राजस्थान में बाल विवाह | राजस्थान | 04 May 2024
चर्चा में क्यों?
राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि राज्य में कोई भी बाल विवाह न हो और यदि ऐसे विवाह होते हैं तो ग्राम प्रधान एवं पंचायत सदस्यों को ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा।
मुख्य बिंदु:
- न्यायालय का आदेश 10 मई 2024 को अक्षय तृतीया त्योहार से पहले आया, क्योंकि राजस्थान में अक्षय तृतीया पर कई बाल विवाह संपन्न होते हैं।
- न्यायालय ने बाल विवाह को रोकने के लिये न्यायालय के हस्तक्षेप की मांग करने वाली जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन एलायंस की जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए कहा कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के बावजूद राज्य में अभी भी बाल विवाह हो रहे हैं।
- बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 11 के तहत, यदि सरपंच और पंच लापरवाही से बाल विवाह को रोकने में विफल रहते हैं तो उन्हें ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा।
- राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 के अनुसार बाल विवाह को प्रतिबंधित करने का कर्त्तव्य सरपंच पर डाला गया है।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006
- इस अधिनियम ने बाल विवाह निषेध अधिनियम, 1929 का स्थान लिया जो ब्रिटिश काल के दौरान लागू किया गया था।
- बाल विवाह में बच्चे का तात्पर्य 21 वर्ष से कम उम्र के पुरुष और 18 वर्ष से कम उम्र की महिला से है।
संबंधित पहल:
- धनलक्ष्मी योजना: यह बीमा कवरेज के साथ एक बालिका के लिये सशर्त नकद हस्तांतरण योजना है।
- इसका उद्देश्य माता-पिता को चिकित्सा खर्चों के लिये बीमा कवरेज की पेशकश और लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहित करके समाज में बाल विवाह की प्रथा का उन्मूलन करना भी है।
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ (BBBP): इसका उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के माध्यम से लड़कियों को सशक्त बनाना तथा बाल विवाह को हतोत्साहित करना है।
अरावली रेंज में अवैध खनन | राजस्थान | 04 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने मौखिक रूप से कहा कि राजस्थान में अरावली पर्वतश्रेणी में अवैध खनन रोका जाना चाहिये।
मुख्य बिंदु:
- न्यायालय के एमिकस क्यूरी (निष्पक्ष सलाहकार) के अनुसार, राजस्थान सरकार ने केवल उन पर्वतों को अरावली पर्वतश्रेणी से संबंधित मानकर न्यायालय को धोखा देने की कोशिश की, जो कम-से-कम 100 मीटर ऊँचे थे, जबकि इस पर्वतश्रेणी में छोटी पहाड़ियों को शामिल नहीं किया गया था।
- अरावली एकमात्र भू-स्थलाकृति है जो अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आने वाली शुष्क हवाओं को गंगा के मैदानी इलाकों में आने से रोकती है।
- अरावली एक प्राकृतिक प्रहरी है। इसके ह्रास से मौसम शुष्क जलवायु में बदल जाएगा।
- नवंबर 2023 में न्यायालय ने अरावली में पुरापाषाणकालीन खोजों पर ध्यान दिया था और भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण को उस स्थल की रक्षा करने का निर्देश दिया था, जो राष्ट्रीय धरोहर का हिस्सा भी हो सकता है।
अरावली पर्वतश्रेणी
- उत्तर-पश्चिमी भारत की अरावली पर्वतश्रेणी, जो विश्व के सबसे पुराने वलित पर्वतों में से एक है, में 300 मीटर से 900 मीटर की ऊँचाई वाले अवशिष्ट पर्वतों की शृंखला है। इनका विस्तार गुजरात के हिम्मतनगर से दिल्ली तक 800 किमी. की दूरी तक और हरियाणा, राजस्थान, गुजरात व दिल्ली में 692 किमी. (किमी) तक है।
- पर्वतश्रेणी को दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया गया है - सांभर सिरोही रेंज और राजस्थान में सांभर खेतड़ी रेंज, जहाँ इनका विस्तार लगभग 560 किमी. है।
- तीक्ष्ण वलयन (Orogenic Movement) ये वलित पर्वत हैं जिनमें चट्टानें मुख्य रूप से वलित पर्पटी से निर्मित हैं, जब दो अभिसरण प्लेटें तीक्ष्ण वलयन (Orogenic Movement) नामक संचलन प्रक्रिया द्वारा एक-दूसरे की ओर बढ़ती हैं।
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण
- संस्कृति मंत्रालय के तहत ASI, देश की सांस्कृतिक विरासत के पुरातात्त्विक अनुसंधान और संरक्षण के लिये प्रमुख संगठन है।
- प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्त्व स्थल और अवशेष (AMASR) अधिनियम, 1958 ASI के कामकाज को नियंत्रित करता है।
- यह 3650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्त्विक स्थलों और राष्ट्रीय महत्त्व के अवशेषों का प्रबंधन करता है।
- इसकी गतिविधियों में पुरातात्त्विक अवशेषों का सर्वेक्षण करना, पुरातात्त्विक स्थलों की खोज और उत्खनन, संरक्षित स्मारकों का संरक्षण एवं रखरखाव आदि शामिल हैं।
- इसकी स्थापना वर्ष 1861 में ASI के पहले महानिदेशक अलेक्ज़ेंडर कनिंघम ने की थी। अलेक्ज़ेंडर कनिंघम को "भारतीय पुरातत्त्व के जनक" के रूप में भी जाना जाता है।
विवेकानंद छात्रवृत्ति | राजस्थान | 04 May 2024
चर्चा में क्यों?
