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स्टेट पी.सी.एस.

  • 13 Feb 2024
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हरियाणा Switch to English

हरियाणा के मुख्यमंत्री ने 56 करोड़ रुपए की 10 परियोजनाओं को स्वीकृति दी

चर्चा में क्यों?

हरियाणा सरकार ने सिरसा, हिसार, पलवल, महेंद्रगढ़, झज्जर और रेवाड़ी ज़िलों में ग्रामीण संवर्धन जल आपूर्ति कार्यक्रम के तहत 56.4 करोड़ रुपए की 10 परियोजनाएँ लागू करने का निर्णय लिया है।

मुख्य बिंदु:

  • मुख्यमंत्री ने लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा क्रियान्वित की जाने वाली इन परियोजनाओं के लिये प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की।
  • अधिकारियों के अनुसार, जलापूर्ति योजना में शामिल हैं:
    • नियाना गाँव, हिसार में जल आपूर्ति में सुधार के लिये 2.95 करोड़ रुपए;
    • कुरांगवाली, सिरसा में जल आपूर्ति योजना और वितरण प्रणाली को मज़बूत बनाने के लिये 5.9 करोड़ रुपए
    • रेवाड़ी के सात गाँवों में नहर आधारित जलापूर्ति योजना के लिये 16.9 करोड़ रुपए;
    • झज्जर के नेओला ब्लॉक में स्वतंत्र जल कार्य प्रदान करने के लिये 6.2 करोड़ रुपए
    • महेंद्रगढ़ की नांगल सिरोही तहसील में बूस्टिंग स्टेशनों का निर्माण के लिये 2.7 करोड़ रुपए।

ग्रामीण संवर्धन जल आपूर्ति कार्यक्रम

  • इस कार्यक्रम के तहत, गतिविधियों की एक शृंखला शुरू करके गाँवों में मौजूदा पेयजल आपूर्ति सुविधाओं में सुधार/मज़बूतीकरण किया जाता है, जिसमें अतिरिक्त ट्यूबवेलों की ड्रिलिंग, मौजूदा नहर आधारित योजनाओं का विस्तार, नए नहर आधारित जल कार्यों का निर्माण, बूस्टिंग स्टेशनों का निर्माण, मौजूदा वितरण प्रणाली को मज़बूत करना आदि शामिल हैं।

हरियाणा Switch to English

किसानों का 'दिल्ली चलो' मार्च

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने किसानों के 'दिल्ली चलो' आंदोलन के दौरान किसी भी कानून व्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिये हरियाणा में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की कम-से-कम 50 कंपनियाँ तैनात की हैं।

मुख्य बिंदु:

  • हरियाणा पुलिस ने किसानों से राजधानी तक प्रस्तावित मार्च में बिना अनुमति के भाग नहीं लेने को कहा है।
    • आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, हरियाणा सरकार ने केंद्र से रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) सहित केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की कम-से-कम 64 कंपनियों को तैनात करने का अनुरोध किया था।
  • वर्ष 2020 में, किसानों ने तीन कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, जो वर्ष 2021 में दिल्ली सीमाओं पर उनके विरोध प्रदर्शन के एक वर्ष के बाद निरस्त कर दिये गए थे।
  • निम्नलिखित मांगों को लेकर दिसंबर 2023 में दिल्ली चलो की घोषणा की गई:
  • किसान विरोध 2.0 का नेतृत्व विभिन्न यूनियनों द्वारा किया जा रहा है। वर्ष 2020 के विरोध के बाद किसान संघों में कई गुटबाज़ी देखी गई।
    • 'दिल्ली चलो' मार्च में देशभर से 200 से ज़्यादा किसान संगठन हिस्सा लेंगे।
  • किसानों को दिल्ली में प्रवेश न करने देने के लिये उठाए गए कदम:
    • दिल्ली में धारा 144 लागू कर दी गई है।
    • हरियाणा सरकार ने पंजाब के साथ अपनी सीमाएँ सील कर दीं।
    • कंटीले तार, सीमेंट के बैरिकेड, सड़कों पर कीलें लगा दी गई हैं।
    • राष्ट्रीय राजधानी के सभी प्रवेश बिंदुओं पर व्यापक सुरक्षा।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)

