नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 16 जनवरी से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

झारखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 03 Feb 2025
  • 0 min read
  • Switch Date:  
झारखंड Switch to English

उधवा झील

चर्चा में क्यों?

रामसर अभिसमय ने भारत में चार नए आद्रभूमियों को मान्यता प्रदान की है, जिससे देश में ऐसे नामित स्थलों की कुल संख्या बढ़कर 89 हो गई है।

मुख्य बिंदु

  • रामसर सूची में नए नाम शामिल:
    • सक्कराकोट्टई पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)
    • थेरथंगल/ तीर्थंगल/ Therthangal पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)
    • खेचेओपलरी वेटलैंड (सिक्किम)
    • उधवा झील (झारखंड)
  • राज्यवार वितरण:
    • तमिलनाडु में भारत में सबसे अधिक रामसर स्थल हैं, जहाँ 20 आर्द्रभूमियाँ हैं।
    • सिक्किम और झारखंड अपने नए पदनाम के साथ पहली बार रामसर सूची में शामिल हुए हैं।
  • भारत की वैश्विक रैंकिंग:
    • भारत में एशिया में सबसे अधिक रामसर स्थल हैं और विश्व स्तर पर इसका स्थान तीसरा है:
      • यूनाइटेड किंगडम (176 स्थल/ साइट्स)
      • मेक्सिको (144 स्थल/ साइट्स)
      • पिछले दशक में, भारत के रामसर स्थलों की संख्या 26 से बढ़कर 89 हो गई तथा मात्र तीन वर्षों में 47 स्थल इसमें जोड़े गए।
  • आर्द्रभूमि का महत्त्व:
    • आर्द्रभूमि ऐसे क्षेत्र होते हैं जो अस्थायी, मौसमी या स्थायी रूप से जल से आवृत रहते हैं।
    • वे महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ प्रदान करते हैं, जिनमें शामिल हैं:
  • उधवा झील: 
    • स्थान:
      • यह झारखंड के साहेबगंज ज़िले में स्थित है।
      • यह उधवा नामक एक छोटे से गाँव में स्थित है, जिसका नाम महाभारत में भगवान कृष्ण के मित्र संत उद्धव के नाम पर रखा गया है।
      • यह झारखंड की पहली रामसर सूचीबद्ध आर्द्रभूमि है।
  • स्थापना:
    • वर्ष 1991 में इस अभयारण्य की स्थापना इस क्षेत्र में पाई जाने वाली विविध पक्षी प्रजातियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिये की गई थी। 
    • झारखंड में एकमात्र पक्षी अभयारण्य के रूप में नामित यह अभयारण्य क्षेत्र की प्राकृतिक विरासत और जैव विविधता को संरक्षित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • नदियाँ:
    • अभयारण्य में दो जल निकाय हैं- पटौरन और बरहेल, जो एक जल चैनल द्वारा आपस में जुड़े हुए हैं। पटौरन तुलनात्मक रूप से एक स्वच्छ जल निकाय है।

रामसर अभिसमय 

  • रामसर अभिसमय एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिस पर वर्ष 1971 में ईरान के रामसर में UNESCO के तत्वावधान में हस्ताक्षर किये गये थे, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों का संरक्षण करना है। 
  • भारत में यह अधिनियम 1 फरवरी, 1982 को लागू हुआ, जिसके तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों को रामसर स्थल घोषित किया गया।
  • मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के उन आर्द्रभूमि स्थलों का रजिस्टर है, जहाँ तकनीकी विकास, प्रदूषण या अन्य मानवीय हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप  पारिस्थितिक चरित्र में परिवर्तन हुए हैं, हो रहे हैं या होने की संभावना है।
  • इसे रामसर सूची के भाग के रूप में रखा गया है।


झारखंड Switch to English

सरना कोड

चर्चा में क्यों?

झारखंड स्थित राष्ट्रीय आदिवासी धर्म समन्वय समिति ने देशभर के अनुसूचित जनजाति संघों से आगामी जनगणना में अलग सरना धर्म कोड की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का आग्रह किया है।

मुख्य बिंदु

  • जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन:
    • राष्ट्रीय आदिवासी समन्वय समिति 28 फरवरी, 2025 को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक बड़े प्रदर्शन का नेतृत्व करेगी, जिसमें जनगणना में अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिये एक अलग धर्म कॉलम की मांग की जाएगी।
    • विरोध का आह्वान केंद्रीय सरना समिति सहित अन्य आदिवासी समूहों के बीच भी प्रसारित किया गया है, जिन्होंने अलग सरना धर्म कोड की मांग पर ज़ोर दिया है।
      • मुख्य रूप से झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी संगठन दशकों से जनगणना में धर्म के लिये अलग कॉलम की मांग कर रहे हैं।
  • 2011 की जनगणना में आंदोलन का प्रभाव:
    • 2011 की जनगणना में इस आंदोलन के कारण 4.9 लाख लोगों ने 'अन्य' कॉलम में अपना धर्म सरना अंकित किया।
    • इनमें से 80% से अधिक उत्तरदाता झारखंड से थे, जिससे इस मांग के प्रति प्रबल क्षेत्रीय समर्थन उजागर होता है।
      • वर्ष 2011 के पश्चात, विशेष रूप से पूर्वी और मध्य भारत में आदिवासी समुदायों की बढ़ती एकजुटता के साथ, अलग सरना धर्म कोड की मांग ने महत्त्वपूर्ण रूप से गति प्राप्त की है।

सरना धर्म

  • परिचय:
    • सरना धर्म एक प्रकृति-पूजक विश्वास है, जिसे भारत के कई जनजातीय समुदायों द्वारा अपनाया गया है। इसे सरना धर्म या पवित्र वनों का धर्म भी कहा जाता है।
    • वे मुख्य रूप से ओडिशा, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम जैसे आदिवासी क्षेत्रों में केंद्रित हैं।
  • सरना धर्म की विशेषताएँ: 
    • वे जल, वन और ज़मीन सहित प्रकृति की पूजा करते हैं।
    • वे वनों की रक्षा में विश्वास रखते हैं और पेड़ों और पहाड़ों की पूजा करते हैं। वे मूर्तियों की पूजा नहीं करते।
    • वे वर्ण व्यवस्था का पालन नहीं करते हैं।
    • वे सरहुल त्योहार मनाते हैं, जो नए साल का त्योहार है।




close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2