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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 13 Mar 2025
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उत्तराखंड की पहली नैनोफैब्रिकेशन सुविधा

चर्चा में क्यों?

IIT-रुड़की ने भारत के सेमीकंडक्टर विनिर्माण मिशन को आगे बढ़ाने के लिये उत्तराखंड में अत्याधुनिक नैनोफैब्रिकेशन सुविधा स्थापित की है।

मुख्य बिंदु

  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
    • IIT-रुड़की ने विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करने के लिये ताइवान के प्रमुख सेमीकंडक्टर संस्थानों के साथ सहयोग किया।
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने इस परियोजना को वित्त पोषित किया, जो वर्ष 2019 में शुरू हुई।
  • अत्याधुनिक बुनियादी ढाँचा:
    • इस सुविधा में अत्याधुनिक उपकरण शामिल हैं, जैसे :
      • 10nm रिज़ोल्यूशन के साथ 50 kV इलेक्ट्रॉन बीम लिथोग्राफी (EBL) प्रणाली।
      • प्रेरणिक युग्मित प्लाज्मा RIE (ICP-RIE): अर्द्धचालक विनिर्माण के लिये एक प्रमुख नक्काशी  प्रौद्योगिकी।
    • नियंत्रित वातावरण वाले अति-स्वच्छ कमरों से सुसज्जित:
      • परिशुद्धता अनुसंधान के लिये वर्ग 100 स्थान (300 वर्ग फीट) और वर्ग 1000 स्थान (600 वर्ग फीट)।
  • अनुसंधान अनुप्रयोग:
    • यह सुविधा निम्नलिखित क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान को समर्थन प्रदान करती है:
    • क्वांटम सेंसर
    • स्पिनट्रॉनिक्स
      • मेमोरी डिवाइस
      • पतली फिल्म वाले उपकरण
    • फोटो डिटेक्टर
    • क्वांटम प्रकाशिकी
    • फोटोनिक क्रिस्टल

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग

  • DST की नींव 3 मई 1971 को राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन, USA के मॉडल पर रखी गई थी।
  • यह वित्तपोषण प्रदान करता है और नीतियाँ बनाता है तथा अन्य देशों के साथ वैज्ञानिक कार्यों का समन्वय भी करता है।
  • यह वैज्ञानिकों और वैज्ञानिक संस्थानों को सशक्त बनाता है तथा स्कूल कॉलेज, पीएचडी, पोस्टडॉक्टरल छात्रों, युवा वैज्ञानिकों, स्टार्टअप्स और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों जैसे हितधारकों को शामिल करते हुए एक अत्यधिक वितरित प्रणाली के साथ काम करता है।
  • विगत कुछ वर्षों में DST का बजट 100% बढ़ा है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में नए कार्यक्रम शुरू करने की सुविधा मिली है।


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