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हरियाणा स्टेट पी.सी.एस.

  • 17 Dec 2024
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सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान के निकट अवैध निर्माण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वन और वन्यजीव के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) ने ज़िला प्रशासन को सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान के निकट अवैध निर्माण और उनकी वर्तमान स्थिति के संबंध में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF & CC) को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

मुख्य बिंदु

  • अवैध निर्माण की निगरानी हेतु समिति:
    • मार्च 2024 में राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के प्रतिबंधित क्षेत्र में अवैध निर्माण गतिविधियों की निगरानी के लिये एक समिति का गठन किया गया था।
    • जाँच में पाया गया कि सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान के निकट फरुखनगर क्षेत्र में कई अवैध कॉलोनियां विकसित की जा रही हैं।
    • संवेदनशील क्षेत्रों (Sensitive Zones) के भीतर निर्माण गतिविधियाँ पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्रों के लिये क्षेत्रीय मास्टर प्लान के प्रावधानों का उल्लंघन करती हैं।
  • विनियमों का अनुपालन:
    • अधिकारियों को राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के क्षेत्रों में संरचनात्मक निर्माण नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिये  गए।
    • इन नियमों का पालन न करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिये।

सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान 

  • परिचय: 
    • सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिये एक स्वर्ग है। यह प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के लिये प्रसिद्ध है। 
      • प्रवासी पक्षी सितंबर में पार्क में आना शुरू हो जाते हैं। पक्षी मार्च-अप्रैल तक पार्क को आरामगाह के रूप में उपयोग करते हैं। 
      • ग्रीष्म और मानसून के महीनों के दौरान पार्क में कई स्थानीय पक्षी प्रजातियाँ निवास करती हैं। 
    • अप्रैल 1971 में, पार्क के अंदर सुल्तानपुर झील (1.21 वर्ग किमी. का क्षेत्र) को पंजाब वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1959 की धारा 8 के तहत अभयारण्य का दर्जा दिया गया था।
    • जुलाई 1991 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के अंतर्गत पार्क का दर्जा बढ़ाकर राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया।
  • स्थान: 
    • यह पार्क हरियाणा के गुड़गाँव ज़िले में स्थित है। दिल्ली से इसकी दूरी लगभग 50 किलोमीटर और गुड़गाँव से 15 किलोमीटर है। 
  • पार्क में महत्त्वपूर्ण जीव: 


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NGT ने फरीदाबाद में पैनल का गठन किया

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने हरियाणा के फरीदाबाद में पशुपालन एवं डेयरी कार्यालय परिसर में कई पीपल के वृक्षों की कथित अवैध कटाई की जाँच के लिये एक पैनल का गठन किया है।

मुख्य बिंदु

  • विरासत पीपल के वृक्षों का विनाश:
    • याचिका में उल्लेख किया गया है कि विरासत में प्राप्त पीपल के वृक्ष नष्ट कर दिये गए हैं, किंतु उनकी जड़ें अब भी विद्यमान हैं।
    • संबंधित अधिकारियों से शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।
  • NGT की टिप्पणियाँ:
    • आवेदन के अनुसार शीशम और अन्य वृक्षों को काटने की अनुमति दी गई, लेकिन पीपल के वृक्षों को काटने की अनुमति नहीं दी गई।
    • याचिका में उप निदेशक, रेंज अधिकारी और ठेकेदार द्वारा वृक्षों की अवैध कटाई का आरोप लगाया गया।
    • न्यायाधिकरण ने फरीदाबाद के प्रभागीय वन अधिकारी और हरियाणा के वन एवं पशुपालन विभाग को नोटिस जारी किये।
    • आरोपों की पुष्टि करने तथा आठ सप्ताह के भीतर न्यायाधिकरण को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये एक संयुक्त समिति नियुक्त की गई।
    • सदस्यों में निम्नलिखित के प्रतिनिधि शामिल हैं:



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