उत्तराखंड Switch to English
कैलाश मानसरोवर यात्रा
चर्चा में क्यों?
भारतीय और चीनी अधिकारी कैलाश मानसरोवर वार्षिक तीर्थयात्रा को फिर से शुरू करने के लिये एक समझौते को अंतिम रूप देने के प्रयासों में तेज़ी ला रहे हैं, जो 2019 से निलंबित है।
मुख्य बिंदु
- घटनाक्रम के बारे में:
- कोविड-19 महामारी और सीमा तनाव के कारण वर्ष 2020 से निलंबित तीर्थयात्रा फिर से शुरू होने वाली है।
- दोनों राष्ट्र सीधी हवाई सेवाएँ पुनः शुरू करने पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गए हैं, जिसका उद्देश्य तीर्थयात्रियों के लिये यात्रा को सुविधाजनक बनाना तथा लोगों के बीच आपसी संपर्क को मज़बूत करना है।
- जल विज्ञान संबंधी आंकड़ों के आदान-प्रदान तथा सीमा पार नदियों पर सहयोग को पुनः आरंभ करने, आपसी विश्वास और सहयोग को बढ़ाने के लिये चर्चा चल रही है।
- वर्ष 2025 भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगाँठ होगी, जो यात्रा जैसी पहलों के माध्यम से संबंधों को फिर से बनाने का एक उपयुक्त अवसर प्रदान करेगा।
कैलाश पर्वत
- यह तिब्बत में स्थित काली चट्टान से बनी हीरे के आकार की चोटी है।
- भारत प्रतिवर्ष जून और सितंबर के बीच उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे (1981 से) और सिक्किम में नाथू ला दर्रे (2015 से) के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा (KMY) का आयोजन करता है।
- कैलाश पर्वत की ऊँचाई 6,638 मीटर है और इसे हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन (तिब्बत का स्वदेशी धर्म) धर्मावलंबियों द्वारा पवित्र शिखर माना जाता है।
- तिब्बती बौद्धों के लिये, कैलाश ब्रह्मांडीय धुरी या मेरु पर्वत है, जो स्वर्ग और पृथ्वी को जोड़ता है।
- हिंदू धर्म में, यह भगवान शिव और देवी पार्वती का निवास स्थान है।
- जैन धर्म में, कैलाश अष्टापद है, जहाँ ऋषभनाथ को ज्ञान प्राप्त हुआ था।
- कैलाश पर्वत को पृथ्वी का आध्यात्मिक केंद्र माना जाता है, जहाँ से सतलुज, ब्रह्मपुत्र, कमली और सिंधु नदियाँ निकलती हैं।
- मानसरोवर झील पर्वत की तलहटी में स्थित है।
- हालाँकि कैलाश पर्वत की ऊँचाई माउंट एवरेस्ट (8,849 मीटर) से कम है, फिर भी इस पर चढ़ाई नहीं की जा सकती, क्योंकि इसके पवित्र महत्त्व के कारण इस पर चढ़ाई प्रतिबंधित है।
मध्य प्रदेश Switch to English
मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मंडला ज़िले से लाड़ली बहना योजना की राशि का हस्तांतरण कर इसे हर महीने 15 तारीख के आसपास नियमित रूप से करने की घोषणा की।
मुख्य बिंदु
योजना के बारे में:
- उद्देश्य: लाड़ली बहना योजना का मुख्य उद्देश्य मध्यप्रदेश की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
- लाड़ली बहना योजना के तहत अब तक 1.27 करोड़ महिला लाभार्थियों के खातों में 1553 करोड़ रुपए ट्रांसफर किये जा चुके हैं।
- राज्य सरकार द्वारा राशि को 3000 रुपए प्रति माह करने से अब और अधिक महिलाएँ इसका लाभ उठा सकेंगी और अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकेंगी।
- शुरुआत: इस योजना को मई 2023 में राज्य सरकार द्वारा शुरू किया गया था और इसके तहत 21 से 60 वर्ष की विवाहित महिलाओं को शुरू में 1000 रुपए की सहायता दी जाती थी। जिसे बाद में बढाकर 1250 रुपए प्रति माह कर दिया गया।
- लाड़ली बहना योजना प्रदेश की सबसे बड़ी डीबीटी योजना में शामिल है।
- पात्रता और नियम:
- महिला के परिवार की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपए से कम हो।
- परिवार में कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी नहीं करता हो।
