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प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत तीन लाख परिवारों के लिये प्रथम किस्त के रूप में 1,200 करोड़ रुपए की सहायता राशि ट्रांसफर की।
मुख्य बिंदु
- इन लाभार्थियों को अगले सौ दिनों में दूसरी एवं तीसरी किस्त के रूप में और 80 हज़ार रुपए दिये जाएंगे।
- इसके अलावा, मनरेगा के माध्यम से 90 दिनों के अकुशल मज़दूरी के रूप में 22,050 और लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान से शौचालय निर्माण के लिये 12 हज़ार रुपए की सहायता दी जाएगी।
प्रधानमंत्री आवास योजना क्या है?
प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण (PMAY-G):
- शुभारंभ: वर्ष 2022 तक “सभी के लिये आवास” के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये, पूर्ववर्ती ग्रामीण आवास योजना इंदिरा आवास योजना (IAY) को 1 अप्रैल 2016 से केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) में पुनर्गठित किया गया।
- शामिल मंत्रालय: ग्रामीण विकास मंत्रालय।
- स्थिति: राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने लाभार्थियों को 2.85 करोड़ घर स्वीकृत किये हैं और मार्च 2023 तक 2.22 करोड़ घर पूरे हो चुके हैं।
- उद्देश्य: मार्च 2022 के अंत तक सभी ग्रामीण परिवारों, जो बेघर हैं या कच्चे या जीर्ण-शीर्ण घरों में रह रहे हैं, को बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्का घर उपलब्ध कराना।
- गरीबी रेखा से नीचे (Below Poverty Line- BPL) जीवन यापन करने वाले ग्रामीण लोगों को आवास इकाइयों के निर्माण तथा मौजूदा अनुपयोगी कच्चे मकानों के उन्नयन में पूर्ण अनुदान के रूप में सहायता प्रदान करना।
- लाभार्थी: अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, मुक्त बंधुआ मज़दूर और गैर-अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग, युद्ध में मारे गए रक्षा कर्मियों की विधवाएँ या उनके निकट संबंधी, पूर्व सैनिक और अर्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त सदस्य, विकलांग व्यक्ति तथा अल्पसंख्यक।
- लाभार्थियों का चयन: तीन-चरणीय सत्यापन जैसे सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011, ग्राम सभा और जियो-टैगिंग के माध्यम से।
- लागत साझाकरण: मैदानी क्षेत्रों के मामले में केंद्र और राज्य 60:40 के अनुपात में व्यय साझा करते हैं तथा पूर्वोत्तर राज्यों, दो हिमालयी राज्यों एवं जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के मामले में 90:10 के अनुपात में व्यय साझा करते हैं।
- केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख सहित अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में केंद्र 100% लागत वहन करता है।


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बिहार बजट 2025-26
चर्चा में क्यों?
3 मार्च 2025 को वित्तमंत्री द्वारा विधानसभा में 3.17 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया गया। जिसमें शिक्षा और महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता दी गई गई।
मुख्य बिंदु
- वित्तीय वर्ष 2025-26 में कुल राजस्व व्यय 2 लाख 52 हज़ार करोड़ रुपए अनुमानित है, जो कुल व्यय का 79.52 प्रतिशत है।
- बिहार बजट 2025-26 में सबसे ज़्यादा शिक्षा पर 60,964 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
- स्वास्थ्य के लिये 20 हज़ार करोड़ रुपए और सड़क मद में 17 हज़ार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया।
- बजट में गृह विभाग को 17831 करोड़, ग्रामीण विकास को 16043 करोड़, ऊर्जा विभाग को 13484 करोड़ और समाज कल्याण विभाग, SC, ST, अल्पसंख्यक, पिछड़ा, अति पिछड़ा को 13 हज़ार करोड़ रुपए से ज़्यादा का प्रावधान किया गया है।
- बजट के मुख्य प्रावधान
- महिला सशक्तीकरण पर विशेष ध्यान
- पिंक शौचालयों का निर्माण।
- पटना में महिला हाट खोले जाएंगे।
- पिंक बस सेवा शुरू होगी (सभी चालक एवं परिचालक महिलाएँ होंगी)।
- कामकाज़ी महिलाओं के लिये छात्रावास बनाए जाएंगे।
- महिला टूरिस्ट गाइड की नियुक्ति।
- ई-रिक्शा खरीदने के लिये वित्तीय सहायता।
- महिला पुलिसकर्मियों की संख्या में वृद्धि।
- गरीब लड़कियों की शादी के लिये 'कन्या विवाह मंडप' का निर्माण।
- महिला सशक्तीकरण पर विशेष ध्यान
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- शिक्षा और सामाजिक कल्याण
- छात्रवृत्ति (स्कॉलरशिप) की दर दोगुनी की जाएगी।
- SC/ST, पिछड़े वर्गों के लिये प्रोत्साहन राशि बढ़ाई जाएगी।
- स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधाएँ
- बेगूसराय में कैंसर अस्पताल का निर्माण।
- बिहार में 108 नए नगर चिकित्सा केंद्र खुलेंगे।
- कैंसर रोगियों के लिये विशेष देखभाल केंद्र का प्रावधान।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं परिवहन
- पर्यावरण और स्वच्छ ऊर्जा
- वायु गुणवत्ता सुधार के लिये ₹1 करोड़ का निवेश।
- नहरों के किनारे ₹25 करोड़ की लागत से सौर संयंत्र स्थापित किये जाएंगे।
- कृषि एवं ग्रामीण विकास
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बाजार समितियों को सशक्त किया जाएगा।
- प्रखंड स्तर पर सब्ज़ी बेचने के स्टॉल खोले जाएंगे।
- सभी प्रखंडों में तरकारी उत्पादन समिति का गठन।
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- प्रवासी बिहारी और पर्यटन
- प्रवासी बिहारियों के लिये विभिन्न शहरों में हेल्प सेंटर।
- छठ पूजा के लिये होम-स्टे सुविधा को सरकारी सहायता।
- उद्योग एवं व्यापार
- कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट लगाने वाली कंपनियों को बढ़ावा।
- दवा उत्पादन कंपनियों के लिये नई प्रोत्साहन नीति।
- शिक्षा और सामाजिक कल्याण

