राजस्थान Switch to English
राजस्थान ने रामगढ़ क्रेटर को भारत के पहले भू-विरासत स्थल के रूप में मान्यता दी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान सरकार ने बारां ज़िले में 165 मिलियन वर्ष पहले उल्का प्रभाव के कारण बने 3 किलोमीटर व्यास वाले रामगढ़ क्रेटर को आधिकारिक तौर पर देश के पहले भू-विरासत स्थल के रूप में मान्यता दी है।
मुख्य बिंदु:
- रामगढ़ क्रेटर अपनी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं, जैवविविधता, स्थानीय समुदायों और समाज के लिये सांस्कृतिक तथा विरासत मूल्य के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- यह महत्त्व वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत घोषित संरक्षण रिज़र्व अर्थात् रामगढ़ संरक्षण रिज़र्व के रूप में इसकी स्थिति से परिलक्षित होता है।
- राज्य वेटलैंड प्राधिकरण के अनुसार, क्रेटर के अंदर स्थित पुष्कर तालाब खारे और क्षारीय जल दोनों का स्रोत है, जो क्षेत्र की सुंदरता तथा विविधता को बढ़ाता है।
- इन झीलों को वेटलैंड (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियम, 2017 के तहत वेटलैंड के रूप में अधिसूचित किया गया है।
- रामगढ़ क्रेटर एक सांस्कृतिक क्षेत्र के भीतर मानवीय मूल्यों के महत्त्वपूर्ण आदान-प्रदान को प्रदर्शित करता है, जो वास्तुकला या प्रौद्योगिकी, स्मारकीय कला, नगर-योजना या परिदृश्य डिज़ाइन के विकास में परिलक्षित होता है।
- खजुराहो में चंदेल राजवंश और उनके मंदिरों से प्रभावित भांड देव मंदिर, इस तरह के आदान-प्रदान का एक उदाहरण है।
- उल्का प्रभाव क्रेटर पर इसका निर्माण इसकी विशिष्टता और महत्त्व को बढ़ाता है।
रामगढ़ क्रेटर
- यह राजस्थान में बारां ज़िले के रामगढ़ गाँव के निकट स्थित विंध्य पर्वत शृंखला के कोटा पठार में 3.5 किलोमीटर व्यास का एक उल्का प्रभाव क्रेटर है।
- इसे औपचारिक रूप से भारत में तीसरे क्रेटर के रूप में स्वीकार किया गया है, इसके व्यास का आकार भारत में पहले से ही पुष्टि किये गए दो क्रेटरों के बीच होगा, मध्य प्रदेश में ढाला (14 किमी व्यास) और महाराष्ट्र के बुलढाणा ज़िले में लोनार (1.8 किमी व्यास)।
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 जंगली जानवरों और पौधों की विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण, उनके आवासों के प्रबंधन, जंगली जानवरों, पौधों तथा उनसे बने उत्पादों के व्यापार के विनियमन एवं नियंत्रण के लिये एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
- यह अधिनियम उन पौधों और जानवरों की अनुसूचियों को भी सूचीबद्ध करता है जिन्हें सरकार द्वारा अलग-अलग स्तर की सुरक्षा तथा निगरानी प्रदान की जाती है।
- वन्यजीव अधिनियम ने CITES (वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन) में भारत के प्रवेश को सरल बना दिया था।
- इससे पहले जम्मू-कश्मीर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के दायरे में नहीं आता था। लेकिन अब पुनर्गठन अधिनियम के परिणामस्वरूप भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम जम्मू-कश्मीर पर लागू होता है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
सूखे की निगरानी हेतु ‘वेदर स्टेशन’
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने बुंदेलखंड क्षेत्र के सात ज़िलों की सभी तहसीलों सहित राज्य की 100 सर्वाधिक सूखाग्रस्त तहसीलों में सूखे की स्थिति पर नज़र रखने के लिये टेलीमेट्रिक वेदर स्टेशन (TWS) स्थापित करने की योजना की घोषणा की।
