जल गंगा संवर्द्धन अभियान | मध्य प्रदेश | 07 Apr 2025
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश के नगरीय निकायों के जल-स्रोतों, नदी, तालाबों, कुआँ, बावड़ी के संरक्षण और पुनर्जीवन के लिये जल गंगा संवर्द्धन अभियान शुरू किया गया।
मुख्य बिंदु
- अभियान के बारे में:
- यह अभियान 30 मार्च 2025 को क्षिप्रा नदी के तट से आरंभ हुआ और 30 जून 2025 तक चलेगा।
- उद्देश्य:
- जल स्रोतों का संरक्षण: जल गंगा अभियान का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के जल-संरचनाओं (नदी, तालाब, कुए, बावड़ी आदि) का संरक्षण और पुनर्जीवन करना है।
- इसमें गंदे पानी के नालों को स्वच्छ भारत मिशन-2.0 के अंतर्गत शोधित करने की योजना भी शामिल है।
- जन-भागीदारी को बढ़ावा देना: इस अभियान में नगरीय निकायों द्वारा नागरिकों, विशेष रूप से महिलाओं, की भागीदारी सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है।
- विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक अवसरों पर आयोजन: अभियान के दौरान गंगा दशहरा (5 जून) और बट सावित्री पूर्णिमा जैसे विशेष दिनों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, पौधारोपण और वृक्षारोपण जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
- इन आयोजनों के माध्यम से जल संरचनाओं और प्रकृति के महत्त्व को उजागर किया जाएगा।
- प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और संवर्द्धन: इस अभियान में जल संरचनाओं के आसपास हरित क्षेत्र (ग्रीन बेल्ट) बनाने की योजना है और जल संरचनाओं के गहरीकरण के दौरान निकली मिट्टी को किसानों को दिया जाएगा, जिससे प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके।
- दिशा-निर्देश और कार्यान्वयन:
- स्वच्छ भारत मिशन-2.0 के तहत जल संरचनाओं में मिलने वाले गंदे पानी के नालों को डायवर्जन के बाद शोधित करना।
- पेयजल सुविधा के लिये शहर के प्रमुख स्थानों पर प्याऊ की व्यवस्था।
- रैन-वॉटर हॉर्वेस्टिंग प्रणाली को कॉलोनियों में स्थापित करना।
- लीकेज सुधारने की व्यवस्था ताकि पानी का अपव्यय न हो।
- जलदूत, जल मित्र और अमृत मित्र तैयार करना।
स्वच्छ भारत मिशन (SBM):
- परिचय
- यह एक वृहत जन आंदोलन है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत का निर्माण करना था।
2 अक्टूबर 2014 (गांधी जयंती) के अवसर पर स्वच्छ भारत मिशन की नींव रखी। यह मिशन सभी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को दायरे में लेता है।
- इस मिशन के शहरी घटक का क्रियान्वयन आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा और ग्रामीण घटक का क्रियान्वयन जल शक्ति मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
- स्वच्छ भारत मिशन-शहरी:
- चरण 1:
- कार्यक्रम में खुले में शौच (open defecation) का उन्मूलन करना, गंदे शौचालयों को फ्लश शौचालयों में बदलना, हाथ से मैला ढोने की प्रथा का उन्मूलन करना, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और स्वस्थ स्वच्छता अभ्यासों के संबंध में लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना शामिल है।
- मिशन 1.04 करोड़ घरों को कवर करने, 2.5 लाख सामुदायिक शौचालय एवं 2.6 लाख सार्वजनिक शौचालय प्रदान करने और प्रत्येक शहर में एक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा का निर्माण करने का लक्ष्य रखता है।
- सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के लिये अपेक्षित सहायता के रूप में केंद्र सरकार द्वारा सामुदायिक शौचालय के निर्माण की लागत का 40% तक व्यवहार्यता अंतराल वित्तपोषण (VGF)/एकमुश्त अनुदान के रूप में प्रदान किया जाएगा। SBM दिशानिर्देशों के अनुसार, राज्य/केंद्रशासित प्रदेश उक्त घटक के लिये अतिरिक्त 13.33% प्रदान करेंगे।
- पूर्वोत्तर राज्यों और विशेष श्रेणी के राज्यों को केवल 4% योगदान देना होगा। धन की व्यवस्था शहरी स्थानीय निकाय द्वारा नवोन्मेषी तंत्रों के माध्यम से करनी होगी। सामुदायिक शौचालय की प्रति सीट अनुमानित लागत 65,000 रुपए है।
- चरण 2:
- SBM-U 2.0 में सभी शहरों को ‘कूड़ा मुक्त’ बनाने और ‘अमृत’ (AMRUT) के अंतर्गत शामिल शहरों के अलावा अन्य सभी शहरों में गंदले जल (grey and black water) प्रबंधन को सुनिश्चित करने, सभी शहरी स्थानीय निकायों को ODF+ में परिणत करने तथा 1 लाख से कम आबादी वाले शहरों को ODF++ में परिणत करने की परिकल्पना की गई है, ताकि शहरी क्षेत्रों में सुरक्षित स्वच्छता के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