  • MSP वह गारंटीकृत राशि है जो किसानों को तब दी जाती है जब सरकार उनकी फसल खरीदती है।
  • MSP कृषि लागत और मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices- CACP) की सिफारिशों पर आधारित है, जो उत्पादन लागत, मांग तथा आपूर्ति, बाज़ार मूल्य रुझान, अंतर-फसल मूल्य समानता आदि जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करता है।

स्वामीनाथन आयोग

  • स्वामीनाथन आयोग की स्थापना वर्ष 2004 में हुई थी।
  • इसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को MSP को उत्पादन की भारित औसत लागत से कम-से-कम 50% अधिक तक बढ़ाना चाहिये। इसे C2+ 50% फॉर्मूला के रूप में भी जाना जाता है।
  • इसमें किसानों को 50% रिटर्न देने के लिये पूंजी की अनुमानित लागत और भूमि पर किराया (जिसे 'C2' कहा जाता है) शामिल है।

रैपिड एक्शन फोर्स (RAF)

  • यह दंगा और भीड़ नियंत्रण स्थितियों से निपटने के लिये अक्तूबर 1992 में स्थापित केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल की एक विशेष त्वरित प्रतिक्रिया शाखा है।
  • यह एक शून्य-प्रतिक्रिया बल है जिसे कम-से-कम समय के भीतर संकट की स्थितियों में तैनात किया जा सकता है, जिससे आम जनता में विश्वास और सुरक्षा उत्पन्न होती है


राजस्थान Switch to English

जल जीवन मिशन(JJM)

चर्चा में क्यों?

राज्य में केंद्र के प्रमुख जल जीवन मिशन (JJM) को लागू करने के उद्देश्य से, राजस्थान सरकार ने जल इंजीनियरों को मिशन के तहत निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने और सभी गाँवों को पाइप से जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये ज़मीनी स्तर पर स्थिति की निगरानी करके गुणवत्ता परीक्षण करने का निर्देश दिया है।

मुख्य बिंदु:

  • JJM ने वर्ष 2024 के अंत तक सभी ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन के माध्यम से सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति की परिकल्पना की है और गाँवों में हर घर में प्रति व्यक्ति 55 लीटर जल की आपूर्ति करने का लक्ष्य रखा है, जहाँ लोगों को जल की कमी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
  • राजस्थान में, इस मिशन के तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने की कार्य योजनाएँ प्रत्येक गाँव में जल की उपलब्धता, वर्षा, सूखे की स्थिति, भूजल स्तर, जल संचयन, जल जनित बीमारियाँ और जल संसाधनों की स्थिति पर आधारित हैं।
  • राज्य सरकार ने ग्राम स्तरीय समितियों के सदस्यों को योजनाओं के संचालन, जल संरक्षण, पेयजल के कुशल उपयोग और बैंक खाता संचालन के बारे में जागरूक करने के लिये प्रशिक्षण की व्यवस्था की है।
    • ग्राम सभाओं द्वारा प्रस्तुत और अनुमोदित ज़िला तथा ग्राम कार्य योजनाओं ने भी विभिन्न क्षेत्रों की जल की आवश्यकताओं पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।


राजस्थान Switch to English

भ्रष्टाचार के विरुद्ध ज़ीरो टॉलरेंस नीति

चर्चा में क्यों?

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के अनुसार सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ 'ज़ीरो टॉलरेंस' की नीति पर कार्य कर रही है।

मुख्य बिंदु:

  • CM के अनुसार जनहित से जुड़े कार्यों में लापरवाही और भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा ।
  • CM ने अधिकारियों को नियमित जनसुनवाई, शिकायतों का त्वरित निस्तारण, उनकी मॉनिटरिंग और फीडबैक लेने के निर्देश दिये हैं।
    • सभी ज़िला स्तरीय अधिकारी नियमित रूप से कम-से-कम एक घंटा जनसुनवाई करेंगे, ताकि व्यक्तियों को अपनी समस्या लेकर राजधानी न आना पड़े।
  • विद्युत और पेयजल आपूर्ति की स्थिति, चिकित्सा सुविधाएँ, जल जीवन मिशन (JJM) की प्रगति, विकसित भारत संकल्प यात्रा, कानून व्यवस्था तथा अन्य मुद्दों की भी समीक्षा की गई।