- इसके अतिरिक्त, परिवार के पास 5 एकड़ से ज्यादा भूमि या ट्रैक्टर, चारपहिया वाहन न हो।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजना:
- उद्देश्य: इस योजना को लाभार्थियों तक सूचना एवं धन के तीव्र प्रवाह एवं वितरण प्रणाली में धोखाधड़ी को कम करने के लिये सहायता के रूप में परिकल्पित किया गया है।
- कार्यान्वयन: इसे भारत सरकार द्वारा 1 जनवरी, 2013 को सरकारी वितरण प्रणाली में सुधार करने हेतु एक मिशन के रूप में शुरू किया गया था।
- महालेखाकार कार्यालय की सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (PFMS) के पुराने संस्करण यानी ‘सेंट्रल प्लान स्कीम मॉनीटरिंग सिस्टम’ को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के लिये एक प्लेटफॉर्म के रूप में चुना गया था।
- DBT के घटक: प्रत्यक्ष लाभ योजना के क्रियान्वयन के प्राथमिक घटकों में लाभार्थी खाता सत्यापन प्रणाली; RBI, NPCI, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा सहकारी बैंकों के साथ एकीकृत, स्थायी भुगतान एवं समाधान मंच शामिल है (जैसे बैंकों के कोर बैंकिंग समाधान, RBI की निपटान प्रणाली और NPCI की आधार पेमेंट प्रणाली आदि)।
- आधार अनिवार्य नहीं: DBT योजनाओं में आधार अनिवार्य नहीं है। चूंँकि आधार विशिष्ट पहचान प्रदान करता है और इच्छित लाभार्थियों को लक्षित करने में उपयोगी है, इसलिये आधार को प्राथमिकता दी जाती है और लाभार्थियों को आधार के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
एक केजीबीवी, एक खेल' योजना
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों (KGBV) में पढ़ने वाली बालिकाओं की खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिये 'एक केजीबीवी, एक खेल' योजना की शुरुआत की है।
मुख्य बिंदु
- योजना के बारे में:
- यह योजना बालिकाओं को खेल के क्षेत्र में विशेष प्रशिक्षण देने के साथ-साथ उन्हें शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास की दिशा में प्रोत्साहित करने का प्रयास है।
- सरकार का उद्देश्य पिछड़े और वंचित समुदायों की बालिकाओं को खेल में विशेषज्ञता प्राप्त कराना और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा के लिये तैयार करना है।
- 73 में से प्रत्येक ज़िले से दो KGBV विद्यालयों (कानपुर देहात को छोड़कर, जिसमें केवल एक है) को पायलट प्रोजेक्ट में शामिल किया जाएगा।
- खेल चयन प्रक्रिया: प्रत्येक विद्यालय में एक खेल समिति का गठन होगा, जो छात्राओं की रुचि और संसाधनों के आधार पर खेल का चयन करेगी।
- प्रशिक्षण: खेल विशेषज्ञों की सहायता से छात्राओं को विशेष खेल प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही, स्वास्थ्य परीक्षण, पोषण और स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किये जाएंगे।
- समाज और विभागीय सहयोग: पूर्व राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को बुलाकर छात्राओं को प्रेरित किया जाएगा और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली बालिकाओं को पुरस्कार भी दिये जाएंगे।
- खेल संघों और कॉर्पोरेट सहयोग: राज्य और राष्ट्रीय स्तर के खेल संघों के साथ-साथ कॉर्पोरेट समूहों से भी सहयोग लिया जाएगा, जिससे आवश्यक खेल सामग्री और अन्य सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा सकेंगी।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (KGBV) योजना
- KGBV योजना को भारत सरकार ने अगस्त 2004 में शुरू किया था। इस योजना का उद्देश्य दुर्गम और शैक्षिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों को उच्च प्राथमिक स्तर पर आवासीय विद्यालयों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है।
