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उत्तराखंड की पहली नैनोफैब्रिकेशन सुविधा
चर्चा में क्यों?
IIT-रुड़की ने भारत के सेमीकंडक्टर विनिर्माण मिशन को आगे बढ़ाने के लिये उत्तराखंड में अत्याधुनिक नैनोफैब्रिकेशन सुविधा स्थापित की है।
मुख्य बिंदु
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
- IIT-रुड़की ने विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करने के लिये ताइवान के प्रमुख सेमीकंडक्टर संस्थानों के साथ सहयोग किया।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने इस परियोजना को वित्त पोषित किया, जो वर्ष 2019 में शुरू हुई।
- अत्याधुनिक बुनियादी ढाँचा:
- इस सुविधा में अत्याधुनिक उपकरण शामिल हैं, जैसे :
- 10nm रिज़ोल्यूशन के साथ 50 kV इलेक्ट्रॉन बीम लिथोग्राफी (EBL) प्रणाली।
- प्रेरणिक युग्मित प्लाज्मा RIE (ICP-RIE): अर्द्धचालक विनिर्माण के लिये एक प्रमुख नक्काशी प्रौद्योगिकी।
- नियंत्रित वातावरण वाले अति-स्वच्छ कमरों से सुसज्जित:
- परिशुद्धता अनुसंधान के लिये वर्ग 100 स्थान (300 वर्ग फीट) और वर्ग 1000 स्थान (600 वर्ग फीट)।
- इस सुविधा में अत्याधुनिक उपकरण शामिल हैं, जैसे :
- अनुसंधान अनुप्रयोग:
- यह सुविधा निम्नलिखित क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान को समर्थन प्रदान करती है:
- क्वांटम सेंसर
- स्पिनट्रॉनिक्स
- मेमोरी डिवाइस
- पतली फिल्म वाले उपकरण
- फोटो डिटेक्टर
- क्वांटम प्रकाशिकी
- फोटोनिक क्रिस्टल
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
- DST की नींव 3 मई 1971 को राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन, USA के मॉडल पर रखी गई थी।
- यह वित्तपोषण प्रदान करता है और नीतियाँ बनाता है तथा अन्य देशों के साथ वैज्ञानिक कार्यों का समन्वय भी करता है।
- यह वैज्ञानिकों और वैज्ञानिक संस्थानों को सशक्त बनाता है तथा स्कूल कॉलेज, पीएचडी, पोस्टडॉक्टरल छात्रों, युवा वैज्ञानिकों, स्टार्टअप्स और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों जैसे हितधारकों को शामिल करते हुए एक अत्यधिक वितरित प्रणाली के साथ काम करता है।
- विगत कुछ वर्षों में DST का बजट 100% बढ़ा है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में नए कार्यक्रम शुरू करने की सुविधा मिली है।