मध्य प्रदेश Switch to English
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण की प्रगति की समीक्षा
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (SBM-G) को दृढ़ करने के लिये पंजाब, मध्य प्रदेश और बिहार के ग्रामीण स्वच्छता के लिये ज़िम्मेदार राज्य मंत्रियों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की।
- इस सत्र का उद्देश्य प्रगति का आकलन करना, चुनौतियों से निपटना तथा ग्रामीण भारत में स्थायी स्वच्छता परिणाम सुनिश्चित करने के लिये रणनीतियों को कारगर बनाना था।
मुख्य बिंदु
- केंद्रीय मंत्री ने स्वच्छता को एक व्यवहारिक मिशन बताया जो ग्रामीण समुदायों के स्वास्थ्य और सम्मान के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- उन्होंने सामूहिक प्रयासों के माध्यम से स्वच्छ एवं स्वस्थ भारत के निर्माण के महत्त्व को रेखांकित किया तथा कहा कि प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की अपनी अलग-अलग चुनौतियाँ हैं, लेकिन स्वच्छ भारत प्राप्त करने का लक्ष्य उनका समान है।
- राज्यवार प्रगति:
- मध्य प्रदेश:
- 99% गाँव खुले में शौच मुक्त (ODF) प्लस स्थिति वाले हैं, जिनमें से 95% ने ODF प्लस मॉडल का दर्जा प्राप्त कर लिया है।
- राज्य ने RRDA भोपाल के साथ समझौता ज्ञापन सहित नवीन प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पहल को क्रियान्वित किया।
- उत्तर प्रदेश:
- 98% गाँव ODF प्लस हैं। SBM-G उद्देश्यों के लिये 1 लाख से अधिक कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है।
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिये अपशिष्ट से ऊर्जा मॉडल और स्क्रैप डीलर संपर्क पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- बिहार:
- 92% गाँव ODF प्लस हैं। ग्रे वाटर मैनेजमेंट कवरेज 91% है और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन 80% है।
- प्रयास कम प्रदर्शन करने वाले ज़िलों में परिणामों को बेहतर बनाने पर केंद्रित हैं।
- पंजाब:
- 98% गाँव ODF प्लस हैं, जिनमें से 87% ने ग्रे वाटर प्रबंधन संतृप्ति प्राप्त कर ली है।
- उन्नत प्रणालियाँ विकसित की जा रही हैं।
- सामूहिक कार्रवाई के लिये मंत्री का मार्गदर्शन:
- ODF प्लस स्थिरता: ODF प्लस मॉडल गाँवों को सत्यापित करने और बनाए रखने के लिये मज़बूत निगरानी तंत्र स्थापित करना।
- अपशिष्ट प्रबंधन अंतराल : घरेलू स्तर के समाधानों को प्राथमिकता देकर ठोस और धूसर जल प्रबंधन में अंतराल को दूर करना।
- सामुदायिक स्वच्छता: सामुदायिक स्वच्छता परिसरों की कार्यक्षमता और परिसंपत्ति प्रबंधन को मज़बूत करना।
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन: पुनर्चक्रणकर्त्ताओं के साथ साझेदारी बनाना और विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) ढाँचे का उपयोग करना।
- EPR उत्पादकों को उनके उत्पादों के जीवन चक्र के दौरान उनके पर्यावरणीय प्रभावों के लिये ज़िम्मेदार बनाता है। इसका उद्देश्य बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देना और नगर पालिकाओं पर बोझ कम करना है।
- व्यवहार में परिवर्तन: लक्षित IEC (सूचना शिक्षा और संचार) अभियानों के माध्यम से शौचालय के निरंतर उपयोग और अपशिष्ट पृथक्करण को बढ़ावा देना।
- समुदाय-नेतृत्व वाले दृष्टिकोण: राज्यों को समुदाय-नेतृत्व वाले स्वच्छता प्रयासों को बढ़ावा देने के लिये महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों, स्थानीय नेताओं और निजी क्षेत्र के उद्यमों को शामिल करना होगा।
- व्यापक दृष्टिकोण और वैश्विक संरेखण:
- स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण परिवर्तन की आधारशिला है, जो स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन, जल संरक्षण और सामुदायिक कल्याण को एकीकृत करता है।
- यह मिशन वैश्विक लक्ष्यों के अनुरूप है, जिसमें SDG 6 (स्वच्छ जल और स्वच्छता) और SDG 3 (अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण) शामिल हैं।
- इसका ध्यान लक्ष्य से आगे बढ़कर स्वास्थ्य, सम्मान और आत्मनिर्भरता के पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण पर केंद्रित है।
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (SBM-G)
- परिचय:
- इसे वर्ष 2014 में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा सार्वभौमिक स्वच्छता कवरेज प्राप्त करने के प्रयासों में तेज़ी लाने और स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करने के लिये लॉन्च किया गया था।
- इस मिशन को एक राष्ट्रव्यापी अभियान/जनआंदोलन के रूप में क्रियान्वित किया गया जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच को समाप्त करना था।
- स्वच्छ भारत मिशन (G) चरण-I:
- 2 अक्तूबर, 2014 को SBM (G) के शुभारंभ के समय देश में ग्रामीण स्वच्छता कवरेज 38.7% बताया गया था।
- मिशन के शुभारंभ के बाद से 10 करोड़ से अधिक व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप, सभी राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों ने 2 अक्तूबर, 2019 तक खुद को ODF घोषित कर दिया है।
- SBM (G) चरण-II:
- यह चरण-I के अंतर्गत उपलब्धियों की स्थिरता पर ज़ोर देता है तथा ग्रामीण भारत में ठोस/तरल एवं प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (SLWM) के लिये पर्याप्त सुविधाएँ प्रदान करता है।
- इसे वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक मिशन मोड में कार्यान्वित किया जाएगा, जिसका कुल परिव्यय 1,40,881 करोड़ रुपए होगा।
- ODF प्लस के SLWM घटक की निगरानी 4 प्रमुख क्षेत्रों के आउटपुट-आउटकम संकेतकों के आधार पर की जाएगी:
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन
- जैवनिम्नीकरणीय ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (पशु अपशिष्ट प्रबंधन सहित)
- ग्रेवाटर (घरेलू अपशिष्ट जल) प्रबंधन
- मल-कीचड़ प्रबंधन।
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