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स्वच्छता प्रणाली

  • 27 Dec 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये :

स्वच्छता प्रणालियाँ, ऑन-साइट स्वच्छता प्रणालियाँ, ट्विन पिट और सेप्टिक टैंक, शहरी सीवर प्रणालियाँ, मल कीचड़ उपचार संयंत्र (FSTPs)

मेन्स के लिये :

स्वच्छता प्रणालियाँ, सरकारी नीतियाँ और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप एवं उनके प्रारूप तथा कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

उपयोग किया गया पानी जो ज़मीन, खुली जगह, नालियों या नहरों में प्रवाहित होता है, उसे सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के लिये उचित स्वच्छता प्रणालियों में प्रवाहित किया जाना चाहिये।

  • सर्वप्रथम स्वच्छता की शुरुआत 4000 ईसा पूर्व के आसपास प्राचीन सभ्यताओं द्वारा की गई थी, जबकि आधुनिक स्वच्छता प्रणाली वर्ष 1800 के आसपास लंदन में बनाई गई थी।

स्वच्छता प्रणालियों के प्रकार क्या हैं?

  • ऑन-साइट स्वच्छता प्रणालियाँ (OSS):
    • ट्विन पिट, सेप्टिक टैंक, बायो-डाइजेस्टर शौचालय, बायो-टैंक और यूरिन डायवर्ज़न शुष्क शौचालय ग्रामीण या विशाल शहरी सेटिंग्स में प्रचलित ऑन-साइट स्वच्छता प्रणालियों (OSS) के रूप में काम करते हैं। ये प्रणालियाँ अलग-अलग स्थानिक बाधाओं को दूर करते हुए मल कीचड़ या सेप्टेज युक्त उपयोग किये गए पानी का निष्क्रिय रूप से उपचार करती हैं।
    • ट्विन पिट (गड्डे) और सेप्टिक टैंक:
      • ट्विन पिट्स कार्यक्षमता: इसमें एक-एक करके उपयोग किये जाने वाले ट्विन पिट्स होते हैं, जुड़वाँ गड्ढे तरल पदार्थ को ज़मीन में सोखने की सुविधा प्रदान करते हैं, जबकि ठोस पदार्थ जम जाते हैं और नष्ट हो जाते हैं।
        • एक पिट्स दो साल तक निष्क्रिय रहता है, जिससे पुन: उपयोग के लिये रोगजनक मुक्त सामग्री सुनिश्चित होती है, लेकिन यह चट्टानी मिट्टी के लिये अनुपयुक्त होता है।
      • सेप्टिक टैंक संचालन: सेप्टिक टैंक जलरोधक होते हैं; जैसे ही इस्तेमाल किया हुआ पानी टैंक से बहता है, ठोस पदार्थ नीचे बैठ जाते हैं, जबकि मैल- अधिकतर तेल और ग्रीस ऊपर तैरता रहता है।
        • जबकि सेप्टिक टैंक में जमे हुए ठोस पदार्थ समय के साथ अपघटित हो जाते हैं, जमा हुए मल-कीचड़ और मैल को नियमित अंतराल पर हटाया जाना चाहिये।
        • यह काम वैक्यूम पंपों से सुसज्जित ट्रकों का उपयोग करके किया जाता है जो मल कीचड़ को निष्कासित करते हैं और इसे मल कीचड़ उपचार संयंत्र (FSTP) नामक उपचार सुविधाओं तक पहुँचाते हैं।
  • शहरी सीवर प्रणाली:
    • घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में, जहाँ प्रोपर्टीज़ के भीतर जगह की कमी है, पाइपों का एक भूमिगत नेटवर्क, जिसे सीवर भी कहा जाता है, उपयोग किये गए जल को एकत्र करता है और उपचार सुविधाओं तक पहुँचाता है।
    • आपस में जुड़े पाइपों का यह नेटवर्क उपयोग किये गए पानी को शौचालयों, स्नानघरों, रसोई से गुरुत्वाकर्षण द्वारा या पंपों की मदद से उपचार सुविधाओं तक पहुँचाता है। सीवरों में रख-रखाव और रुकावटों को दूर करने के लिये मशीन-होल्स होते हैं।
    • यह प्रयुक्त जल, जिसे सीवेज कहा जाता है, सीवर द्वारा सीवेज उपचार संयंत्रों (STP) तक पहुँचाया जाता है।

उपचार सुविधाओं के क्या कार्य हैं?

