मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश का 9वाँ टाइगर रिज़र्व
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने शिवपुरी ज़िले में माधव राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिज़र्व के रूप में मान्यता देने की स्वीकृति प्रदान की है। इस निर्णय के परिणामस्वरूप, माधव मध्य प्रदेश में 9वें बाघ आरक्षित क्षेत्र के रूप में स्थापित होगा।
- समिति ने पार्क में एक नर और एक मादा बाघ को छोड़ने की अनुमति भी प्रदान की।
मुख्य बिंदु
- प्रस्तावित बाघ अभयारण्य क्षेत्र:
- इसका विस्तार 1,751 वर्ग किलोमीटर होगा, जिसमें 300 वर्ग किलोमीटर का मुख्य क्षेत्र शामिल होगा।
- 75 वर्ग किलोमीटर और 1,276 वर्ग किलोमीटर का बफर ज़ोन होगा।
- सफल प्रजनन कार्यक्रम के बाद, माधव राष्ट्रीय उद्यान ने सितंबर 2024 में बाघ शावकों के जन्म के साथ बाघ संरक्षण में एक मील का पत्थर स्थापित किया।
- बाघ पुन:प्रवेश का दूसरा चरण:
- मध्य प्रदेश वन विभाग पुनः बाघों को लाने के दूसरे चरण की तैयारी कर रहा है, जिसमें बांधवगढ़, कान्हा या संजय-दुबरी राष्ट्रीय उद्यानों से अतिरिक्त बाघों को लाना शामिल है।
- दीर्घकालिक विस्तार योजनाएँ:
- माधव टाइगर रिज़र्व पाँच वर्षों के भीतर 1,600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तार करने की दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है।
- 100 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले बाघ सफारी की भी योजना बनाई गई है, जिसमें 20 करोड़ रुपये का बुनियादी ढाँचा निवेश होगा, जिससे पारिस्थितिकी पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की आशा है।
- संरक्षण और पारिस्थितिक पर्यटन लाभ:
- इस पहल का उद्देश्य माधव और कुनो राष्ट्रीय उद्यानों में वन्यजीव प्रबंधन को सुदृढ़ करना है।
- इस परियोजना से इको-पर्यटन को बढ़ावा मिलने तथा स्थानीय समुदायों को लाभ मिलने तथा क्षेत्रीय विकास में योगदान मिलने की आशा है।
- मध्य प्रदेश की लंबित अधिसूचनाएँ:
- रातापानी वन्यजीव अभयारण्य, जिसे वर्ष 2008 में बाघ अभयारण्य के रूप में सैद्धांतिक मंज़ूरी दी गई थी, अभी भी आधिकारिक अधिसूचना का इंतजार कर रहा है।
- रिपोर्टों से पता चलता है कि रातापानी के निकट खनन गतिविधियों के कारण राजनीतिक प्रतिरोध के कारण इसके औपचारिक नामकरण में देरी हुई है।
माधव राष्ट्रीय उद्यान
- परिचय:
- माधव राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के शिवपुरी ज़िले में स्थित है।
- यह ऊपरी विंध्य पहाड़ियों का एक हिस्सा है।
- यह पार्क मुगल बादशाहों और ग्वालियर के महाराजाओं का शिकारगाह था। इसे वर्ष 1959 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला।
- पारिस्थितिकी तंत्र:
- इसमें विविध पारिस्थितिकी तंत्र है जिसमें झीलें, शुष्क पर्णपाती और शुष्क कांटेदार वन शामिल हैं।
- यह वन बाघों, तेंदुओं, नीलगाय, चिंकारा (गज़ेला बेनेट्टी) और चौसिंघा (टेट्रासेरस क्वाड्रिकॉर्निस) तथा हिरणों (चीतल, सांभर और बार्किंग डियर) का पर्यावास है।
- बाघ गलियारा:
- यह पार्क देश के 32 प्रमुख बाघ गलियारों में से एक के अंतर्गत आता है, जो बाघ संरक्षण योजना के माध्यम से संचालित होते हैं। बाघ संरक्षण योजना वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत कार्यान्वित की जाती है।
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