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उत्तर प्रदेश चमड़ा और फुटवियर नीति-2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने चमड़ा और फुटवियर नीति-2025 का मसौदा तैयार कर लिया है, जिसे जल्द ही मंजूरी मिलने की संभावना है।
मुख्य बिंदु
- नीति के बारे में:
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उद्देश्य
- उत्पादन क्षमता में वृद्धि करना।
- निर्यात को प्रोत्साहित करना और वैश्विक ब्रांड की उपस्थिति को बढ़ाना।
- राजस्व में वृद्धि कर राज्य को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना।
उत्तर प्रदेश को "उद्यम प्रदेश" बनाने के दृष्टिकोण को साकार करना।
- रणनीतिक पहल
- कानपुर को इस क्षेत्रीय विकास रणनीति में केंद्रीय भूमिका दी जाएगी।
- इससे आगरा, कानपुर, उन्नाव, लखनऊ और बरेली जैसे शहरों में क्षेत्रीय विकास को बल मिलेगा।
- निजी औद्योगिक पार्कों को बढ़ावा
- निजी निवेशकों को पूंजीगत सब्सिडी और 100 प्रतिशत स्टांप शुल्क छूट जैसे प्रोत्साहन।
- सभी पार्कों को 5 वर्षों में विकसित करना अनिवार्य।
- कम-से-कम 25 प्रतिशत भूमि को हरित एवं खुले क्षेत्र के लिये आरक्षित करना होगा।
- प्रत्येक इकाई (संयंत्र, क्लस्टर या पार्क) को ₹150-200 करोड़ का न्यूनतम निवेश करना होगा।
- एक इकाई से 1,000 से 3,000 रोज़गार के अवसर उत्पन्न होने की संभावना है।
- उत्तर प्रदेश की वर्तमान स्थिति
- भारत से निर्यात होने वाले कुल चमड़े में 46 प्रतिशत हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की है।
- आगरा को फुटवियर राजधानी और कानपुर को सुरक्षा जूतों और चमड़े के सामान का वैश्विक केंद्र माना जाता है।
- महत्त्व:
- यह नीति उत्तर प्रदेश को “मेक इन इंडिया” और “लोकल टू ग्लोबल” पहल के अनुरूप एक औद्योगिक हब के रूप में उभरने में मदद करेगी।
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मेक इन इंडिया
परिचय:
- वर्ष 2014 में लॉन्च किये गए मेक इन इंडिया का मुख्य उद्देश्य देश को एक अग्रणी वैश्विक विनिर्माण और निवेश गंतव्य में बदलना है।
- इस अभियान को निवेश को सुविधाजनक बनाने, नवाचार एवं कौशल विकास को बढ़ावा देने, बौद्धिक संपदा की रक्षा करने तथा सर्वश्रेष्ठ विनिर्माण बुनियादी ढाँचे का निर्माण करने के लिये शुरू किया गया था।
- लक्ष्य:
- विनिर्माण क्षेत्र की संवृद्धि दर को बढ़ाकर 12-14% प्रतिवर्ष करना।
- वर्ष 2022 तक (संशोधित तिथि 2025) विनिर्माण से संबंधित 100 मिलियन अतिरिक्त रोज़गार सृजित करना।
- वर्ष 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान बढ़ाकर 25% करना।
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भारत-नेपाल सीमा पर अतिक्रमण
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 से 27 अप्रैल, 2025 के बीच भारत-नेपाल सीमा से लगे जिलों में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ व्यापक अभियान शुरू किया।
मुख्य बिंदु
- अभियान के बारे में:
- इस अभियान का उद्देश्य भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में अवैध निर्माणों को हटाना और सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करना है।
- इस अभियान के तहत सीमा से 0 से 15 किलोमीटर के दायरे में मौजूद अवैध ढाँचों को चिन्हित कर हटाया गया।
- सरकार ने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों, मस्जिदों और अन्य धार्मिक संरचनाओं के खिलाफ कार्रवाई की।
- प्रभावित जिले
- यह अभियान नेपाल सीमा से लगे लखीमपुर खीरी, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, बहराइच, बलरामपुर और पीलीभीत जिलों में सक्रिय रूप से संचालित हुआ।
- यह अभियान नेपाल सीमा से लगे लखीमपुर खीरी, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, बहराइच, बलरामपुर और पीलीभीत जिलों में सक्रिय रूप से संचालित हुआ।
अतिक्रमण
- अतिक्रमण का आशय किसी और की संपत्ति का अनधिकृत उपयोग अथवा कब्ज़ा करने से है। सामान्यतः परित्यक्त अथवा अप्रयुक्त संपत्तियों के रखरखाव में सक्रिय रूप से शामिल नहीं होने की स्थिति में संपत्ति स्वामी की संपत्ति पर अतिक्रमण कर लिया जाता है। संपत्ति के स्वामियों को ऐसे मामलों से संबंधित विधिक प्रक्रिया और अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना अत्यावश्यक है।
