उत्तराखंड Switch to English
तीसरी भारतीय विश्लेषणात्मक कॉन्ग्रेस (IAC)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड के देहरादून में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (CSIR-IIP) में तीसरे भारतीय विश्लेषणात्मक कॉन्ग्रेस (IAC) का उद्घाटन किया गया।
- यह तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन सह प्रदर्शनी IAC-2024 है। इसका आयोजन CSIR-IIP और इंडियन सोसायटी ऑफ एनालिटिकल साइंटिस्ट (ISAS-दिल्ली चैप्टर) की ओर से संयुक्त रूप से किया जा रहा है।
मुख्य बिंदु:
- सम्मेलन की थीम ‘हरित परिवर्तनों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका’ है।
- तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन विश्लेषणात्मक विज्ञान में उद्योगों, शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों के लिये इस क्षेत्र में प्रचलित तथा आगामी समाधानों को प्रस्तुत करने के लिये एक मंच प्रदान करेगा।
- सम्मेलन में पाँच तकनीकी सत्र होंगे, जिनमें प्रख्यात वक्ताओं की वार्त्ता, शोधकर्त्ताओं की प्रस्तुतियाँ और विशेष तथा पूर्ण सत्र शामिल होंगे।
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)
- परिचय: वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) भारत का सबसे बड़ा अनुसंधान एवं विकास (R&D) संगठन है। CSIR एक अखिल भारतीय संस्थान है जिसमें 37 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 दूरस्थ केंद्रों, 3 नवोन्मेषी परिसरों और 5 इकाइयों का एक सक्रिय नेटवर्क शामिल है।
- CSIR का वित्तपोषण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा किया जाता है तथा यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय के रूप में पंजीकृत है।
- CSIR अपने दायरे में रेडियो एवं अंतरिक्ष भौतिकी (Space Physics), समुद्र विज्ञान (Oceanography), भू-भौतिकी (Geophysics), रसायन, ड्रग्स, जीनोमिक्स (Genomics), जैव प्रौद्योगिकी और नैनोटेक्नोलॉजी से लेकर खनन, वैमानिकी (Aeronautics), उपकरण विज्ञान (Instrumentation), पर्यावरण अभियांत्रिकी तथा सूचना प्रौद्योगिकी तक की एक विस्तृत विषय शृंखला को शामिल करता है।
- यह सामाजिक प्रयासों के संबंध में कई क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण तकनीकी हस्तक्षेप प्रदान करता है जिसमें पर्यावरण, स्वास्थ्य, पेयजल, भोजन, आवास, ऊर्जा, कृषि-क्षेत्र और गैर-कृषि क्षेत्र शामिल हैं।
- स्थापना: सितंबर 1942
- मुख्यालय: नई दिल्ली
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विश्व पर्यावरण दिवस
चर्चा में क्यों?
पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
मुख्य बिंदु:
- हाल ही में वनों की कटाई/निर्वनीकरण से निपटने के लिये एक उल्लेखनीय पहल करते हुए दो पर्यावरणविदों, जय धर गुप्ता और विजय धस्माना ने उत्तराखंड के राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के भीतर एक टाइगर रिज़र्व में भारत का पहला बायोस्फीयर बनाया, जिसे राजाजी राघाटी बायोस्फीयर (RRB) कहा जाता है।
- बायोस्फीयर एक 35 एकड़ की निजी वन पहल है जिसका उद्देश्य क्षेत्र को शिकारियों और खनन से बचाते हुए देशी वृक्षों की दुर्लभ तथा लुप्तप्राय प्रजातियों की पहचान करना एवं उन्हें पुनर्जीवित करना है।
- RRB के लिये निर्धारित भूमि पहले बंजर और क्षरित अवस्था में थी।
- वे पश्चिमी घाट के साथ महाराष्ट्र के पुणे के पास सह्याद्री टाइगर रिज़र्व के बफर ज़ोन में कोयना नदी के ऊपर एक दूसरा बायोस्फीयर भी विकसित कर रहे हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस
- परिचय:
- संयुक्त राष्ट्र सभा ने वर्ष 1972 में विश्व पर्यावरण दिवस की स्थापना की, जो मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम कन्वेंशन का प्रथम दिन था।
- विश्व पर्यावरण दिवस (WED) प्रतिवर्ष एक विशिष्ट थीम और नारे के साथ मनाया जाता है जो उस समय के प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों पर केंद्रित होता है।
- वर्ष 2024 में WED की मेज़बानी सऊदी अरब करेगा।
- भारत ने वर्ष 2018 में ‘प्लास्टिक प्रदूषण को हराएँ’ थीम के अंतर्गत विश्व पर्यावरण दिवस के 45वें समारोह की मेज़बानी की।
- वर्ष 2021 में WED समारोह ने पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक (2021-2030) की शुरुआत की, जो वनों से लेकर खेतों तक, पर्वतों की चोटियों से लेकर सागर की गहराई तक अरबों हेक्टेयर भूमि को पुनर्जीवित करने का एक वैश्विक मिशन है।
- वर्ष 2024 की थीम:
- भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की क्षमता।
- वर्ष 2024 मरुस्थलीकरण रोकथाम हेतु संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UN Convention to Combat Desertification- UNCCD) की 30वीं वर्षगाँठ भी होगी।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा में GST भवन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के अध्यक्ष ने हरियाणा के रोहतक में केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST) के आधिकारिक परिसर, वस्तु एवं सेवा कर (GST) भवन का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु:
- रोहतक के सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक पर स्थित यह परियोजना हरियाणा के प्रमुख ज़िलों से कनेक्टिविटी के केंद्र में है और GST करदाताओं की सुविधा के लिये आसान एवं त्वरित पहुँच है।
- अमृत काल में परियोजना का उद्घाटन नए भारत की क्षमता को दर्शाता है।
- CBIC वित्त मंत्रालय के अधीन राजस्व विभाग का एक हिस्सा है।