राजस्थान ने अकादमिक उत्कृष्टता के लिये स्वामी विवेकानंद छात्रवृत्ति हेतु फंडिंग को कम करने का विकल्प चुना है, जिसे मूल रूप से पूर्ववर्ती सरकार द्वारा अकादमिक उत्कृष्टता के लिये राजीव गांधी छात्रवृत्ति के रूप में स्थापित किया गया था।
मुख्य बिंदु:
- जिन छात्रों की वार्षिक पारिवारिक आय 8 लाख रुपए से अधिक है, उन्हें अब अगले शैक्षणिक सत्र से ट्यूशन फीस का एक हिस्सा जमा करना होगा।
- छात्रवृत्ति में विभिन्न आय समूहों के 500 प्रतिभाशाली छात्रों की पूरी ट्यूशन फीस शामिल थी। इसमें विदेशों में पढ़ने वाले छात्रों के लिये 300 छात्रवृत्तियाँ और राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) रैंकिंग में शीर्ष 50 संस्थानों में चुने जाने वालों के लिये 200 छात्रवृत्तियाँ शामिल थीं।
- हालाँकि उच्च शिक्षा विभाग ने सुझाव दिया कि आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों को ट्यूशन फीस का 10% भुगतान करना चाहिये लेकिन वित्त विभाग ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
- इसके अलावा, 8 लाख रुपए से 25 लाख रुपए तक की पारिवारिक आय के साथ उच्च आय वर्ग में आने वाले छात्रों को अब ट्यूशन शुल्क का क्रमशः 15% और 30% भुगतान करना होगा।
राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) रैंकिंग
- परिचय:
- NIRF विभिन्न मापदंडों के आधार पर देश भर के संस्थानों को रैंक करने की एक पद्धति है।
- NIRF को शिक्षा मंत्रालय (पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्रालय) द्वारा अनुमोदित किया गया था और 29 सितंबर, 2015 को लॉन्च किया गया था।
- देश में उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs) की रैंकिंग के लिये यह सरकार का प्रथम प्रयास है।
- NIRF रैंकिंग हेतु पैरामीटर्स: प्रत्येक पैरामीटर के लिये वेटेज, संस्थान की श्रेणी के आधार पर भिन्न होता है।
QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग
- QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग प्रत्येक वर्ष क्वाक्वेरेली साइमंड्स (QS) द्वारा जारी की जाती है।
- रैंकिंग पूरे विश्व के विश्वविद्यालयों के प्रदर्शन और गुणवत्ता का मूल्यांकन करती है।
- कार्यप्रणाली शैक्षणिक प्रतिष्ठा, संकाय-छात्र अनुपात, नियोक्ता प्रतिष्ठा, स्थिरता, रोज़गार परिणाम, अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान नेटवर्क, प्रति संकाय उद्धरण, अंतर्राष्ट्रीय संकाय अनुपात और अंतर्राष्ट्रीय छात्र अनुपात जैसे संकेतकों पर विचार करती है।
- ये विषय, क्षेत्र, छात्र शहर, बिजनेस स्कूल और स्थिरता के आधार पर रैंकिंग प्रदान करते हैं।