उत्तर प्रदेश Switch to English
बुद्ध के अवशेष उजागर करने हेतु उत्खनन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने उत्तर प्रदेश के महाराजगंज ज़िले के रामग्राम में पुरातात्विक उत्खनन का उद्घाटन किया।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की अगुवाई में चल रही इस परियोजना का उद्देश्य भगवान बुद्ध के आठवें अवशेष के साक्ष्य को उजागर करना है, जिसके बारे में माना जाता है कि वह इसी स्थल पर दफन है।
मुख्य बिंदु
- ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्त्व:
- यह स्थल उन आठ स्थानों में से एक है जहाँ भगवान बुद्ध के अवशेष रखे गए थे तथा बौद्ध परम्पराओं में इसका अत्यधिक महत्त्व है।
- यह सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग के अंतर्गत स्थित है और ऐतिहासिक रूप से प्राचीन कोलिया साम्राज्य से जुड़ा हुआ है।
- कोलिया उत्तर-पूर्वी दक्षिण एशिया का एक प्राचीन इंडो-आर्यन वंश था जिसका अस्तित्व लौह युग के दौरान प्रमाणित होता है।
- क्षेत्रीय विकास की संभावना:
- आशा है कि उत्खनन से यह स्थान एक प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थल में बदल जाएगा।
- इस विकास से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलने तथा आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलने की आशा है।
- वैश्विक मान्यता पर ध्यान:
- इस परियोजना का उद्देश्य इस स्थल को वैश्विक बौद्ध तीर्थयात्रा सर्किट में एकीकृत करना है।
- स्थानीय प्राधिकारियों को उम्मीद है कि अंतर्राष्ट्रीय तीर्थयात्रियों और विद्वानों की यात्रा में वृद्धि होगी, जिससे क्षेत्र की सांस्कृतिक छवि में वृद्धि होगी।
सोहागी बरवा वन्यजीव अभयारण्य
- परिचय:
- यह उत्तर प्रदेश के महाराजगंज ज़िले में स्थित है।
- उत्तर में यह अभयारण्य नेपाल के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करता है तथा पूर्व में बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के साथ सीमा साझा करता है।
- इसे जून 1987 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया।
- जल निकासी:
- इसमें ग्रेट गंडक, लिटिल गंडक, प्यास और रोहिन नदियाँ बहती हैं।
- वनस्पति:
- लगभग 75% क्षेत्र साल के वनों से आच्छादित है तथा अन्य आर्द्र क्षेत्र जामुन, गुटल, सेमल, खैर आदि के वृक्षों से आच्छादित हैं।
- अभयारण्य का निचला क्षेत्र, जो बारिश के दौरान जलमग्न हो जाता है, घास के मैदानों और बेंत के वनों से युक्त है।
- जीव-जंतु:
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27वाँ IEEE WPMC 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने ग्रेटर नोएडा में वायरलेस पर्सनल मल्टीमीडिया कम्युनिकेशंस (WPMC) 2024 पर 27वीं IEEE अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की मेज़बानी की।
- भारतीय अधिकारियों ने दूरसंचार नवाचार में देश की तीव्र प्रगति तथा 5G परिनियोजन से 6G प्रौद्योगिकी के भविष्य की परिकल्पना की ओर संक्रमण पर प्रकाश डाला।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य एवं विषय:
- यह शोधकर्त्ताओं, उद्योग जगत के नेताओं और नीति निर्माताओं को वायरलेस संचार में प्रगति पर चर्चा करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
- थीम, "Secure 6G– AI Nexus: Where Technology Meets Humanity अर्थात् सुरक्षित 6G- AI नेक्सस: प्रौद्योगिकी का मानवता से मिलन", 6G और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के प्रतिच्छेदन पर केंद्रित है।
- कार्यक्रम का स्थान:
- यह कार्यक्रम शारदा विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया और इसमें विभिन्न देशों के विशेषज्ञ और विचारक एकत्रित हुए।
- वायरलेस संचार में भारत की भूमिका:
- एक विशेषज्ञ ने भारत के बढ़ते नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र और वैश्विक दूरसंचार क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान देने की इसकी क्षमता पर प्रकाश डाला।
- भारत द्वारा शीघ्र ही 6G प्रौद्योगिकी से संबंधित लगभग 10 पेटेंट दाखिल किए जाने की आशा है, जिससे उसकी आर्थिक और तकनीकी स्थिति में और वृद्धि होगी।
- 6G प्रौद्योगिकी हेतु दृष्टिकोण:
- सरकार अत्यंत कम विलंबता के साथ 1 टेराबिट प्रति सेकंड तक की अभूतपूर्व गति प्राप्त करने की परिकल्पना करती है, जो वैश्विक कनेक्टिविटी और सामाजिक-आर्थिक विकास में एक परिवर्तनकारी कदम होगा।
- यह पहल भारत को दूरसंचार क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित करने के राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप है।
- 6G की परिवर्तनकारी क्षमता:
- विशेषज्ञों ने उन्नत क्षमताओं वाले पोर्टेबल उपकरणों को सक्षम करने के लिये 6G की क्षमता पर जोर दिया, जिसमें उच्च आवृत्ति उपयोग और न्यूनतम विलंबता पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- इस प्रौद्योगिकी से दूरस्थ स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और कृषि को सुविधाजनक बनाकर ग्रामीण पारिस्थितिकी तंत्र में क्रांतिकारी बदलाव आने की आशा है, जो डिजिटल विभाजन को पाटने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के भारत के मिशन के साथ संरेखित होगा।
सुरक्षित और बेहतर दूरसंचार सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिये भारत की पहल:
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