प्रारंभिक परीक्षा
दिशा योजना
- 19 Dec 2022
- 6 min read
हाल ही में कानून और न्याय मंत्री ने लोकसभा को सूचित किया है कि "न्याय तक समग्र पहुँच के लिये अभिनव समाधान तैयार करना (Designing Innovative Solutions for Holistic Access to Justice- DISHA) योजना पाँच वर्ष (2021-2026)" की अवधि के लिये शुरू की गई थी।
दिशा योजना:
- परिचय:
- इसे अखिल भारतीय स्तर पर न्याय तक पहुँच पर एक व्यापक, समग्र, एकीकृत और व्यवस्थित समाधान प्रदान करने के लिये लॉन्च किया गया था।
- इसका उद्देश्य भारत के संविधान की प्रस्तावना तथा अनुच्छेद 39A, 14 और 21 के तहत भारत के लोगों के लिये "न्याय" सुरक्षित करना है।
- इसका उद्देश्य कानूनी सेवाओं का नागरिक-केंद्रित वितरण के लिये विभिन्न कार्यक्रमों को डिज़ाइन और समेकित करना है।
- घटक: वर्तमान में दिशा के अंतर्गत तीन घटक हैं:
- टेली-लॉ: वंचितों तक पहुँच (रिचिंग द अनरीच्ड):
- यह एक ई-इंटरफेस तंत्र है जो मुकदमेबाज़ी से पहले के चरण में विधिक सलाह और परामर्श प्रदान करता है। यह पंचायत स्तर पर स्थित जन सेवा केंद्रों (CSC) पर उपलब्ध वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग/टेलीफोनिक सुविधाओं के माध्यम से ज़रूरतमंद और हाशिये पर रह रहे लोगों को विधिक सहायता के लिये वकीलों के पैनल से जोड़ता है।
- न्याय बंधु कार्यक्रम:
- न्याय बंधु (प्रो बोनो लीगल सर्विसेज़) कार्यक्रम का उद्देश्य वंचित वर्गों को नि:शुल्क कानूनी सहायता और परामर्श प्रदान करना है।
- न्याय बंधु मोबाइल एप्लीकेशन, एंड्रॉइड और आईओएस फोन के लिये पंजीकृत प्रो-बोनो अधिवक्ताओं को पंजीकृत आवेदकों से जोड़ने के लिये विकसित किया गया है।
- विधिक जागरूकता कार्यक्रम:
- विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत अनुसंशित राष्ट्रीय, राज्य और ज़िला एवं तालुक स्तर पर एक अधिक मज़बूत ढाँचे के साथ कानूनी सेवा संस्थान नेटवर्क प्रदान करना।
- सूचना, शिक्षा और संचार:
- इसकी व्यापक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये (प्रौद्योगिकी) घटक सहित समर्पित सूचना, शिक्षा और संचार (InformatIon, EducatIon & communIcatIon- IEC) को दिशा (DISHA) पहल में एकीकृत किया गया है।
- टेली-लॉ: वंचितों तक पहुँच (रिचिंग द अनरीच्ड):
न्याय तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये उठाए गए प्रमुख कदम:
- न्याय वितरण और कानूनी सुधार के लिये राष्ट्रीय मिशन:
- इस मिशन के तहत न्यायिक प्रशासन में बकाया और लंबित मामलों के चरणबद्ध परिसमापन के लिये एक समन्वित दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ न्यायालयों के लिये बेहतर बुनियादी अवसंरचना शामिल है। इसमें कम्प्यूटरीकरण, अधीनस्थ न्यायपालिका की शक्ति में वृद्धि, नीति और विधायी उपाय भी शामिल हैं।
- ज़िला और अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायिक अधिकारियों के लिये बुनियादी अवसंरचना में सुधार:
- अवसंरचना सुविधाओं के विकास के लिये केंद्र प्रायोजित योजना की शुरुआत के बाद से 9291.79 करोड़ रुपए जारी किये गए हैं।
- न्यायालय परिसर (कोर्ट हॉल) की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का लाभ उठाना:
- ज़िला तथा अधीनस्थ न्यायालयों को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सक्षम बनाने के लिये सरकार पूरे देश में ई-न्यायालय मिशन मोड परियोजना को लागू कर रही है।
- कम्प्यूटरीकृत ज़िला और अधीनस्थ न्यायालयों की संख्या अब बढ़कर 18,735 हो गई है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ):प्रश्न: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2013)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 प्रश्न: भारत में विधिक सेवा प्रदान करने वाले प्राधिकरण (Legal Services Authorities) निम्नलिखित में से किन नागरिकों को नि:शुल्क विधिक सेवाएँ प्रदान करते हैं? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 |