मुख्य बिंदु:
- इस पहल का उद्देश्य TWS के माध्यम से राज्य के विभिन्न स्थानों के तापमान, सौर विकिरण, वायु की गति आदि को जानने के बाद उत्तर प्रदेश में लगातार सूखे की स्थिति से निपटना है।
- इसे रणनीतिक रूप से मौजूदा ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन (AWS) और ऑटोमैटिक रेन -गेज स्टेशन (ARG) से 7-10 किलोमीटर की दूरी पर 10 x 10 मीटर की दूरी पर रखा जाएगा।
- बुंदेलखंड क्षेत्र में हमीरपुर, बांदा, ललितपुर, जालौन, झाँसी, महोबा और चित्रकोट ज़िले आते हैं जो प्रत्येक वर्ष सूखे की चुनौतियों का सामना करते हैं।
- ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन (AWS): ऑटोमैटिक/स्वचालित प्रकार का पारंपरिक वेदर स्टेशन और इसका उपयोग दूरदराज़ के क्षेत्रों में या जब मानव शक्ति अपर्याप्त हो तो मौसम की निगरानी के लिये किया जाता है।
- ऑटोमैटिक रेन-गेज स्टेशन (ARG): इसे "मौसम विज्ञान स्टेशन" के रूप में परिभाषित किया गया है, जिस पर अवलोकन स्वचालित रूप से किये और प्रसारित किये जाते हैं।
झारखंड Switch to English
झारखंड ने छात्रों के लिये मुफ्त बैग की घोषणा की
चर्चा में क्यों?
हाल ही में झारखंड सरकार ने राज्य में संचालित स्कूलों में कक्षा I से VIII में नामांकित लगभग 37 लाख छात्रों को स्कूल बैग के अलावा प्रत्येक वर्ष स्कूल किट के हिस्से के रूप में किताबें और अन्य सामग्री प्रदान करने की घोषणा की।
मुख्य बिंदु:
- चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा से पहले मुख्यमंत्री द्वारा कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करने के बाद यह घोषणा की गई।
- कैबिनेट बैठक के दौरान कुल 53 प्रस्ताव लिये गए, जिनमें से अधिकांश में सड़क परियोजनाएँ, सिंचाई और जल आपूर्ति कार्य, ग्रामीण विकास कार्य शामिल थे।
- सरकार प्रत्येक तीन महीने में प्रति आँगनवाड़ी गैस सिलेंडर की एक बार रिफिलिंग प्रदान करेगी।
- झारखंड कदन्न मिशन की स्थापना के लिये 50 करोड़ रुपए की मंज़ूरी दी गई।
- सरकार का लक्ष्य अगले पाँच वर्षों में कदन्न कृषि का क्षेत्र मौजूदा 40,000 हेक्टेयर से बढ़ाकर 5,00,000 हेक्टेयर करना है।
- किसान समृद्धि योजना के तहत 80 करोड़ रुपए मंज़ूर किये गए, जिसका उद्देश्य किसानों को सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई सुविधाएँ प्रदान करना है।
नोट:
झारखंड सरकार कदन्न विशेष रूप से रागी (फिंगर मिलेट/कदन्न) को बढ़ावा दे रही है जो राज्य में बहुत बिखरे हुए तरीके से उगाया जाता है। उच्च पोषक मूल्य के कारण राज्य सरकार राज्य आजीविका नीति के तहत कदन्न को बढ़ावा दे रही है जो पंचायत विभाग के अधीन है और ज़्यादातर स्कूली बच्चों एवं अस्पतालों के लिये दोपहर के भोजन में परोसा जाता है।
झारखंड Switch to English
झारखंड के मुख्यमंत्री ने डिग्री कॉलेजों की नींव रखी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री ने कोल्हान विश्वविद्यालय के तहत पश्चिमी सिंहभूम में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये चाईबासा के हाटगम्हरिया और बंदगाँव में एक-एक डिग्री कॉलेज की आधारशिला रखी।
मुख्य बिंदु:
- मुख्यमंत्री ने 2 अरब, 31 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से 135 योजनाओं का शिलान्यास किया, जबकि 1 अरब 7 करोड़ रुपए से अधिक की 27 योजनाओं का उद्घाटन किया गया।
- लाभार्थियों के बीच एक अरब 72 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति का वितरण किया गया।
