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मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 16 Sep 2024
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साइबर तहसील

चर्चा में क्यों?

साइबर तहसील मध्य प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग द्वारा भूमि संबंधी प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित और आधुनिक बनाने के लिये कार्यान्वित की गई एक डिजिटल गवर्नेंस पहल है।

प्रमुख बिंदु: 

  • राज्यव्यापी विस्तार: 1 जून 2022 को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लॉन्च किया गया, अब इसे सभी 55 ज़िलों में लागू किया जाएगा।
  • उद्देश्य: भूमि पंजीकरण और हस्तांतरण प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाना, मैनुअल हस्तक्षेप को कम करना एवं पारदर्शिता में सुधार करना।
  • कागज़ रहित प्रणाली: भूमि हस्तांतरण पूरी तरह से स्वचालित और ऑनलाइन है, जो संपत्ति पंजीकरण के बाद स्वचालित रूप से शुरू हो जाता है।
  • त्वरित समाधान: संपूर्ण प्रक्रिया 15 दिनों के भीतर पूर्ण हो जाती है, जिससे तीव्र और कुशल सेवा सुनिश्चित होती है।
  • स्वचालित मामला निर्माण: पंजीकृत मामले स्वचालित रूप से महानिरीक्षक पंजीयन एवं मुद्रांक (Inspector General of Registration and Stamps- IGRS) पोर्टल के माध्यम से पंजीकृत हो जाते हैं, जिससे मैनुअल विलंब कम हो जाता है।
  • डिजिटल डिलीवरी: अद्यतन भूमि रिकॉर्ड सीधे ईमेल या व्हाट्सएप के माध्यम से भेजे जाते हैं।
  • न्यायालयीन मामले में कमी: 14 लाख पंजीकृत मामलों में से 2 लाख मामलों का निपटारा न्यायालय में उपस्थिति के बिना किया गया, जिससे न्यायिक बोझ कम हुआ।

पंजीयन एवं मुद्रांक महानिरीक्षक

  • IGRS एक प्रमुख अधिकारी होता है जो किसी राज्य में दस्तावेज़ों के पंजीकरण और मुद्रांकन प्रक्रिया के प्रबंधन तथा देखरेख का प्रभारी होता है। 
  • IGRS विभिन्न कानूनी दस्तावेज़ों जैसे संपत्ति विलेख, विवाह प्रमाण-पत्र और अन्य महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ों के पंजीकरण का पर्यवेक्षण करता है।
  • यह सुनिश्चित करना कि पंजीकरण प्रक्रिया राज्य द्वारा निर्धारित कानूनी आवश्यकताओं और मानकों का अनुपालन करती है।
  • मुद्रांक शुल्क के संग्रह का प्रबंधन करता है, जो कुछ दस्तावेज़ों पर लगाया जाने वाला कर है।
  • मुद्रांक शुल्क विनियमों का अनुपालन सुनिश्चित करना तथा उल्लंघन के विरुद्ध कार्रवाई करना।

 


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पन्ना में हीरा खनन

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में मध्य प्रदेश के पन्ना ज़िले में, जोकि हीरा खनन के लिये प्रसिद्ध है, अपरिष्कृत हीरों की नीलामी की घोषणा की गई। 

प्रमुख बिंदु: 

  • पन्ना का हीरा उद्योग:
    • पन्ना सदियों से हीरा खनन केंद्र रहा है।
    • अत्यधिक खनन के कारण ज़िले के हीरे के भंडार कम हो गए हैं , जिससे बड़ी खोजें दुर्लभ हो गई हैं।
    • खनन मुख्यतः आदिवासी आबादी के लिये वैकल्पिक आय स्रोत के रूप में कार्य करता है, जिससे उन्हें 250-300 रुपए की नाममात्र की दैनिक आय प्राप्त होती है।
  • कानूनी मुद्दे: शेष बचे अधिकांश हीरे के भंडार संरक्षित वन क्षेत्रों में स्थित हैं , जिससे खनन गतिविधियाँ प्रतिबंधित हैं। सरकार परिचालन का विस्तार करने के लिये कानूनी समाधान खोज रही है। 
    • खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 के अंतर्गत विनियमों तथा खान सुरक्षा महानिदेशालय (Directorate General of Mines Safety- DGMS) द्वारा निर्धारित नियमों का अनुपालन करना ।
      • जब किसी को हीरा मिले तो स्थानीय प्राधिकारियों, जैसे ज़िला कलेक्टर या संबंधित खनन विभाग को हीरे के बारे में सूचित करना।
        • खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957: MMDR अधिनियम, 1957 भारत में खनिज अन्वेषण एवं निष्कर्षण को नियंत्रित करता है। यह केंद्र सरकार को खनिज संसाधनों को नियंत्रित करने का अधिकार देता है।
    • खनिज रियायत नियम, 1960: ये नियम खनन पट्टे और लाइसेंस प्राप्त करने के लिये विस्तृत प्रक्रिया प्रदान करते हैं।
      • सरकारी भूमि पर या लाइसेंस प्राप्त खनन क्षेत्रों में पाए जाने वाले हीरों पर खनिज रियायत नियम, 1960 के अधीन, अधिकार सरकार या खनन पट्टाधारक के पास हो सकते हैं।
    • अंतर: भूमि स्वामित्व के बावजूद, खनिजों के निष्कर्षण के लिये सरकार से अलग परमिट की आवश्यकता होती है और खनिजों का स्वामित्व भूमि स्वामित्व से भिन्न हो सकता है।

खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) (MMDR) अधिनियम, 1957 

  • खनिज संसाधनों का विनियमन:
    • यह अधिनियम भारत में खनिज संसाधनों के अन्वेषण, निष्कर्षण और विनियमन को नियंत्रित करता है तथा केंद्र सरकार को इन गतिविधियों को नियंत्रित एवं प्रबंधित करने का अधिकार प्रदान करता है।
  • लाइसेंसिंग और पट्टा:
    • यह खनिज अन्वेषण और खनन के लिये लाइसेंस एवं पट्टे प्रदान करने की रूपरेखा स्थापित करता है, जिसमें खनन अधिकार प्राप्त करने की प्रक्रिया भी शामिल है।
  • नियंत्रण और अनुपालन:
    • अधिनियम में खनिज निष्कर्षण के लिये निर्धारित मानकों और विनियमों का पालन, पर्यावरण संरक्षण तथा संसाधनों का उचित प्रबंधन सुनिश्चित करना अनिवार्य किया गया है।
  • केंद्रीय सरकार प्राधिकरण:
    • केंद्र सरकार के पास खनिज संसाधनों के विकास और विनियमन से संबंधित निर्देश जारी करने तथा विनियमों को लागू करने की शक्ति है, जिसमें खनिज रॉयल्टी एवं शुल्क का संग्रह भी शामिल है।


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