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देश की पहली लिथियम ग्रेड रिफाइनरी
चर्चा में क्यों?
लोहुम कंपनी ने ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश में देश की पहली लिथियम ग्रेड रिफाइनरी की शुरुआत की।
मुख्य बिंदु
- उत्पादन क्षमता और दक्षता
- यह रिफाइनरी 1,000 मीट्रिक टन बैटरी-ग्रेड लिथियम सालाना उत्पादन करेगी। वर्ष 2029 में इसकी क्षमता 20 हज़ार टन हो जाएगी।
- ई-वेस्ट से निकलने वाले ब्लैक मास को रिसाइकिल कर उसमें से लिथियम उत्सर्जित किया जाएगा।
- इसके अतिरिक्त, कंपनी कैथोड एक्टिव मटीरियल (CAM) के उत्पादन में अपनी क्षमताओं का विस्तार कर रही है, जो बड़े पैमाने पर लिथियम-आयन बैटरी उत्पादन के लिये आवश्यक घटक है।
- कंपनी वर्तमान में भारत में 90 प्रतिशत से अधिक लिथियम को रिफाइन कर रही है।
- कंपनी के अनुसार इसकी तकनीकी दक्षता चीन की तुलना में प्रतिस्पर्द्धात्मक और अमेरिकी/यूरोपीय सुविधाओं की तुलना में अधिक किफायती है।
- लिथियम रिफाइनिंग:
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इलेक्ट्रिक वाहनों (EV), स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में लिथियम-आयन बैटरियों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
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आने वाले वर्षों में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी भंडारण की मांग तेज़ी से बढ़ने वाली है, जिससे लिथियम की ज़रूरत भी बढ़ेगी।
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भारत की लिथियम आपूर्ति का बड़ा हिस्सा चीन से आता है, जो भारत के लिये एक रणनीतिक और आर्थिक चुनौती है। .
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लोहुम का यह विस्तार भारत को इस निर्भरता से मुक्त करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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लिथियम
परिचय:
- यह एक रासायनिक तत्त्व है जिसका प्रतीक (Li) है।
- यह एक नरम तथा चाँदी के समान सफेद धातु है।
- मानक परिस्थितियों में यह सबसे हल्की धातु और सबसे हल्का ठोस तत्त्व है।
- यह अत्यधिक प्रतिक्रियाशील और ज्वलनशील है, अत: इसे खनिज तेल के रूप में संगृहीत किया जाना चाहिये।
- यह क्षारीय एवं एक दुर्लभ धातु है।
- क्षार धातुओं में लिथियम, सोडियम, पोटेशियम, रुबिडियम, सीज़ियम और फ्रेंशियम रासायनिक तत्त्व शामिल होते हैं। ये हाइड्रोजन के साथ मिलकर समूह-1 (group- 1) जो आवर्त सारणी (Periodic Table) के एस-ब्लॉक (s-block) में स्थित है, का निर्माण करते हैं।
- दुर्लभ धातुओं (Rare Metals- RM) में नायोबियम (Nb), टैंटेलम (Ta), लिथियम (Li), बेरिलियम (Be), सीज़ियम (Cs) आदि और दुर्लभ मृदा तत्त्वों (Rare Earths- RE) में स्कैंडियम (Sc) तथा इट्रियम (Y) के अलावा लैंटेनियम (La) से लुटीशियम (Lu) तक के तत्त्व शामिल हैं।
- ये धातुएँ अपने सामरिक महत्त्व के कारण परमाणु और अन्य उच्च तकनीकी उद्योगों जैसे- इलेक्ट्रॉनिकस, दूरसंचार, सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, रक्षा आदि में उपयोग की जाती हैं।


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पाँच शहरों को मिलेगी यूनेस्को की मान्यता
चर्चा में क्यों
उत्तर प्रदेश सरकार राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और उसे विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के उद्देश्य से 5 शहरों को अमूर्त विरासत और रचनात्मक शहरों के रूप में यूनेस्को की मान्यता हेतु आवेदन करेगी।
मुख्य बिंदु
- चयनित सांस्कृतिक शहर (तत्त्व)
- कन्नौज का इत्र
- ब्रज की होली
- वाराणसी की गंगा आरती
- फिरोज़ाबाद की कांच कला
- आज़मगढ़ (निजामाबाद) की ब्लैक पॉटरी
- प्रयास:
- इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश सरकार बुंदेलखंड की लोककला एवं लोक साहित्य को भी मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल कराने के लिये प्रयास कर रही है।
- कन्नौज के इत्र के लिये देग-भापका विधि, ऐतिहासिक महत्त्व, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और पारंपरिक प्रक्रियाओं पर शोध किया जाएगा।
- वाराणसी की गंगा आरती के ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और अनुष्ठानिक महत्त्व पर अध्ययन किया जाएगा।
- ब्रज की होली विशेष रूप से लट्ठमार होली को प्रमुखता दी जाएगी।
- बुंदेलखंड के आल्हा गायन व राई नृत्य, आज़मगढ़ की ब्लैक पॉटरी और फिरोज़ाबाद के कांच उद्योग पर शोध कर दस्तावेज तैयार किये जाएंगे।
- इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश सरकार बुंदेलखंड की लोककला एवं लोक साहित्य को भी मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल कराने के लिये प्रयास कर रही है।
- ऐतिहासिक संदर्भ:
- वर्ष 2017 में केंद्र व प्रदेश सरकार के प्रयासों से कुंभ को पहली बार यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता दी गई थी।
- प्रभाव और संभावित लाभ:
- वैश्विक मान्यता मिलने से इन सांस्कृतिक विरासतों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार मिलेगा।
- पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
- स्थानीय कारीगरों, कलाकारों और परंपरागत उद्योगों को संरक्षण मिलेगा, जिससे उनकी आजीविका को बल मिलेगा।
- संस्कृति और धरोहर के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, जिससे ये परंपराएं आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रहेंगी।
यूनेस्को
- संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़रायल ने यूनेस्को की सदस्यता वर्ष 2019 में औपचारिक रूप से छोड़ दी थी।
- संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन' (UNESCO), संयुक्त राष्ट्र (United Nation- UN) की एक विशेष एजेंसी है। यह संगठन शिक्षा, विज्ञान एवं संस्कृति के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से शांति स्थापित करने का प्रयास करता है।
- यूनेस्को के कार्यक्रम एजेंडा 2030 में परिभाषित सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) की प्राप्ति में योगदान करते हैं, जिसे 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया था।
- इसके 193 सदस्य देश और 11 संबद्ध सदस्य हैं। भारत वर्ष 1946 में यूनेस्को में शामिल हुआ था।
- इसका मुख्यालय पेरिस (फ्राँस) में है।