- कोल्हान विश्वविद्यालय के तहत डिग्री कॉलेजों की शुरुआत से क्षेत्र के शैक्षिक परिदृश्य पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
- यह पहल उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने और अपने युवाओं के लिये सुलभ शैक्षिक अवसरों को सुविधाजनक बनाने के राज्य के व्यापक उद्देश्यों के अनुरूप है।
- कुड़ुख, हो, मुंडारी और संथाली जैसी जनजातीय तथा क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई प्राथमिक विद्यालयों से शुरू की जा रही है।
- मुख्यमंत्री के मुताबिक राज्य की शिक्षा व्यवस्था को मज़बूत करने के लिये सरकार की ओर से कई योजनाएँ शुरू की गई हैं।
- आर्थिक तंगी के कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिये छात्रवृत्ति राशि तीन गुना बढ़ा दी गई है।
- छात्राओं को सावित्रीबाई किशोरी सावित्री योजना से जोड़ा जा रहा है।
- गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के माध्यम से छात्रों को मेडिकल इंजीनियरिंग जैसे कोर्स करने के लिये 15 लाख रुपए तक का शिक्षा ऋण दिया जा रहा है।
- मानकी मुंडा छात्रवृत्ति योजना के तहत छात्राओं को तकनीकी शिक्षा के लिये आर्थिक सहायता दी जा रही है।
- राज्य सरकार आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग के छात्रों को विदेश में उच्च शिक्षा के लिये शत-प्रतिशत छात्रवृत्ति दे रही है।
सवित्रीबाई किशोरी सवित्री योजना
- इसका उद्देश्य बालिका शिक्षा, बाल विवाह को समाप्त करना और महिला सशक्तीकरण पर ज़ोर देना है।
- इस योजना के तहत किशोरियों को अपने जीवन के संबंध में स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम बनाना है।
- इसके तहत राज्य सरकार किशोरियों को अच्छी शिक्षा के लिये 40 हज़ार रुपए की सहायता दे रही है।
- कक्षा 8 में छात्राओं को 2500 रुपए, कक्षा 9 में 2500 रुपए, कक्षा 10 में 5000 रुपए, कक्षा 11वीं और 12वीं में 5000-5000 रुपए तथा 18 से 19 वर्ष की आयु पूरी करने पर किशोरियों को 20,000 रुपए दिये जाएंगे।
- इस तरह किशोरियों को कुल 40 हज़ार रुपए दिये जायेंगे।
गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना
- यह योजना 14 मार्च 2024 को झारखंड सरकार द्वारा शुरू की गई थी।
- गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के तहत विद्यार्थियों को अधिकतम 15 लाख रुपए का कर्ज़ मिलेगा। उन्हें बैंकों के ज़रिए लोन उपलब्ध कराया जाएगा। इस राशि का अधिकतम 30 फीसदी नन- इंस्टीट्यूशनल कार्यों (रहने-खाने के खर्च सहित) के लिये मिलेगा।
- विद्यार्थियों को 4 फीसदी सिंपल रेट ऑफ इंटरेस्ट चुकाना होगा। बाकी के ब्याज का पैसा इंटरेस्ट सबवेंशन के रूप में राज्य सरकार चुकाएगी।
- लोन लेने के लिये छात्रों को किसी प्रकार के कोलैटरल सिक्यूरिटी देने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। लोन की राशि को विद्यार्थी 15 साल में चुका सकेंगे।
- जो लोन लेंगे, उस पर ब्याज की गणना साधारण ब्याज की दर पर की जाएगी। यह ऋण की पूरी अवधि तक फिक्स्ड रहेगी।
मानकी मुंडा छात्रवृत्ति योजना
- यह योजना 14 मार्च 2024 को झारखंड सरकार द्वारा शुरू की गई थी
- मानकी मुंडा छात्रवृत्ति योजना के तहत छात्राओं को डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के लिये 15,000 रुपए प्रति वर्ष और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिये 30,000 रुपए प्रति वर्ष मिलेंगे।
बिहार Switch to English
वर्ष 2070 तक बिहार का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पाँच गुना बढ़ जाएगा
चर्चा में क्यों?
