छत्तीसगढ़ में तेंदुए का अवैध शिकार | छत्तीसगढ़ | 17 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कटघोरा वनमंडल के अंतर्गत चैतमा वन परिक्षेत्र में लगभग सात वर्ष के तेंदुए का शव मिला था।
मुख्य बिंदु:
- अधिकारियों के अनुसार तेंदुए के शरीर के कुछ अंग गायब थे जिससे अवैध शिकार की अटकलें लगाई जा रही थीं।
- सींग, दाँत, खाल या हड्डियों जैसे वांछनीय शरीर के अंगों को बेचने के उद्देश्य से प्रायः वन्यजीवों का अवैध शिकार, आखेट या हत्या कर दी जाती है।
- भारत के वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) और संलग्न पुलिस अधिकारियों से उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार, देश में वर्ष 2012 और 2018 के दौरान 9,253 से अधिक शिकारियों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन सज़ा की दर सिर्फ 2% थी।
- अवैध वन्यजीव व्यापार उच्च लाभ मार्जिन और यहाँ तक कि कई मामलों में दुर्लभ प्रजातियों के लिये चुकाई जाने वाली ऊँची कीमतों से प्रेरित होते हैं।
- जब प्रकृति में मानव उपभोग की दर को बनाए रखने के लिये प्राकृतिक भंडार का पुनर्भरण नहीं हो पाता है तो कमज़ोर वन्य जीव विलुप्ति की कगार पर चले जाते हैं।
- वन्य जीवों का अवैध शिकार विशेष रूप से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, उत्तराखंड और असम राज्यों में प्रचलित है।
तेंदुए
- वैज्ञानिक नाम: पेंथेरा पार्डस (Panthera pardus)
- परिचय:
- पैंथेरा जीनस के सबसे छोटे सदस्य के रूप में बाघ, शेर (पैंथेरा लियो), जगुआर, तेंदुए तथा हिम तेंदुए आदि शामिल हैं, तेंदुए विभिन्न प्रकार के वातावरणों के लिये अपनी अनुकूलन क्षमता के लिये प्रसिद्ध है।
- यह एक रात्रिचर जानवर है जो रात में शिकार करता है।
- यह जंगली सूअर, हॉग हिरण एवं चीतल सहित अपने क्षेत्र में छोटे शाकाहारी जानवरों को खाता है।
- तेंदुओं में मेलेनिज़्म एक आम घटना है, जिसमें जानवर की पूरी त्वचा काले रंग की होती है, जिसमें उसके धब्बे भी शामिल हैं।
- मेलेनिस्टिक तेंदुए को प्राय: ब्लैक पैंथर कहा जाता है और गलती से इसे एक अलग प्रजाति मान लिया जाता है।
- प्राकृतिक आवास:
- यह उप-सहारा अफ्रीका में पश्चिमी और मध्य एशिया के छोटे हिस्सों एवं भारतीय उपमहाद्वीप से लेकर दक्षिण-पूर्व तथा पूर्वी एशिया तक विस्तृत क्षेत्र में पाया जाता है।
- भारतीय तेंदुआ (पेंथेरा पार्डस फुस्का) भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापक रूप से पाया जाने वाला तेंदुआ है।