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रेलवे स्टेशनों पर सौर ऊर्जा स्थापना में राजस्थान अग्रणी
चर्चा में क्यों ?
2 अप्रैल 2025 को लोकसभा में केंद्रीय रेल मंत्री के वक्तव्य के अनुसार कि राजस्थान सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना करने वाला देश में अग्रणी राज्य बन गया है।
मुख्य बिंदु
- राजस्थान में 275 रेलवे स्टेशनों पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किये गए हैं, जो देश में सबसे अधिक हैं।
- वर्ष 2014-15 से 2019-20 के बीच 73 स्टेशन और 2020-21 से फरवरी, 2025 के बीच 200 और स्टेशन जोड़े गए।
- भारतीय रेलवे की अक्षय ऊर्जा योजना:
- भारतीय रेलवे ने 2025-26 तक 100% विद्युतीकरण प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।
- रेलवे का उद्देश्य 2030 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जक बनना है।
- इस लक्ष्य को पूरा करने के लिये रेलवे अपनी ऊर्जा की आवश्यकता को अक्षय ऊर्जा के माध्यम से पूरा करेगा, जिसमें सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का मिश्रण होगा।
- रेलवे अपनी अक्षय ऊर्जा की मांग को विभिन्न स्वतंत्र बिजली उत्पादकों के साथ दीर्घकालिक बिजली खरीद समझौतों के माध्यम से पूरा करेगा।
- रेलवे अपने स्टेशनों की छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाएगा और अपनी खाली भूमि का उपयोग करेगा।
- भारतीय रेलवे 2030 तक अपनी खाली भूमि पर 20 गीगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का लक्ष्य रखता है।
- रेलवे स्टेशनों पर सौर ऊर्जा संयंत्र:
- शीर्ष 5 राज्य:
- राजस्थान - 275
- महाराष्ट्र – 270
- पश्चिम बंगाल - 237
- उत्तर प्रदेश - 204
- आंध्र प्रदेश -198
- शीर्ष 5 राज्य:
सौर ऊर्जा
- परिचय:
- सौर ऊर्जा, सूरज से प्राप्त एक नवीकरणीय और स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है, जिसे सीधे सूर्य के प्रकाश को इलेक्ट्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करके प्राप्त किया जाता है। सौर पैनल और सौर तापीय संयंत्रों के माध्यम से इसे बिजली उत्पादन, हीटिंग और उपकरणों को ऊर्जा प्रदान करने में किया जाता है।
- लाभ:
- सौर ऊर्जा की उपलब्धता पूरे दिन बनी रहती है विशेष रूप से उस समय भी जब विद्युत ऊर्जा की मांग सर्वाधिक होती है।
- सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करने वाले उपकरणों की अवधि अधिक होती है और उनके रखरखाव की भी कम आवश्यकता होती है।
- पारंपरिक ताप विद्युत उत्पादन (कोयले द्वारा) के विपरीत सौर ऊर्जा से प्रदूषण की समस्या भी उत्पन्न नहीं होती है तथा स्वच्छ विद्युत ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाता है।
- देश के लगभग सभी हिस्सों में मुफ्त सौर ऊर्जा की प्रचुरता है।
- सौर ऊर्जा के उपयोग में विद्युत के तार एवं ट्रांसमिशन का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होती


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मीनाकारी कला
चर्चा में क्यों?
थाईलैंड की यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने थाईलैंड की प्रधानमंत्री शिनावात्रा के पति, पिटक सुकसावत को मीनाकारी कला से सजाए गए बाघ के रूप वाले कफलिंक उपहार में दिये।
मुख्य बिंदु
- मीनाकारी कला के बारे में:
- मीनाकारी कला विशेष रूप से राजस्थान और गुजरात राज्यों में प्रचलित है।
- यह धातु की सतह पर खनिज पदार्थों को मिलाकर सजाने की कला है।
- इसमें पक्षियों, फूलों और पत्तियों के नाटकीय रूपांकनों को चमकीले रंगों के साथ विभिन्न प्रकार की धातुओं पर चित्रित या अलंकृत किया जाता है।
- इस कला की उत्पत्ति फारस (ईरान) में हुई थी और भारत में यह कला 16वीं सदी में मुगल शासन के साथ आई।
- इस कला में धातु, पत्थर और कपड़ों पर रंग और डिज़ाइन बनाने के लिये काँच के बारीक पाउडर का उपयोग किया जाता है।
- मीनाकारी कला के प्रमुख कलाकारों में कुदरत सिंह को इस कला का जादूगर माना जाता है और उन्हें वर्ष 1968 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- कफलिंक्स की विशेषताएँ
- ये इस कला की समृद्धता को दर्शाते हैं।
- इन कफ़लिंक्स में राजसी बाघ के चेहरे की आकृति साहस और नेतृत्व का प्रतीक है।
- इन्हें उच्च गुणवत्ता वाली चाँदी पर सोने की परत चढ़ाकर तैयार किया गया है और इसमें जीवंत तामचीनी का काम किया गया है, जो भारत की समृद्ध आभूषण परंपराओं को प्रस्तुत करता है।

