नदी जोड़ो परियोजना | मध्य प्रदेश | 01 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों ने भोपाल में 72,000 करोड़ रुपए की पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना के कार्यान्वयन हेतु समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
- इस परियोजना का उद्देश्य दक्षिणी राजस्थान की नदियों जैसे चंबल और उसकी सहायक नदियों, जैसे- कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध में बरसात के मौसम में उपलब्ध अतिरिक्त जल का संचयन करना तथा इस जल का उपयोग राज्य के दक्षिण-पूर्वी ज़िलों में करना है, जहाँ पीने व सिंचाई के लिये जल की कमी है।
मुख्य बिंदु:
- इस परियोजना से राजस्थान के 13 ज़िलों तथा मध्य प्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्रों को जल मिलेगा।
- इससे दोनों राज्यों में कम-से-कम 2.8 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई में सहायता मिलेगी, जिसमें ग्रामीण तालाबों को भी सहायता मिलेगी।
- नदी जोड़ो परियोजना से दोनों राज्यों को लाभ मिलेगा, जिससे राज्यों के बीच संबंध भी मज़बूत होंगे।
- राजस्थान के खाटू श्याम मंदिर से मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकाल शिव मंदिर तक कॉरिडोर बनाने का भी प्रयास किया जाएगा।
चंबल नदी
- इसका उद्गम स्थल विंध्य पर्वत (इंदौर, मध्य प्रदेश) के उत्तरी ढलान पर स्थित सिंगार चौरी (Singar Chouri) चोटी है। यहाँ से यह लगभग 346 किमी. तक मध्य प्रदेश में उत्तर दिशा की ओर बहती हुई राजस्थान में प्रवेश करती है। राजस्थान में इस नदी की कुल लंबाई 225 किमी. है जो इस राज्य के उत्तर-पूर्व दिशा में बहती है।
- उत्तर प्रदेश में इस नदी की कुल लंबाई लगभग 32 किमी. है जो इटावा में यमुना नदी में मिल जाती है।
- यह एक वर्षा आधारित नदी है, जिसका बेसिन विंध्य पर्वत शृंखलाओं और अरावली से घिरा हुआ है। चंबल तथा उसकी सहायक नदियाँ उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में बहती हैं।
- राजस्थान में हाडौती/हाड़ौती का पठार (Hadauti Plateau) चंबल नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र मेवाड़ मैदान के दक्षिण-पूर्व में स्थित है।
- सहायक नदियाँ: बनास, काली सिंध, क्षिप्रा, पार्वती आदि।
- चंबल नदी की मुख्य विद्युत परियोजनाएँ/बाँध: गांधी सागर बाँध, राणा प्रताप सागर बाँध, जवाहर सागर बाँध और कोटा बैराज।
- राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के त्रि-जंक्शन पर चंबल नदी के किनारे स्थित है।
- यह स्थान गंभीर रूप से लुप्तप्राय घड़ियाल, रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल और लुप्तप्राय गंगा नदी डॉल्फिन के लिये जाना जाता है।