा पर भी आग्रह किया गया।
    • आतंकवादरोधी - सम्मेलन में हाल के महीनों में हुए आतंकवादी हमलों की निंदा की जिससे अत्यधिक जनहानि हुई थी। आतंकवाद से मुकाबला करने पर EAS नेताओं के वक्तव्य की प्रतिबद्धता को अपनाया।
    • क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण - शिखर सम्मेलन ने वर्ष 2018 में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) वार्ताओं में हुई प्रगति का स्वागत किया तथा इसकी आर्थिक समावेशिता पर बल दिया।
  • 14वाँ पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन
    • 14वाँ पूर्वी एशिया शिखर सम्मेल नवंबर 2019 में बैंकॉक, थाईलैंड में आयोजित किया गया था।
  • 15वाँ पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन
    • यह नवंबर 2020 में आयोजित किया गया था।
    • शिखर सम्मेलन को COVID-19 महामारी के कारण ऑनलाइन प्रारूप में आयोजित किया गया था तथा यह शिखर सम्मेलन वियतनाम द्वारा आयोजित किया गया जो इस सम्मेलन का मेज़बान देश भी था।
    • शिखर सम्मेलन का उद्देश्य ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा संक्रमण के लक्ष्य को प्राप्त करने में आसियान देशों के प्रयासों का समन्वय करना था जिससे इसके क्षेत्रीय लोगों को लाभ प्राप्त होगा।
  • 16वाँ पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन

आगे की राह 

  • हालाँकि भारत TPP वार्ताओं में सम्मिलित नहीं है परंतु यह RCEP वार्ता प्रक्रिया में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है इसके साथ ही EAS के लिये बहुत कुछ समाहित करते हुए लाभ प्राप्त करता है यह विशेष रूप से समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद, परमाणु-अप्रसार, अनियमित प्रवासन जैसे क्षेत्रों में प्रतिबद्ध है, इसलिये इसकी बढ़ती साझेदारी भारत और EAS दोनों के लिये एक विजय-समीकरण का प्रतिनिधित्व करती है।
  • पूर्वी एशिया विश्व का तीव्र गतिशील आर्थिक क्षेत्र होने के साथ-साथ सबसे चुनौतीपूर्ण सुरक्षा परिवेशों में से एक है। सांस्कृतिक संपर्क के माध्यम से क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखना भी महत्त्वपूर्ण है। अन्य पहलों में अंतर-क्षेत्रीय व्यापार और उत्पादन नेटवर्किंग को सुविधाजनक बनाने के लिये लेखा इकाई के रूप में एक एशियाई मुद्रा इकाई का निर्माण सम्मिलित हो सकता है।
  • जबकि सम्पूर्ण एशियाई क्षेत्र समान क्षेत्रीय मुद्दों का सामना कर रहा है, EAS मंच के माध्यम से इन मुद्दों पर संज्ञानात्मकर चर्चा करने और समान लाभ के संतुलित समाधान निकालने की व्यापक क्षमता है।
  • EAS में भारत की भागीदारी ASEAN  सदस्य देशों और व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ संबद्धता को मज़बूत करने की अपनी प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जिसे RCEP, भारत की एक्ट ईस्ट नीति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करने के लिये समर्थ विद्यमान हैं।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2