  • मल कीचड़ उपचार संयंत्र (FSTP):
    • FSTP की किस्में: FSTP या तो यांत्रिक (स्क्रू प्रेस जैसे उपकरण का उपयोग करके) या गुरुत्वाकर्षण-आधारित सिस्टम (रेत सुखाने वाले बेड का उपयोग करके) में कार्य करते हैं। ये सुविधाएँ प्रभावी रोकथाम, परिवहन और उपचार के उद्देश्य से मल कीचड़ का प्रबंधन करती हैं, जिसे प्रायः मल कीचड़ प्रबंधन (FSM) के रूप में जाना जाता है।
      • छोटे शहरों अथवा ग्रामों में OSS-FSM प्रचलित है।
    • पुन: उपयोग तथा निपटान: FSTPs से उपचारित ठोस पदार्थ को जैविक नगरपालिका अपशिष्ट के साथ मिश्रित कर खाद निर्मित हो सकती है जो कृषि में पुन: प्रयोज्य के रूप में कार्य करती है।
      • उपचारित जल को अमूमन FSTP परिसर के भीतर भूनिर्माण के लिये पुन: उपयोग किया जाता है, जो एक सतत् दृष्टिकोण को उजागर करता है।
  • वाहित मल उपचार संयंत्र (STPs):
    • व्यापक जल उपचार: STPs उपयोग किये गए जल से प्रदूषकों को नष्ट करने के लिये भौतिक, जैविक एवं रासायनिक प्रक्रियाओं को नियोजित करते हैं।
      • FSTPs के समान इसके प्राथमिक चरण में ठोस पदार्थों को अलग किया जाता है तथा इसके बाद शुद्धिकरण होता है जहाँ सूक्ष्मजीव ठोस पदार्थों को समाप्त करते हैं जिससे अंततः कीटाणुशोधन होता है।
    • उन्नत तकनीकें तथा विभिन्न प्रकार: उन्नत STPs जल के पुन: उपयोग को बढ़ाने के लिये झिल्ली निस्यंदन (Membrane Filtration) जैसी विधियों का उपयोग करते हैं।
      • ये सुविधाएँ यंत्रीकृत तथा गैर-यंत्रीकृत प्रकारों में उपलब्ध हैं, जिनका चयन शहर प्रशासन की तकनीकी तथा वित्तीय क्षमताओं के आधार पर किया जाता है।

नोट: FSTPs छोटे होते हैं तथा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन साइटों के साथ नियोजित किये जा सकते हैं अथवा कीचड़ स्रोतों के समीप स्थापित किये जा सकते हैं। इसके विपरीत STPs बड़ी, केंद्रीकृत सुविधाएँ हैं जो संपूर्ण समुदायों अथवा शहरी क्षेत्रों में उपयोग की जाती हैं तथा अमूमन उपचारित जल के निर्वहन के लिये जल निकायों के समीप स्थित होती हैं।

ऐसी जटिल स्वच्छता प्रणाली की क्या आवश्यकता है?

  • जैसे-जैसे पानी अपने विभिन्न घरेलू और गैर-घरेलू उपयोगों के माध्यम से आगे बढ़ता है, यह प्राकृतिक तथा साथ ही मानव-निर्मित अशुद्धियों को जमा करता है जिसमें कार्बनिक पदार्थ, डिटर्जेंट से पोषक तत्त्व, बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी जैसे रोगजनक, सॉल्वैंट्स एवं कीटनाशकों से लेकर भारी धातुएँ शामिल हैं।  इसमें मिट्टी, मलबा, खनिज व लवण जैसे ठोस पदार्थ भी शामिल हैं।
  • यह सुनिश्चित करने के लिये कि उपयोग किया गया पानी प्राकृतिक वातावरण में पुन: शामिल होने पर इन अशुद्धियों के परिणामस्वरूप प्रदूषित या सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण नहीं बनता है, उपयोग किये गए पानी का निपटान या पुन: उपयोग करने से पहले उसमें शामिल प्रदूषकों को हटाना और उसका उपचार करना आवश्यक है।
  • स्वच्छता के प्राथमिक प्रेरक हमेशा गंध और सौंदर्यशास्त्र रहे हैं, लेकिन जब तक सार्वजनिक तथा पर्यावरणीय स्वास्थ्य के साथ उनका संबंध स्पष्ट नहीं हुआ तब तक लोगों को यह एहसास नहीं हुआ कि "आउट ऑफ साइट" दृष्टिकोण का उपयोग करना अपर्याप्त था।

निष्कर्ष:

  • स्वच्छता प्रणालियों के आविष्कार के बाद से सार्वजनिक स्वास्थ्य में महत्त्वपूर्ण सुधार हुआ है, लेकिन सुरक्षित रूप से प्रबंधित स्वच्छता सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच एक चुनौती बनी हुई है।
  • खराब डिज़ाइन पर निर्मित प्रणाली और असुरक्षित संचालन तथा रखरखाव प्रथाओं जैसे मुद्दों का समाधान उपयोग किये गए पानी के प्रभावी ढंग से प्रबंधन एवं हमारे मूल्यवान जल निकायों व भूजल जलभृतों की रक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण है।
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