- KGBV योजना को शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों (EBB) में लागू किया जाता है, जहाँ ग्रामीण महिला साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से कम है और लिंग आधारित साक्षरता अंतर राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
- योजना के तहत कुल सीटों में से 75% सीटें SC, ST, OBC और अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों के लिये आरक्षित हैं, जबकि शेष 25% सीटें गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवन यापन करने वाली लड़कियों को दी जाती हैं।
- इस योजना के तहत 10 से 18 वर्ष की आयु वर्ग की लड़कियाँ, विशेषकर वे जो वंचित पृष्ठभूमि से हैं या कम महिला साक्षरता वाले क्षेत्रों में निवास करती हैं, नामांकन के लिये पात्र होती हैं।
- इसके अतिरिक्त, जिन लड़कियों ने प्राथमिक शिक्षा पूरी नहीं की है, या कठिन परिस्थितियों में जीवन व्यतीत कर रही हैं, उन्हें भी अपवादस्वरूप नामांकन दिया जा सकता है।
- KGBV योजना का दायरा उन क्षेत्रों तक है जहाँ –
- जनजातीय, SC, OBC और अल्पसंख्यक आबादी का संकेन्द्रण हो,
- कम महिला साक्षरता दर हो या स्कूल से बाहर लड़कियों की संख्या अधिक हो,
- छोटी और बिखरी बस्तियाँ हों, जो विद्यालय के योग्य न हों।
- वर्तमान में, KGBV योजना के अंतर्गत प्रत्येक EBB में कम-से-कम एक विद्यालय की स्थापना की जाती है, जो कक्षा VI से XII तक की लड़कियों को आवासीय सुविधा सहित शिक्षा प्रदान करता है।
मध्य प्रदेश Switch to English
पार्थ योजना
चर्चा में क्यों?
खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा पार्थ योजना (Parth - Police Army Recruitment Training & Skills) 1 मई, 2025 से मध्य प्रदेश के 9 प्रमुख शहरों में पायलट प्रोज़ेक्ट के रूप में लागू की जाएगी।
मुख्य बिंदु
- योजना के बारे में:
- इस योजना का प्रारंभिक शुभारंभ जनवरी 2025 में किया गया था।
- यह योजना पायलट प्रोज़ेक्ट के रूप में भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा, मुरैना, शहडोल, सागर, इंदौर और उज्जैन में लागू की जाएगी।
- प्रत्येक शहर से 50 युवाओं का चयन किया जाएगा, इस तरह कुल 450 युवा लाभान्वित होंगे।
- प्रशिक्षण
- यह योजना युवाओं को सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों में भर्ती हेतु संपूर्ण प्रशिक्षण उपलब्ध कराएगी। प्रशिक्षण में शामिल होंगे:
- शारीरिक फिटनेस अभ्यास
- लिखित परीक्षा की कोचिंग (सामान्य ज्ञान, गणित, अंग्रेज़ी आदि)
- व्यक्तित्व विकास
- यह योजना युवाओं को सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों में भर्ती हेतु संपूर्ण प्रशिक्षण उपलब्ध कराएगी। प्रशिक्षण में शामिल होंगे:
- संरचना
- संभाग स्तरीय प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किये जाएंगे, जिनका संचालन ज़िला खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी करेंगे।
- ग्रामीण युवा समन्वयक और विभागीय कर्मचारी प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहयोग देंगे।
- यह योजना पूरी तरह से आत्मनिर्भर है, इसके लिये सरकार ने अलग से बजट आवंटित नहीं किया है।
- प्रतिभागियों से ली जाने वाली निर्धारित फीस के माध्यम से योजना संचालित होगी।
- उद्देश्य:
- प्रदेश के युवाओं को पुलिस एवं सेना भर्ती के लिये शारीरिक रूप से तैयार करना।
- उन्हें खेल प्रशिक्षण के माध्यम से अनुशासन, आत्मविश्वास और नेतृत्व कौशल प्रदान करना।
- हुनर आधारित प्रशिक्षण देकर रोज़गार की संभावनाएँ बढ़ाना।
- प्रदेश में खेल संस्कृति को बढ़ावा देना और विद्यालय स्तर पर खेल गतिविधियों को संस्थागत रूप देना।
राजस्थान Switch to English
डाटा सेंटर पॉलिसी-2025
चर्चा में क्यों?