- GST लागू होने के बाद वर्ष 2018 में केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBEC) का नाम बदलकर CBIC कर दिया गया।
- यह सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर और IGST के संग्रहण और वसूली से संबंधित नीति तैयार करने, तस्करी की रोकथाम तथा CBIC के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST), एकीकृत GST व नारकोटिक्स से संबंधित मामलों के प्रशासन के कार्यों से संबंधित है।
वस्तु एवं सेवा कर (GST)
- परिचय: GST एक मूल्य वर्द्धित कर प्रणाली है जो भारत में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है।
- यह एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है जिसे 1 जुलाई, 2017 को 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के माध्यम से 'एक राष्ट्र एक कर' के नारे के साथ भारत में लागू किया गया था।
- GST परिषद: GST परिषद एक संवैधानिक निकाय है जो भारत में GST के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दों पर सिफारिशें करने के लिये ज़िम्मेदार है।
- संशोधित संविधान के अनुच्छेद 279A (1) के अनुसार, GST परिषद का गठन राष्ट्रपति द्वारा किया गया था।
- CGST: GST के तहत, CGST एक कर है जो केंद्र सरकार द्वारा वस्तुओं और सेवाओं दोनों की अंतर्राज्यीय आपूर्ति पर लगाया जाता है व केंद्र सरकार द्वारा एकत्र किया जाता है तथा इसके कोष में योगदान देता है।
- IGST: यह वस्तुओं और/या सेवाओं की सभी अंतर्राज्यीय आपूर्तियों पर या दो या अधिक राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में लगाया जाने वाला कर है।
- SGST: SGST के बराबर राशि एक कर है जो उस विशेष राज्य सरकार द्वारा वस्तुओं और सेवाओं दोनों की अंतर्राज्यीय आपूर्ति पर लगाया जाता है, जहाँ बेची गई वस्तु का उपभोग किया जाता है।
मध्य प्रदेश Switch to English
प्रोजेक्ट चीता
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केन्याई प्रतिनिधिमंडल ने भारत का दौरा किया तथा वन्यजीव संरक्षण प्रयासों पर सहयोग पर चर्चा की, जिसमें चल रहे चीता पुनर्वास परियोजना (प्रोजेक्ट चीता) पर विशेष ज़ोर दिया गया।
मुख्य बिंदु
- प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के समक्ष सहयोग का प्रस्ताव करते हुए एक मसौदा समझौता ज्ञापन प्रस्तुत किया।
- क्षमता निर्माण और ज्ञान साझा करने के साथ-साथ इसमें क्षेत्रीय गश्त एवं वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को बढ़ाने के लिये केन्याई वन रेंजरों को उपकरण आपूर्ति करने का प्रावधान भी शामिल है।
- प्रोजेक्ट चीता:
- परियोजना का पहला चरण वर्ष 2022 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य देश में वर्ष 1952 में विलुप्त घोषित किये गए चीतों की आबादी को बहाल करना है।
- इसमें दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से चीतों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित करना शामिल है।
- यह परियोजना NTCA द्वारा मध्य प्रदेश वन विभाग और भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India- WII) के सहयोग से कार्यान्वित किया गया है।
- परियोजना के दूसरे चरण के अंतर्गत भारत समान आवासों के कारण केन्या से चीते मंगाने पर विचार कर रहा है।
- चीतों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य (मध्य प्रदेश) में स्थानांतरित किया जाएगा।
- परियोजना का पहला चरण वर्ष 2022 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य देश में वर्ष 1952 में विलुप्त घोषित किये गए चीतों की आबादी को बहाल करना है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना के लिये राष्ट्रीय स्तरीय समन्वय समिति (NLCC) की पहली बैठक नई दिल्ली में हुई।
- इस योजना में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) को बहु-सेवा समितियों में परिवर्तित करने की परिकल्पना की गई है।
मुख्य बिंदु:
- पायलट परियोजना को राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) द्वारा राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD), भारतीय खाद्य निगम (FCI), केंद्रीय भंडारण निगम (CWC), नाबार्ड परामर्श सेवाएँ (NABCONS) के सहयोग से संबंधित राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के समन्वय से कार्यान्वित किया गया है।
- NCDC नई दिल्ली स्थित अपने प्रधान कार्यालय और अनेक क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से कार्य करता है।
- NCDC की स्थापना वर्ष 1963 में संसद के एक अधिनियम द्वारा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत एक सांविधिक निगम के रूप में की गई थी।
- NCDC नई दिल्ली स्थित अपने प्रधान कार्यालय और अनेक क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से कार्य करता है।
- समिति ने 11 राज्यों में अपनी पायलट परियोजना के कार्यान्वयन की स्थिति की समीक्षा की, जिसे वर्ष 2023 में शुरू किया जाना है।
- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, असम, त्रिपुरा, उत्तराखंड और तेलंगाना राज्यों ने इसकी पायलट परियोजना को क्रियान्वित किया है।
- योजना में विभिन्न मौजूदा योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से PACS स्तर पर विभिन्न कृषि बुनियादी ढाँचे के निर्माण की परिकल्पना की गई है, जिसमें गोदाम, कस्टम हायरिंग सेंटर, प्रसंस्करण इकाइयाँ, उचित मूल्य की दुकानें आदि शामिल हैं:
- कृषि अवसंरचना कोष (AIF), कृषि विपणन अवसंरचना योजना (AMI), कृषि मशीनीकरण उप मिशन (SMAM), प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण योजना (PMFME) आदि।
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