मिलीमीटर वेव ट्रांसीवर | उत्तराखंड | 11 Nov 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DOT) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-रुड़की (IIT-रुड़की) के साथ "5G ग्रामीण कनेक्टिविटी के लिये मिलीमीटर वेव ट्रांसीवर" के विकास के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
प्रमुख बिंदु
- मिलीमीटर वेव बैकहॉल प्रौद्योगिकी परियोजना:
- इसका उद्देश्य विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर 5G कनेक्टिविटी के लिये मिलीमीटर वेव बैकहॉल प्रौद्योगिकी विकसित करना है।
- सीमित संख्या में छोटे सेल-आधारित स्टेशनों (SBS) को फाइबर के माध्यम से नेटवर्क गेटवे से जोड़ा जाएगा, जिससे बुनियादी ढाँचे की जरूरतें कम हो जाएंगी।
- ट्रांसीवर के विकास में संयुक्त ऑप्टिकल और मिलीमीटर तरंग दृष्टिकोण का उपयोग किया जाएगा।
- इससे प्रौद्योगिकी के समग्र आकार और लागत में कमी आने की उम्मीद है, जिससे यह अधिक कुशल और सस्ती हो जाएगी।
- इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सेमीकंडक्टर निर्माण उद्योगों पर भारत की निर्भरता को कम करना तथा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है।
- यह बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) सृजित करने और मिलीमीटर वेव तथा SUB-THz प्रौद्योगिकी में कुशल कार्यबल विकसित करने तथा 5G और 6G में प्रगति के लिये तैयारी करने में योगदान देगा।
- स्थानीय उद्योग और रोज़गार के लिये समर्थन:
- यह परियोजना लघु और मध्यम स्तर के उद्योगों को भारत में विशेष रूप से बहुलक-आधारित और धातु-एकीकृत संरचनाओं में विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित करती है।
- स्थानीय विनिर्माण में वृद्धि से भारतीय इंजीनियरिंग स्नातकों के लिये रोज़गार के अवसर सृजित होंगे।
- TTDF योजना के अंतर्गत वित्तपोषण सहायता:
- यह समझौता दूरसंचार विभाग की दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (TTDF) योजना के तहत हस्ताक्षरित किया गया है।
- TTDF का उद्देश्य भारतीय स्टार्टअप्स, शिक्षाविदों और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को वित्तपोषित करना तथा दूरसंचार उत्पादों और समाधानों के घरेलू विकास और व्यावसायीकरण में सहायता करना है।
मिलीमीटर तरंग
- परिचय:
- यह एक वायरलेस संचार तकनीक है जो डेटा संचारित करने के लिये उच्च आवृत्ति रेडियो तरंगों का उपयोग करती है।
- मिलीमीटर तरंगों की आवृत्ति रेंज 30-300 GHz और तरंगदैर्घ्य रेंज 1-10 मिलीमीटर होती है।
- उपयोग:
- 5G: 5G में मिलीमीटर तरंगों का उपयोग उच्च गति, बढ़ी हुई बैंडविड्थ संचार प्रदान करने के लिये किया जाता है।
- विस्फोटक का पता लगाना: मिलीमीटर तरंगें कपड़ों के माध्यम से गुजर सकती हैं और शरीर से परावर्तित हो सकती हैं, जिससे इमेजिंग सिस्टम को छिपी हुई वस्तुओं का पता लगाने में मदद मिलती है।
- अन्य अनुप्रयोग: मिलीमीटर तरंगों का उपयोग व्यावसायिक और आवासीय ब्रॉडबैंड एक्सेस, कैंपस क्षेत्र नेटवर्क, आउटडोर वाई-फाई हॉटस्पॉट आदि के लिये किया जा सकता है।
टेलीमैटिक्स विकास केंद्र (C-DOT)
- इसकी स्थापना 1984 में हुई थी। यह दूरसंचार विभाग, संचार मंत्रालय का एक स्वायत्त दूरसंचार R&D (अनुसंधान और विकास) केंद्र है।
- यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत सोसायटी है।
- यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR) के साथ पंजीकृत सार्वजनिक वित्त पोषित अनुसंधान संस्थान है।