ऑपरेशन भेड़िया | उत्तर प्रदेश | 04 Sep 2024
चर्चा में क्यों
हाल ही में वन विभाग ने मेहसी तहसील में भेड़ियों के एक झुंड के हमलों की एक शृंखला के बाद ‘ऑपरेशन भेड़िया (Wolf)’ शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप पिछले 45 दिनों में छह बच्चों और एक महिला की मौत हो गई और लगभग 30 घायल हो गए।
मुख्य बिंदु
- ऑपरेशन भेड़िया: इसका उद्देश्य हाल के हमलों के लिये ज़िम्मेदार भेड़ियों के एक झुंड को पकड़ना और बेअसर करना है।
- प्रौद्योगिकियाँ और रणनीतियाँ: भेड़ियों का पता लगाने और उन पर नज़र रखने के लिये ड्रोन कैमरों एवं थर्मल ड्रोन मैपिंग का उपयोग।
- भेड़ियों को सुरक्षित रूप से पकड़ने के लिये उन्हें बेहोश करने की मंज़ूरी मिल गई है।
- मुख्य वन्यजीव वार्डन अनुसूची I के किसी वन्यजीव के शिकार की अनुमति दे सकते हैं, यदि वह मानव के लिये खतरा उत्पन्न करता है तथा इसके लिये कारण बताते हुए लिखित आदेश जारी कर सकते हैं।
- भेड़िया: इसे IUCN द्वारा "सबसे कम चिंताजनक (Least Concern)" के रूप में वर्गीकृत किया गया है, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में सूचीबद्ध किया गया है और CITES के परिशिष्ट I में शामिल किया गया है।
- WPA, 1972 में अनुसूचियाँ:
- अनुसूची I: कठोर दंड के साथ लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा करता है; कुछ विशिष्ट मामलों को छोड़कर शिकार पर प्रतिबंध लगाता है (जैसे- काला हिरण, हिम तेंदुआ)।
- अनुसूची II: कुछ प्रजातियों के लिये उच्च सुरक्षा और व्यापार निषेध (जैसे- असमिया मैकाक, भारतीय कोबरा)।
- अनुसूची III और IV: उल्लंघन के लिये कम दंड के साथ गैर-लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा करता है (जैसे- चीतल, फ्लेमिंगो)।
- अनुसूची V: उन कृमि प्रजातियों की सूची बनाता है जिनका शिकार किया जा सकता है (जैसे- सामान्य कौवे, चूहे)।
- अनुसूची VI: निर्दिष्ट पौधों की खेती और व्यापार को नियंत्रित करता है, जिसके लिये पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है (जैसे- नीला वांडा, कुथ)।