'क्लाइमेट रेजिलिएंट एंड लो-कार्बन डेवलपमेंट पाथवे' रिपोर्ट के अनुसार, बिहार का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन वर्ष 2070 तक 5.2 गुना बढ़ने का अनुमान है, जब भारत ने शुद्ध शून्य उत्सर्जन हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
मुख्य बिंदु:
- यह निष्कर्ष संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के सहयोग से बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (BSPCB) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में थे।
- बिहार सरकार ने फरवरी 2021 में जलवायु लचीले और कम कार्बन विकास मार्ग के लिये रणनीति तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की थी।
- मसौदा रिपोर्ट में कहा गया है कि:
- वर्ष 2018 में राष्ट्रीय उत्सर्जन में बिहार का योगदान भारत के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 3.3% है, जो राष्ट्रीय जनसंख्या में इसकी हिस्सेदारी (8.8%) से कम है, जबकि वर्ष 2005 और वर्ष 2013 के बीच यह दोगुना हो गया था।
- वर्ष 2018 में कुल 69% योगदान के साथ ऊर्जा क्षेत्र ग्रीनहाउस गैसों का उच्चतम उत्सर्जक था, इसके बाद कृषि, वन और अन्य भूमि उपयोग 24%, अपशिष्ट प्रबंधन 5% एवं औद्योगिक प्रसंस्करण व उत्पाद उपयोग 2% था।
- यदि वर्तमान प्रवृत्ति जारी रहती है, तो वर्ष 2020 और वर्ष 2070 के बीच राज्य का उत्सर्जन 5.2 गुना बढ़ने का अनुमान है।
- ऊर्जा क्षेत्र उच्चतम उत्सर्जक बना रहेगा, जिसका कुल उत्सर्जन में 93% योगदान होने का अनुमान है। इसके बाद निर्माण (6%), परिवहन (5%) और उद्योग (5%) का स्थान आता है।
- उत्सर्जन में विद्युत क्षेत्र का प्रभुत्व विद्युत उत्पादन के लिये कोयले पर निरंतर निर्भरता के कारण है।
- चूँकि अधिकांश उत्सर्जन विद्युत क्षेत्र से होता है, इसलिये बिहार को भारत के शुद्ध शून्य वर्ष 2070 लक्ष्य के अनुरूप रहने के लिये वर्ष 2030 के बाद नए थर्मल पावर प्लांट खोलने से बचना होगा।
- इसलिये, राज्य को नवीकरणीय ऊर्जा संपन्न राज्यों के साथ दीर्घकालिक स्वच्छ ऊर्जा विद्युत खरीद समझौते को सुरक्षित करने की आवश्यकता होगी।
- इसके अलावा, राज्य को छत पर सौर पैनल, फ्लोटिंग सोलर, कृषि-फोटोवोल्टिक्स और नवीकरणीय ऊर्जा के अन्य विकेंद्रीकृत रूपों जैसे विकल्पों पर सक्रिय रूप से विचार करने की आवश्यकता होगी।
- साथ ही, उद्योग, परिवहन और रियल एस्टेट के अंतिम उपयोग वाले क्षेत्रों को विद्युतीकृत करने की आवश्यकता होगी ताकि नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग के माध्यम से उनसे होने वाले उत्सर्जन को कम किया जा सके।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)
- यह 5 जून 1972 को स्थापित एक अग्रणी वैश्विक पर्यावरण प्राधिकरण है।
- यह वैश्विक पर्यावरण एजेंडा निर्धारित करता है, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर सतत् विकास को बढ़ावा देता है और वैश्विक पर्यावरण संरक्षण के लिये एक आधिकारिक वकील के रूप में कार्य करता है।
शुद्ध शून्य उत्सर्जन:
- इसे कार्बन तटस्थता के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ यह नहीं है कि कोई देश अपने उत्सर्जन को शून्य पर लाएगा।