विकसित भारत संकल्प यात्रा

  • यह सरकार की योजनाओं की संतृप्ति प्राप्त करने के लिये विस्तारित गतिविधियों के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने का एक राष्ट्रव्यापी अभियान है। इसके अंतर्गत पूरे देश में भारत की सभी ग्राम पंचायतें, नगर पंचायतें और शहरी स्थानीय निकाय शामिल हैं।
  • यह अभियान भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों, राज्य सरकारों, केंद्र सरकार के संगठनों और संस्थानों की सक्रिय भागीदारी के साथ संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण अपनाकर चलाया जा रहा है।



बिहार Switch to English

बिहार में अवैध खनन

चर्चा में क्यों?

सूत्रों के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपना ध्यान बिहार में खनन माफिया की ओर केंद्रित किया, जहाँ कथित तौर पर बड़े सिंडिकेट अवैध रेत खनन में शामिल हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है और राज्य के खज़ाने/एक्सचेकर को भारी नुकसान हो रहा है।

मुख्य बिंदु:

  • पिछले आठ महीनों में ही ED ने यह साबित कर दिया है कि अवैध रेत खनन से बिहार सरकार को 400 करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान हुआ है।
  • ED की जाँच के तहत पहला मामला जनता दल-यूनाइटेड (JD-U) MLC राधा चरण साह से संबंधित है, जिन्हें एजेंसी ने सितंबर 2023 में गिरफ्तार किया था।
    • दूसरा मामला एक कंपनी आदित्य मल्टीकॉम प्राइवेट लिमिटेड और उसके निदेशक जग नारायण सिंह तथा सतीश कुमार सिंह से संबंधित है।
  • इससे पहले ED पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ में अवैध रेत या कोयला खनन मामलों की जाँच कर चुकी है।

रेत खनन

  • परिचय:
    • रेत खनन को बाद के प्रसंस्करण के लिये मूल्यवान खनिजों, धातुओं, पत्थर, रेत और बजरी को निकालने के लिये प्राकृतिक पर्यावरण (स्थलीय, नदी, तटीय या समुद्री) से प्राथमिक प्राकृतिक रेत तथा रेत संसाधनों (खनिज रेत और समुच्चय) को हटाने के रूप में परिभाषित किया गया है।
    • विभिन्न कारकों से प्रेरित यह गतिविधि पारिस्थितिक तंत्र और समुदायों के लिये गंभीर खतरा उत्पन्न करती है।
  • भारत में रेत खनन को रोकने की पहल:
    • खान और खनिज विकास तथा विनियमन अधिनियम, 1957 (MMDR):
      • खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 (MMDR अधिनियम) के तहत रेत को "लघु खनिज" के रूप में वर्गीकृत किया गया है तथा लघु खनिजों पर प्रशासनिक नियंत्रण राज्य सरकारों के अधीन है।
      • MMDR अधिनियम, 1957 में संशोधन के लिये खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023 हाल ही में संसद द्वारा पारित किया गया था।
    • पर्यावरण प्रभाव आकलन, 2006 (EIA):
      • भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि सभी रेत खनन संग्रहण गतिविधियों (5 हेक्टेयर से कम क्षेत्रों में भी) के लिये अनुमोदन आवश्यक है।
    • सतत् रेत खनन प्रबंधन दिशा-निर्देश, 2016 (SSMG):
      • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा जारी, इन दिशा-निर्देशों के मुख्य उद्देश्यों में पर्यावरण की दृष्टि से सतत् तथा सामाजिक रूप से ज़िम्मेदारीपूर्ण खनन, पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा व बहाली द्वारा नदी संतुलन एवं उसके प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण शामिल है।
    • रेत खनन हेतु प्रवर्तन और निगरानी दिशानिर्देश 2020:
      • ये दिशा-निर्देश पूरे भारत में रेत खनन की निगरानी के लिये एक समान प्रोटोकॉल प्रदान करते हैं।

