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प्रश्न :
भारत में मुगल साम्राज्य के पतन के कारणों की संक्षेप में चर्चा कीजिये।
26 May, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
दृष्टिकोण
- उत्तर की शुरुआत मुगल साम्राज्य के आरंभ और पतन की संक्षेप में चर्चा करके कीजिये।
- मुगलों के पतन के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
परिचय
वर्ष 1526 में बाबर के सिंहासन पर बैठने के साथ शुरू हुआ महान मुगलों का शासन वर्ष 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के साथ समाप्त हुआ। औरंगजेब की मृत्यु ने भारतीय इतिहास में एक युग के अंत को चिह्नित किया।
जब औरंगजेब की मृत्यु हुई तब भारत में मुगलों का साम्राज्य सबसे बड़ा था लेकिन फिर भी उसकी मृत्यु के लगभग पचास वर्षों के भीतर ही मुगल साम्राज्य का विघटन हो गया।
मुगलों के पतन के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार थे:
- मुगलों की सरकार एक व्यक्तिगत निरंकुशता से प्रेरित थी और इसलिये इसकी सफलता शासकों के चरित्र पर निर्भर करती थी। बाद के मुगल शासक अयोग्य थे और राज्य के प्रशासन की उपेक्षा करते थे।
- उत्तराधिकार के एक निश्चित नियम के अभाव में मुगल शासन में उत्तराधिकार का युद्ध हमेशा ही चलता रहता था; इसने सरकार के स्थायित्व को कमज़ोर कर दिया और देशभक्ति की कीमत पर पक्षपात को बढ़ावा दिया।
- शासकों के पतन के कारण कुलीन वर्ग का पतन हुआ जिसमें गुटबाजी और साज़िशों के कारण साम्राज्य को भारी कीमत चुकानी पड़ी।
- सेना का पतन भी साम्राज्य के लिये विनाशकारी सिद्ध हुआ।
- कमज़ोर शासकों और विशेषकर परिवहन एवं संचार की मौजूदा परिस्थितियों के कारण एक केंद्रीय प्राधिकरण के माध्यम से कुशलतापूर्वक शासित होने के संदर्भ में साम्राज्य बहुत विशाल और बोझिल हो गया था।
- औरंगजेब की धार्मिक नीति भी मुगलों के पतन हेतु काफी हद तक उत्तरदाई थी जिसके कारण राजपूतों, सिखों, जाटों और मराठों ने विद्रोह किया।
- औरंगजेब की दक्कन नीति पूरी तरह विफल रही और मुगल साम्राज्य के पतन का एक महत्त्वपूर्ण कारण थी।
- ईरानी राज्यों के आक्रमणों ने मुगल साम्राज्य को अत्यंत कमज़ोर कर दिया।
निष्कर्ष
मराठों को छोड़कर कोई भी भारतीय शक्ति ऐसी नहीं थी जो मुगल साम्राज्य के पतन से उत्पन्न शक्ति शून्य को भर सके। हालाँकि पानीपत की तीसरी लड़ाई में मराठों की हार ने उन्हें भारत में सर्वोपरि शक्ति नहीं बनने दिया। इसने अंग्रेज़ों के लिये भारत में एक साम्राज्य स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया।
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