- मिशन ठोस अपशिष्टों के स्रोत पर पृथक्करण, 3Rs (reduce, reuse, recycle) के सिद्धांतों के उपयोग, सभी प्रकार के नगरपालिका ठोस अपशिष्ट के वैज्ञानिक प्रसंस्करण और प्रभावी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिये पुराने डंपसाइटों के उपचार पर ध्यान केंद्रित करता है। वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिये SBM-U 2.0 का परिव्यय लगभग 1.41 लाख करोड़ रुपए है।
मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा | मध्य प्रदेश | 07 Apr 2025
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में मध्य प्रदेश के नगरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिये मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा की शुरुआत को मंजूरी दी गई।
मुख्य बिंदु
- परिवहन सेवा के बारे में:
-
उद्देश्य:
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य मध्य प्रदेश के नगरों और ग्रामीण इलाकों में यात्रियों के लिये एक सुविधाजनक, सुरक्षित और सुव्यवस्थित यात्री परिवहन व्यवस्था स्थापित करना है।
- इस योजना के तहत, ग्रामीण और साधारण मार्गों पर बस सेवाओं का विस्तार किया जाएगा, जिससे लोग आसानी से यात्रा कर सकेंगे और उन्हें नियमित, सुरक्षित और सुलभ परिवहन सुविधाएँ उपलब्ध होंगी।
- वित्तीय स्वीकृति और संरचना:
- इस परियोजना के लिये 101 करोड़ 20 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई है।
- कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत राज्य स्तर पर एक होल्डिंग कंपनी का गठन किया जाएगा, जो सात संभागीय कंपनियों के नियंत्रण को एकीकृत करेगी।
- रीवा और ग्वालियर के लिये नए क्षेत्रीय कंपनियों का गठन किया जाएगा और इन कंपनियों की निगरानी के लिये त्रि-स्तरीय संरचना का निर्माण होगा।
- संपत्ति और संसाधनों का उपयोग:
- सिटी ट्रांसपोर्ट कंपनियों द्वारा उपयोग में लाई गई चल-अचल संपत्तियाँ, जैसे बस टर्मिनल और बस स्टॉप, होल्डिंग कंपनी द्वारा सामंजस्य से विकसित की जाएंगी।
- नगर निगम और अन्य प्राधिकरणों द्वारा विकसित संपत्तियों का मूल्यांकन किया जाएगा और उनकी राशि का भुगतान परिवहन विभाग द्वारा किया जाएगा।
- नियमों में संशोधन:
- मध्य प्रदेश मोटरयान नियम, 1994 में आवश्यक संशोधन की सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई है, ताकि परिवहन से जुड़े नियमों में समायोजन किया जा सके।
- बस संचालन के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल अपनाया जाएगा, जिससे निजी बस ऑपरेटरों को व्यवस्थित रूप से विनियमित किया जाएगा
कंपनी अधिनियम, 2013
- कंपनी अधिनियम, 2013 भारत में 30 अगस्त 2013 को लागू हुआ था।
- यह अधिनियम भारत में कंपनियों के निर्माण से लेकर उनके समापन तक सभी स्थितियों में मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।
- कंपनी अधिनियम के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल’ (NCTL) की स्थापना की गई है।
- उल्लेखनीय है कि कंपनी अधिनियम, 2013 ने ही ‘एक व्यक्ति कंपनी’ (One Person Company) की अवधारणा की शुरुआत की।
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल
- PPP परियोजना का अर्थ है किसी भी परियोजना के लिये सरकार या उसकी किसी वैधानिक संस्था और निजी क्षेत्र के बीच हुआ लंबी अवधि का समझौता।
- इस समझौते के तहत शुल्क लेकर ढाँचागत सेवा प्रदान की जाती है। इसमें आमतौर पर दोनों पक्ष मिलकर एक स्पेशल परपज व्हीकल (SPV) गठित करते हैं, जो परियोजना पर अमल का काम करता है।
- आज अवसंरचना के कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों, जैसे- सड़क, रेल, नवीकरणीय ऊर्जा, बंदरगाह, हवाई-अड्डा, पाइपलाइन और शहरी ढाँचागत क्षेत्र आदि में निवेश के लिये PPP मॉडल को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- लाभ-
- PPP मॉडल अपनाने से परियोजनाएँ सही लागत पर और समय से पूरी हो जाती हैं।
- PPP से काम समय से पूरा होने के कारण निर्धारित परियोजनाओं से होने वाली आय भी समय से शुरू हो जाती है, जिससे सरकार की आय में भी बढ़ोतरी होने लगती है।
- परियोजनाओं को पूरा करने में श्रम और पूंजी संसाधन की प्रोडक्टिविटी बढ़ाकर अर्थव्यवस्था की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
- PPP मॉडल के तहत किये गए काम की गुणवत्ता सरकारी काम की तुलना में अच्छी होती है और साथ ही काम अपने निर्धारित योजना के अनुसार होता है।