प्रवर्तन निदेशालय (ED)

  • प्रवर्तन निदेशालय (ED) एक बहु-अनुशासनात्मक संगठन है जो मनी लॉन्ड्रिंग (अवैध धन को वैध करना) के अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जाँच करता है।
    • यह वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन कार्य करता है।
  • भारत सरकार की एक प्रमुख वित्तीय जाँच एजेंसी के रूप में ED भारत के संविधान और कानूनों के सख्त अनुपालन में कार्य करता है।

झारखंड Switch to English

झारखंड के मुख्यमंत्री ने पलामू पाइपलाइन परियोजना की नींव रखी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री ने 456.52 करोड़ रुपए की पलामू पाइपलाइन सिंचाई परियोजना की आधारशिला रखी, जिसका लक्ष्य पूरे वर्ष सिंचाई जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।

मुख्य बिंदु:

  • सूत्रों के अनुसार, इस परियोजना का उद्देश्य क्षेत्र की नदियों और सूखा प्रभावित पलामू ज़िले के विभिन्न ब्लॉकों में छोटे बांधों को पाइपलाइनों के माध्यम से जोड़ना है ताकि सभी मौसमों में जल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
    • यह परियोजना पलामू ज़िले के चैनपुर और मेदिनीनगर, सतबरवा, बिश्रामपुर, छतरपुर, हुसैनाबाद, हैदरनगर तथा मोहम्मदगंज ब्लॉक को शामिल करेगी।
  • इस परियोजना से जुड़ने वाले प्रमुख जल निकायों में रानीताल बांध, टेमरेन बांध, बुटांडुबा बांध, मलय बांध, पोस्तिया बांध, पनघटवा बांध, कचरवाटांड बांध, कुंडलवा बांध, वहीवधवा बांध, बतरे बांध, धनकई बांध, ताली बांध, सुखनदिया बांध और कर्मकलां बांध शामिल हैं।


उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश ने एस्केलेटर विधेयक और लोकायुक्त संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश विधानसभा ने उत्तर प्रदेश लिफ्ट और एस्केलेटर विधेयक, 2024 तथा उत्तर प्रदेश लोकायुक्त एवं उप-लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया।

मुख्य बिंदु:

  • विधेयक के कानून बनने के बाद ऊर्जा विभाग की मंज़ूरी के बिना लिफ्ट और एस्केलेटर नहीं लगाए जा सकेंगे।
    • मरम्मत न कराने और मानकों की अनदेखी करने पर मालिक या संबंधित संस्था पर ज़ुर्माना लगाया जाएगा।
    • विधेयक में प्रावधान किया गया है कि सार्वजनिक स्थानों पर लिफ्ट और एस्केलेटर लगाने के लिये पंजीकरण अनिवार्य होगा।
    • इनका प्रत्येक पाँच वर्ष में नवीनीकरण कराना होगा, सालाना परीक्षण कराना होगा और इसके लिये 1500 रुपए शुल्क जमा करना होगा।
  • उत्तर प्रदेश लोकायुक्त और उप-लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक, 2024 के तहत लोकायुक्त एवं उप-लोकायुक्त का कार्यकाल आठ वर्ष से घटाकर पाँच वर्ष कर दिया गया और अधिकतम आयु 70 वर्ष कर दी गई है।
  • महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल और हरियाणा जैसे राज्यों में लिफ्ट लगाने के लिये अपने कानून हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में इसके लिये ऐसा कोई प्रावधान नहीं था।
    • इसके लागू होने से न सिर्फ दुर्घटनाओं पर अंकुश लगेगा बल्कि व्यवस्था भी मज़बूत होगी।

लोकायुक्त

  • लोकायुक्त भारतीय संसदीय लोकपाल है, जिसे भारत की प्रत्येक राज्य सरकारों के माध्यम से और उसके लिये निष्पादित किया जाता है।
  • यह एक भ्रष्टाचार विरोधी व्यवस्था है। किसी राज्य में लोकायुक्त व्यवस्था का उद्देश्य लोक सेवकों के विरुद्ध शिकायतों, आरोपों की जाँच करना है।

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