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राजेंद्र प्रसाद जयंती
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री ने देश के प्रथम राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्य बिंदु
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के सिवान ज़िले के जीरादेई में हुआ था।
- शिक्षा:
- उन्होंने 1902 में कलकत्ता प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया।
- 1915 में प्रसाद ने कलकत्ता विश्वविद्यालय के विधि विभाग से विधि में स्नातकोत्तर की परीक्षा दी, परीक्षा उत्तीर्ण की और स्वर्ण पदक जीता।
- 1916 में उन्होंने पटना उच्च न्यायालय से अपना कानूनी करियर शुरू किया। 1937 में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
- स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:
- गांधीजी से संबंधित:
- जब गांधीजी बिहार के चंपारण ज़िले में स्थानीय किसानों की शिकायतों के समाधान के लिये तथ्य-खोज अभियान पर थे, तो उन्होंने राजेंद्र प्रसाद को स्वयंसेवकों के साथ चंपारण आने के लिये बुलाया।
- चंपारण सत्याग्रह ने न केवल उन्हें महात्मा गांधी के करीब ला दिया, बल्कि उनके जीवन की पूरी दिशा ही बदल दी।
- 1919 के रॉलेट एक्ट और 1919 के जलियाँवाला बाग हत्याकांड ने राजेंद्र प्रसाद को गांधीजी के करीब ला दिया।
- असहयोग का आह्वान:
- डॉ. प्रसाद ने गांधीजी के असहयोग आंदोलन के तहत बिहार में असहयोग का आह्वान किया।
- नमक सत्याग्रह:
- मार्च 1930 में गांधीजी ने नमक सत्याग्रह शुरू किया। डॉ. प्रसाद के मार्गदर्शन में बिहार के नखास तालाब में नमक सत्याग्रह शुरू किया गया।
- डॉ. प्रसाद और भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस:
- वह 1911 में कलकत्ता में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के वार्षिक अधिवेशन के दौरान आधिकारिक रूप से इसमें शामिल हुए।
- उन्होंने अक्तूबर 1934 में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के बम्बई अधिवेशन की अध्यक्षता की।
- अप्रैल 1939 में कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष पद से सुभाष चंद्र बोस के त्याग-पत्र के बाद वे दूसरी बार अध्यक्ष चुने गये।
- 1946 में वे पंडित जवाहरलाल नेहरू की अंतरिम सरकार में खाद्य एवं कृषि मंत्री के रूप में शामिल हुए और “अधिक खाद्यान्न उगाओ (Grow More Food)” का नारा दिया।
- डॉ. प्रसाद और संविधान सभा:
- जुलाई 1946 में जब भारत का संविधान बनाने के लिये संविधान सभा की स्थापना हुई तो वे इसके अध्यक्ष चुने गए।
- डॉ. प्रसाद की अध्यक्षता में संविधान सभा की समितियों में शामिल हैं:
- राष्ट्रीय ध्वज पर तदर्थ समिति
- प्रक्रिया नियमों पर समिति
- वित्त और कर्मचारी समिति
- संचालन समिति
- 26 जनवरी, 1950 को स्वतंत्र भारत का संविधान स्वीकृत हुआ और वे भारत के प्रथम राष्ट्रपति चुने गए।
- पुरस्कार एवं सम्मान:
- 1962 में , राष्ट्रपति के रूप में 12 वर्षों के बाद, डॉ॰ प्रसाद सेवानिवृत्त हुए और तत्पश्चात उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- डॉ. प्रसाद ने अपने जीवन और स्वतंत्रता से पहले के दशकों को कई पुस्तकों में दर्ज किया, जिनमें शामिल हैं:
- चंपारण में सत्याग्रह
- भारत विभाजित
- उनकी आत्मकथा "आत्मकथा"
- महात्मा गांधी और बिहार, कुछ यादें
- बापू के कदमों में
- मृत्यु:
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपने जीवन के अंतिम कुछ महीने पटना के सदाकत आश्रम में संन्यास में व्यतीत किये। 28 फरवरी, 1963 को उनका निधन हो गया।
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