उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में ग्रीन गेम्स को प्रोत्साहन
चर्चा में क्यों?
राज्य में चल रहे 38वें राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड ने ग्रीन गेम्स थीम के अनुरूप अभिनव पहल की शुरुआत की।
- राज्य ने दीर्घकालिक प्रथाओं को अपनाया है, स्थानीय संस्कृति को प्रोत्साहित किया है और महिलाओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता प्रदान की।
मुख्य बिंदु
- ग्रीन गेम्स पहल:
- राज्य ने संरक्षण प्रयासों को उजागर करने के लिये हिमालयी राज्य पक्षी मोनाल को आधिकारिक शुभंकर चुना गया।
- एक विशिष्ट पहल के तहत विजेताओं को दिये जाने वाले पदक ई-अपशिष्ट से बनाए गए।
- उत्तराखंड सरकार विजयी खिलाड़ियों के सम्मान में खेल वन का निर्माण कर रही है।
- परियोजना के लिये 2.77 हेक्टेयर क्षेत्र निर्धारित किया गया है, जहाँ 1,600 रुद्राक्ष के वृक्ष लगाए जाएँगे।
- इस कार्यक्रम में दीर्घकालिक प्रथाओं को शामिल किया गया है, जैसे कि पुनर्नवीनीकृत सामग्रियों से बने निमंत्रण कार्ड, प्रदूषण को रोकने के लिये इलेक्ट्रिक रिक्शा, सौर पैनलों का उपयोग और पुन: प्रयोज्य पानी की बोतलें।
- खेल अपशिष्ट का पुन: उपयोग:
- दौड़ते हुए खिलाड़ी और मोनाल पक्षी सहित विभिन्न प्रतीकों को पुन:प्रयोजनित खेल सामग्रियों से तैयार किया गया है।
- पूर्णतः ई-कचरे से बनी एक विशाल बाघ की मूर्ति खेलों में मुख्य आकर्षण बन गई है।
- फिटनेस और स्थिरता को बढ़ावा देना:
- पर्यावरण संरक्षण और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करने के लिये, कार्यक्रम स्थलों पर साइकिलें उपलब्ध कराई गई हैं।
- महिला स्वास्थ्य को प्राथमिकता:
- उत्तराखंड महिला एथलीटों के लिये एक विचारशील पहल के माध्यम से मासिक धर्म स्वास्थ्य जागरूकता को संबोधित कर रहा है।
- राज्य ने सैनिटरी पैड और अन्य आवश्यक वस्तुओं से युक्त किट पेश किये हैं, जिससे खेलों में महिलाओं के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये प्रशंसा प्राप्त हुई है।
- योग और मलखंब:
- पहली बार पारंपरिक भारतीय खेलों को राष्ट्रीय खेलों की पदक तालिका में शामिल किया गया है।
- स्थानीय संस्कृति और पर्यटन का उत्सव:
- उत्तराखंड ने यह सुनिश्चित किया है कि राष्ट्रीय खेलों में स्थानीय संस्कृति उजागर हो तथा इनका विस्तार महानगरीय केंद्रों से अधिक हो।
- टिहरी और अल्मोड़ा जैसे दर्शनीय स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, जिससे कम ज्ञात क्षेत्रों को बढ़ावा मिल रहा है।
- पहाड़ी विरासत को प्रदर्शित करना:
- झंगोरा और गहत दाल सहित पारंपरिक व्यंजन प्रस्तुत किये गए, जबकि ऐपण लोक कला को पोस्टर, बैनर और कार्यक्रम की सजावट में प्रदर्शित किया गया।
ऐपण कला
- ऐपण उत्तराखंड में महिलाओं द्वारा विशेष रूप से बनाई जाने वाली एक पारंपरिक लोक कला है।
- यह कलाकृति चावल के आटे से बने सफेद लेप (पेस्ट) का उपयोग करके ईंट-लाल पृष्ठभूमि पर फर्श पर बनाई जाती है।
- धार्मिक रूपांकनों, दोहरावदार ज्यामितीय पैटर्न और प्रकृति से प्रेरित तत्वों को तैयार करने के लिये केवल लाल और सफेद रंगों का उपयोग किया जाता है, जो इस क्षेत्र की विशिष्ट कलात्मक शैली को दर्शाता है।
- ऐपण घरेलू समारोहों, अनुष्ठानों और विशेष अवसरों का एक अभिन्न अंग है।
- ऐसा माना जाता है कि ये आकृतियाँ दैवीय शक्ति का आह्वान करती हैं, सौभाग्य लाती हैं और बुराई से रक्षा करती हैं।
मलखंब
- मलखंब एक पारंपरिक खेल है, जिसकी उत्पत्ति भारतीय उपमहाद्वीप में हुई है, इस खेल में एक जिमनास्ट एक ऊर्ध्वाधर स्थिर या लटकी हुई लकड़ी के खंभे, बेंत या रस्सी के साथ हवाई योग या जिमनास्टिक आसन और कुश्ती की तकनीकों का प्रदर्शन करते हैं।
- मलखंब नाम दो शब्दों से मिलकर बना है, मल्ला, जिसका अर्थ है पहलवान और खंब, जिसका अर्थ है खंभा। शाब्दिक अर्थ है "कुश्ती का खंभा", यह शब्द पहलवानों द्वारा उपयोग किये जाने वाले पारंपरिक प्रशिक्षण उपकरण को संदर्भित करता है।
- इस खेल में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र मुख्य केंद्र बने हुए हैं।