- बल्कि, यह एक ऐसा देश है जिसमें किसी देश के उत्सर्जन की भरपाई वातावरण से ग्रीनहाउस गैसों के अवशोषण और हटाने से होती है।
- 70 से अधिक देशों ने सदी के मध्य तक यानी वर्ष 2050 तक शुद्ध शून्य बनने का दावा किया है।
- भारत ने COP-26 शिखर सम्मेलन के सम्मेलन में वर्ष 2070 तक अपने उत्सर्जन को शुद्ध शून्य करने का वादा किया है।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश के छह विरासत स्थल यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के छह विरासत स्थलों को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है।
मुख्य बिंदु:
- नई सूची में शामिल स्थलों में ग्वालियर का किला, धमनार का ऐतिहासिक समूह, भोजेश्वर महादेव मंदिर, चंबल घाटी के रॉक कला स्थल, खूनी भंडारा, बुरहानपुर और रामनगर, मंडला का भगवान स्मारक शामिल हैं।
- वर्ष 2010 में भूमिगत जल संरचना खूनी भंडारा को यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने के प्रयास शुरू किये गए।
- वर्ष 2013 में यूनेस्को की एक टीम इस संरचना को देखने आई थी। उनके द्वारा बताई गई सभी कमियों को दूर किया गया।
- अब ज़िला प्रशासन, नगर निगम प्रशासन और मध्य प्रदेश सरकार ने यहाँ सुविधाएँ मुहैया कराने के लिये कार्ययोजना तैयार की है।
खूनी भंडारा
- यह एक भूमिगत जल प्रबंधन प्रणाली है जिसमें मध्य प्रदेश के बुरहानपुर ज़िले के ऐतिहासिक शहर बुरहानपुर में निर्मित आठ वॉटरवर्क्स शामिल हैं।
- बुरहानपुर की ये मुगलकालीन जल संरचनाएँ भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक जल प्रणालियों में से एक हैं।
- बुरहानपुर में इन जल प्रणालियों का निर्माण औरंगाबाद और बीदर के मौजूदा ऐतिहासिक शहरों की तरह ही फारसी कनात दृष्टिकोण पर वर्ष 1615 में किया गया था।
ग्वालियर किला
- ग्वालियर किला मध्य प्रदेश के ग्वालियर के पास एक पहाड़ी किला है। यह किला कम-से-कम 10वीं शताब्दी से अस्तित्व में है और किले में पाए गए शिलालेखों तथा स्मारकों से संकेत मिलता है कि यह 6वीं शताब्दी की शुरुआत में अस्तित्व में रहा होगा।
- इस पर हूणों, गुर्जर-प्रतिहारों, कच्छपघातों, तोमरों, लोदियों और मुगलों जैसे कई राजवंशों का कब्ज़ा रहा है।
- किले में कई मंदिर और संरचनाएँ हैं।
धमनार का ऐतिहासिक समूह
- धमनार की गुफाएँ मध्य प्रदेश के मंदसौर ज़िले के धमनार गाँव के पास एक पहाड़ी पर स्थित हैं।
- इस रॉक कट साइट में लेटराइट पहाड़ी में खुदी हुई विभिन्न आकार की कुल 51 गुफाएँ हैं।
- पहाड़ी में संरचनाओं के दो समूह हैं, बौद्ध गुफाओं की शृंखला और हिंदू मंदिर परिसर जिसे धर्मराजेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है, जिसे धर्मनाथ मंदिर भी कहा जाता है।
भोजेश्वर महादेव मंदिर
- भोजेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के भोजपुर गाँव में एक अधूरा हिंदू मंदिर है।
- माना जाता है कि मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में परमार राजा भोज के शासनकाल के दौरान शुरू हुआ था।
- निर्माण को अज्ञात कारणों से छोड़ दिया गया था, आस-पास की चट्टानों पर वास्तुशिल्प योजनाएँ उकेरी गई थीं।
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