राजस्थान सरकार ने डाटा सेंटर्स की बढ़ती महत्ता को ध्यान में रखते हुए "राजस्थान डाटा सेंटर पॉलिसी-2025" लागू की है।
मुख्य बिंदु
- इस नीति का उद्देश्य: राजस्थान को डाटा सेंटर्स के लिये प्रमुख केंद्र बनाना, निवेश को आकर्षित करना और आईटी क्षेत्र में रोज़गार के अवसर उत्पन्न करना।
- निवेशकों को व्यापक रियायतें, पर्यावरण अनुकूल प्रोत्साहन और आधुनिक अवसंरचना उपलब्ध कराई जाएंगी।
- इस निति के तहत अगले पाँच वर्षों में 20,000 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित करने की योजना है।
- नीति के बारे में:
- प्रमुख प्रावधान
- डाटा सेंटर सेक्टर को बढ़ावा देने के लिये कई आकर्षक प्रावधान किये गए हैं, जिनमें 10 वर्षों तक 10 से 20 करोड़ रुपए वार्षिक एसेट क्रिएशन इंसेंटिव शामिल है।
- जो निजी कंपनियाँ राज्य में 100 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश करेंगी, उन्हें अतिरिक्त रूप से 25 प्रतिशत सनराइज इंसेंटिव दिया जाएगा।
- नीति के अंतर्गत 5 वर्षों तक 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान प्रदान किया जाएगा, जिससे डाटा सेंटर्स की स्थापना लागत में कमी आएगी।
- डाटा सेंटर्स को बैंकिंग, ट्रांसमिशन और व्हीलिंग शुल्क में 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी।
- भूमि संबंधी प्रक्रियाओं में लचीलापन लाने हेतु फ्लेक्सिबल भुगतान व्यवस्था, साथ ही स्टांप ड्यूटी, भू-रूपांतरण शुल्क और विद्युत शुल्क में भी छूट दी गई है।
- इसके अतिरिक्त, डाटा सेंटर्स को 10 करोड़ रुपए तक बाह्य विकास शुल्क से छूट प्रदान की जाएगी।
- इस नीति में पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता दी गई है, जिसके अंतर्गत ग्रीन सॉल्यूशन पर किये गए व्यय का 50 प्रतिशत पुनर्भरण, अधिकतम 12.5 करोड़ रुपए तक, किया जाएगा।
- कर्मचारियों की दक्षता बढ़ाने के लिये, उनके प्रशिक्षण या कार्यकुशलता सुधार पर की गई लागत का 50 प्रतिशत पुनर्भरण किया जाएगा।
- राज्य सरकार ने बौद्धिक संपदा अधिकारों जैसे GI टैग, पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क पंजीयन पर भी सहायता देने का प्रावधान किया है, जो अधिकतम 1 करोड़ रुपए तक 50 प्रतिशत तक हो सकती है।
- नीति में बिल्डिंग बायलॉज में छूट और सतत विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के प्रावधान भी शामिल हैं, जिससे डाटा सेंटर्स की संचालन क्षमता और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
बौद्धिक संपदा अधिकार
- व्यक्तियों को उनके बौद्धिक सृजन के परिप्रेक्ष्य में प्रदान किये जाने वाले अधिकार ही बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights) कहलाते हैं। वस्तुतः ऐसा समझा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी प्रकार का बौद्धिक सृजन (जैसे साहित्यिक कृति की रचना, शोध, आविष्कार आदि) करता है, तो सर्वप्रथम इस पर उसी व्यक्ति का अनन्य अधिकार होना चाहिये। चूँकि यह अधिकार बौद्धिक सृजन के लिये ही दिया जाता है, अतः इसे बौद्धिक संपदा अधिकार की संज्ञा दी जाती है।
- बौद्धिक संपदा अधिकार दिये जाने का मूल उद्देश्य मानवीय बौद्धिक सृजनशीलता को प्रोत्साहन देना है। बौद्धिक संपदा अधिकारों का क्षेत्र व्यापक होने के कारण यह आवश्यक समझा गया कि क्षेत्र विशेष के लिये उसके संगत अधिकारों एवं संबद्ध नियमों आदि की व्यवस्था की जाए।