- शहरी अतिक्रमण का तात्पर्य शहरी क्षेत्रों में भूमि अथवा संपत्ति के अनधिकृत कब्ज़े अथवा उपयोग से है।
- इसमें उचित अनुमति अथवा कानूनी अधिकारों के बिना संपत्ति पर अवैध निर्माण, कब्ज़ा अथवा किसी अन्य प्रकार का कब्ज़ा शामिल हो सकता है।
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हरित नगर निगम बांड
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद नगर निगम ने स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के अंतर्गत देश के पहले प्रमाणित ग्रीन म्युनिसिपल बॉण्ड के जरिये स्थायी जल प्रबंधन में अग्रणी भूमिका निभाई है।
मुख्य बिंदु
- ग्रीन बॉण्ड के बारे में:
- ग्रीन बॉण्ड ऋण प्राप्ति का एक साधन है जिसके माध्यम से ग्रीन परियोजनाओं के लिये धन जुटाया जाता है, यह मुख्यतः नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ परिवहन, स्थायी जल प्रबंधन आदि से संबंधित होता है।
- बॉण्ड जो कि आय का एक निश्चित साधन होता है, एक निवेशक द्वारा उधारकर्त्ता (आमतौर पर कॉर्पोरेट या सरकारी) को दिये गए ऋण का प्रतिनिधित्व करता है।
- पारंपरिक बॉण्ड (ग्रीन बॉण्ड के अलावा अन्य बॉण्ड) द्वारा निवेशकों को एक निश्चित ब्याज दर (कूपन) का भुगतान किया जाता है।
- ग्रीन बॉण्ड जारीकर्त्ता की प्रतिष्ठा को बढ़ाते हैं, क्योंकि यह सतत् विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने में सहायक है।
- ग्रीन बॉण्ड ऋण प्राप्ति का एक साधन है जिसके माध्यम से ग्रीन परियोजनाओं के लिये धन जुटाया जाता है, यह मुख्यतः नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ परिवहन, स्थायी जल प्रबंधन आदि से संबंधित होता है।
- गाज़ियाबाद नगर निगम की भूमिका:
- गाज़ियाबाद नगर निगम द्वारा बॉण्ड के ज़रिये 150 करोड़ रुपए की राशि एकत्र की गई, जिसे अत्याधुनिक तृतीयक मल-जल शोधन संयंत्र (TSTP) के निर्माण में निवेश किया गया है। यह संयंत्र अपशिष्ट जल को उन्नत तकनीकों से उपचारित कर औद्योगिक उपयोग के लिये पुनः प्रयोग योग्य बनाता है।
- परियोजना सार्वजनिक-निजी हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (PPP-HAM) मॉडल पर आधारित है, जिसमें 40% निवेश गाज़ियाबाद नगर निगम द्वारा किया गया।
- इस ग्रीन बॉण्ड की सफलता ने निवेशकों का विश्वास बढाया है और शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) में वित्तीय अनुशासन का उदाहरण पेश किया है।
- गाजियाबाद को वाटर डाइजेस्ट वर्ल्ड वाटर अवार्ड्स 2024-25 में सर्वश्रेष्ठ म्यूनिसिपल ट्रीटेड वाटर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
स्वच्छ भारत मिशन-शहरी:
- परिचय:
- शहरी क्षेत्रों में साफ-सफाई, स्वच्छता और उचित अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिये एक राष्ट्रीय अभियान के रूप में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा 2 अक्तूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) शुरू किया गया था।
- इसका उद्देश्य पूरे भारत के शहरों और कस्बों को स्वच्छ एवं खुले में शौच से मुक्त बनाना है।
- स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 1.0:
- SBM-U का पहला चरण शौचालयों तक पहुँच प्रदान करके और व्यवहार में परिवर्तन को बढ़ावा देकर शहरी भारत को खुले में शौच मुक्त बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने पर केंद्रित था।
- SBM-U 1.0 अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल रहा और 100% शहरी भारत को ODF घोषित किया गया।
- स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 (2021-2026):
- वर्ष 2021-22 के बजट में घोषित SBM-U 2.0, इसी योजना के पहले चरण की निरंतरता है।
- इसके दूसरे चरण का लक्ष्य ODF के लक्ष्यों के साथ ही ODF+ और ODF++ के लक्ष्य की ओर अग्रसर होना है तथा शहरी भारत को कचरा-मुक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित करना है।
- इसमें स्थायी स्वच्छता प्रथाओं, अपशिष्ट प्रबंधन और एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया है।