हरियाणा Switch to English
हरियाणा: किसानों से सभी फसलें MSP पर खरीदने वाला पहला राज्य
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री ने राज्य में सभी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price- MSP) पर खरीद की घोषणा की, इस प्रकार यह देश में सभी फसलों की MSP पर खरीदने वाला पहला राज्य बन गया।
मुख्य बिंदु:
- मुख्यमंत्री ने नहर जल सिंचाई शुल्क के बकाया में 133 करोड़ रुपए माफ करने की भी घोषणा की।
- रोहतक, नूंह, फतेहाबाद और सिरसा में प्राकृतिक आपदा के कारण फसल को हुए नुकसान से पीड़ित किसानों को वर्ष 2023 से पहले एक सप्ताह के भीतर 137 करोड़ रुपए का लंबित मुआवज़ा देने की भी घोषणा की गई।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price- MSP)
- MSP वह गारंटीकृत राशि है जो किसानों को तब दी जाती है जब सरकार उनकी फसल खरीदती है।
- MSP कृषि लागत और मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices- CACP) की सिफारिशों पर आधारित है, जो उत्पादन लागत, मांग तथा आपूर्ति, बाज़ार मूल्य रुझान, अंतर-फसल मूल्य समानता आदि जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करता है।
- CACP कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है। यह जनवरी 1965 में अस्तित्व में आया।
- भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs- CCEA) MSP के स्तर पर अंतिम निर्णय (अनुमोदन) लेती है।
- MSP का उद्देश्य उत्पादकों को उनकी फसल के लिये लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करना है।
बिहार Switch to English
बिहार में अडानी सीमेंट का निवेश
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री ने बिहार के नवादा ज़िले के वारिसलीगंज औद्योगिक क्षेत्र में गौतम अडानी की अंबुजा सीमेंट लिमिटेड (Ambuja Cement Limited- ACL) की सहायक कंपनी अंबुजा कंक्रीट नॉर्थ प्राइवेट लिमिटेड की 1,600 करोड़ रुपए की सीमेंट ग्राइंडिंग इकाई की आधारशिला रखी।
मुख्य बिंदु
- 6 मिलियन टन प्रतिवर्ष (MTPA) की परियोजना को चरणों में क्रियान्वित किया जाएगा, जिसका पहला चरण दिसंबर 2025 तक पूरा हो जाएगा। इससे 250 प्रत्यक्ष नौकरियाँ और 1,000 अप्रत्यक्ष नौकरियाँ सृजित होंगी।
- सीमेंट इकाई से सरकार को वार्षिक आधार पर 250 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने का अनुमान है।
- बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण ने सीमेंट इकाई की स्थापना के लिये 73 एकड़ भूमि आवंटित की है।
- अडानी समूह ने बिहार में मुज़फ्फरपुर के मोतीपुर में एक नए सीमेंट संयंत्र, पटना के पास एक लॉजिस्टिक गोदाम और अररिया, किशनगंज तथा बेगूसराय में कृषि लॉजिस्टिक गोदामों के लिये 5,500 करोड़ रुपए के अतिरिक्त निवेश का भी प्रस्ताव दिया है।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
चर्चा में क्यों?
विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तराखंड में हुई भारी वर्षा बादल फटने के कारण नहीं हुई, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को दर्शाती है, जो भारतीय हिमालय की ऐसी तीव्र वर्षा के लिये तैयारियों की कमी को उजागर करती है।
मुख्य बिंदु
- रुद्रप्रयाग, देहरादून, पौड़ी और टिहरी गढ़वाल ज़िलों में भारी वर्षा के कारण जान-माल के नुकसान की खबर है।
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मौसम विज्ञानी के अनुसार, 'बादल फटना' एक घंटे में 100 मिमी. से अधिक वर्षा को कहा जाता है।
- इस मामले में केदारनाथ में बादल नहीं फटा, लेकिन नैनीताल और देहरादून में एक घंटे में 50 मिमी. से अधिक तथा सोनप्रयाग में एक घंटे में 30 मिमी. से अधिक बारिश दर्ज की गई।
- उच्च पर्वतीय क्षेत्रों की संवेदनशील भू-आकृति विज्ञान संबंधी स्थितियों के कारण कम वर्षा भी अधिक नुकसान पहुँचाती है।
- भूस्खलन तीव्र ढलान, भूमि के आकार और मृदा की प्रकृति के कारण होता है, जिससे व्यापक क्षति होती है।
- भूगर्भीय दृष्टि से युवा हिमालय पर्वतमाला भारी वर्षा के लिये नहीं बनी है तथा जलवायु परिवर्तन के कारण पर्वतों में गर्मी एवं वर्षा दोनों की तीव्रता बढ़ रही है।
भूस्खलन
- भूस्खलन को चट्टान, मलबे या मृदा के द्रव्यमान का ढलान से नीचे खिसकना कहा जाता है।
- यह एक प्रकार का सामूहिक क्षय (Mass Wasting) है, जो गुरुत्वाकर्षण के प्रत्यक्ष प्रभाव के तहत मृदा और चट्टान के नीचे की ओर होने वाले किसी भी प्रकार के संचलन को दर्शाता है।
- भूस्खलन शब्द में ढलान संचलन के पाँच तरीके शामिल हैं: गिरना (Fall), लटकना (Topple), फिसलना (Slide), फैलाव (Spread) और प्रवाह (Flow)।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड स्थापना दिवस से पहले UCC
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि उनका राज्य स्थापना दिवस (9 नवंबर, 2024) से पहले समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करेगा।
मुख्य बिंदु
- UCC विधेयक 6 फरवरी, 2024 को राज्य विधानसभा में पेश किया गया था और 7 फरवरी, 2024 को उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान पारित किया गया था।
- भारत में विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और संपत्ति के अधिकार जैसे व्यक्तिगत मामलों के लिये समान नियम स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया था, जो सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होते हैं, चाहे उनका धर्म, लिंग या यौन अभिविन्यास कुछ भी हो।
- प्रस्तावित कानून में 392 धाराएँ हैं, जिन्हें चार भागों और सात अध्यायों में विभाजित किया गया है, जो महिलाओं को विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता तथा संपत्ति के उत्तराधिकार में समान अधिकार प्रदान करते हैं, यह कानून कुछ संबंधों को प्रतिबंधित करता है, बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाता है, पुरुषों एवं महिलाओं के लिये विवाह योग्य आयु (क्रमशः 21 वर्ष और 18 वर्ष) निर्धारित करता है व विवाह का पंजीकरण अनिवार्य बनाता है।
- राज्य की अनुसूचित जनजाति की आबादी, जो कुल जनसंख्या का 2.89% है, को इस कानून से छूट दी गई है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
शारीरिक दंड
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक छात्र को आत्महत्या के लिये उकसाने की आरोपी एक महिला शिक्षक की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अनुशासन या शिक्षा के नाम पर स्कूल में किसी बच्चे को शारीरिक दंड देना क्रूरता है।
मुख्य बिंदु
न्यायालय के अनुसार, बच्चे को शारीरिक दंड देना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा गारंटीकृत उसके जीवन के अधिकार के अनुरूप नहीं है। छोटा होना किसी बच्चे को वयस्क से कमतर/छोटा नहीं बनाता।
शारीरिक दंड
- परिचय:
- बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र समिति द्वारा शारीरिक दंड को परिभाषित किया गया है, "कोई भी दंड जिसमें शारीरिक बल का उपयोग किया जाता है और बच्चों के लिये कुछ हद तक दर्द अथवा परेशानी उत्पन्न करने का इरादा होता है, चाहे वह दंड कितना भी सरल क्यों न हो।"
- समिति के अनुसार, इसमें ज़्यादातर बच्चों को हाथ या डंडे, बेल्ट आदि से मारना (पीटना, थप्पड़ मारना) सम्मिलित है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, शारीरिक या शारीरिक दंड वैश्विक स्तर पर घरों तथा स्कूलों दोनों में अत्यधिक प्रचलित है।
- 2 वर्ष से 14 वर्ष की आयु के लगभग 60% बच्चे नियमित रूप से अपने माता-पिता या अन्य देखभाल करने वालों द्वारा शारीरिक रूप से दंडित किये जाते हैं।
- भारत में बच्चों के लिये 'शारीरिक दंड' की कोई वैधानिक परिभाषा नहीं है।
- बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र समिति द्वारा शारीरिक दंड को परिभाषित किया गया है, "कोई भी दंड जिसमें शारीरिक बल का उपयोग किया जाता है और बच्चों के लिये कुछ हद तक दर्द अथवा परेशानी उत्पन्न करने का इरादा होता है, चाहे वह दंड कितना भी सरल क्यों न हो।"
- शारीरिक दंड के प्रकार:
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा परिभाषित शारीरिक दंड में कोई भी ऐसा कार्य शामिल है जो किसी बच्चे को दर्द, चोट या हानि पहुँचाता है।
- इसमें बच्चों को असुविधाजनक स्थिति में खड़ा करना शामिल है, जैसे बेंच पर खड़ा होना, दीवार के सहारे कुर्सी की तरह खड़ा होना या सिर पर स्कूल बैग रखना।
- इसमें पैरों में हाथ डालकर कान पकड़ना, घुटनों के बल बैठना, जबरन पदार्थ खिलाना एवं बच्चों को स्कूल परिसर के भीतर बंद स्थानों तक सीमित रखना जैसी प्रथाएँ भी शामिल हैं।
- मानसिक उत्पीड़न का संबंध गैर-शारीरिक दुर्व्यवहार से है जो बच्चों के शैक्षणिक और मनोवैज्ञानिक कल्याण पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
- दंड के इस रूप में व्यंग्य, अपशब्दों तथा अपमानजनक भाषा का उपयोग करके डाँटना, डराना और अपमानजनक टिप्पणियों का उपयोग जैसे व्यवहार शामिल हैं।
- इसमें बच्चे का उपहास करना, उसका अपमान करना या उसे लज्जित करना, भावनात्मक कष्ट और समस्याग्रस्त वातावरण निर्मित करना जैसे कार्य भी शामिल हैं।
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा परिभाषित शारीरिक दंड में कोई भी ऐसा कार्य शामिल है जो किसी बच्चे को दर्द, चोट या हानि पहुँचाता है।
झारखंड Switch to English
झारखंड में चेतावनी जारी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में झारखंड के पूर्वी सिंहभूम ज़िले में अत्यधिक वर्षा के बाद नदियों के उफान पर होने के कारण निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के लिये चेतावनी जारी किया गया।
- राज्य में लगातार हो रही बारिश के कारण खरकई और सुवर्णरेखा नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है।
मुख्य बिंदु:
- पड़ोसी सरायकेला-खरसावाँ ज़िले में स्थित चांडिल बाँध से लगभग 3,500 क्यूसेक जल सुवर्णरेखा नदी में छोड़ा गया।
- प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले निवासियों को नदियों के पास जाने से बचने तथा प्राधिकारियों द्वारा दिये गए निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया गया है।
- लगातार हो रही वर्षा के कारण विभिन्न सड़क मार्ग बह गए, वृक्ष उखड़ गए, मकान क्षतिग्रस्त हो गए और एक पुल ढह गया।
सुवर्णरेखा नदी
- सुवर्णरेखा (स्वर्ण रेखा) नदी झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्यों से होकर प्रवाहित होती है।
- प्रमुख सहायक नदियाँ: काँची नदी और खरकई नदी
खरकई नदी
- यह सुवर्णरेखा नदी की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है।
- यह जमशेदपुर के आदित्यपुर क्षेत्र से होकर प्रवाहित होती है।
- इसका उद्गम ओडिशा के मयूरभंज ज़िले में होता है।
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