छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ में 10 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा ज़िले में चार नाबालिगों सहित दस नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया।
मुख्य बिंदु:
- पुलिस द्वारा जून 2020 में शुरू किये गए 'लोन वर्राटू' यानी अपने घर वापस लौटो अभियान के तहत अब तक ज़िले में कुल 815 नक्सलियों ने हिंसा छोड़ दी है।
- लोन वर्राटू:
- इस अभियान का मतलब है 'घर वापस आओ ( ‘Come back home’)।
- यह अभियान उन नक्सलियों के लिये शुरू किया गया था जो लाल आतंक ( Red Terror) का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होना चाहते थे। इस अभियान के तहत कई नक्सलियों ने आतंकवाद का रास्ता छोड़ दिया है।
नक्सलवाद
- नक्सलवाद शब्द का नाम पश्चिम बंगाल के गाँव नक्सलबाड़ी से लिया गया है।
- इसकी शुरुआत स्थानीय ज़मींदारों के खिलाफ विद्रोह के रूप में हुई, जिसने भूमि विवाद पर एक किसान की पिटाई की थी।
- यह आंदोलन जल्द ही पूर्वी भारत में छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों के कम विकसित क्षेत्रों में फैल गया।
- वामपंथी उग्रवादी (LWE) विश्व भर में माओवादियों और भारत में नक्सली के रूप में लोकप्रिय हैं।
- उद्देश्य:
- वे सशस्त्र क्रांति के माध्यम से भारत सरकार को उखाड़ फेंकने और माओवादी सिद्धांतों पर आधारित एक कम्युनिस्ट राज्य की स्थापना का समर्थन करते हैं।
- वे राज्य को दमनकारी, शोषक और सत्तारूढ़ अभिजात वर्ग के हितों की सेवा करने वाले के रूप में देखते हैं, वे सशस्त्र संघर्ष एवं जनयुद्ध (People's War) के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक शिकायतों का समाधान करना चाहते हैं।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश के ज़िलों में भूजल स्तर में सुधार
चर्चा में क्यों?
नमामि गंगे एवं जलापूर्ति अनुभाग-3 की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार प्रयागराज समेत प्रदेश के 32 ज़िलों में भूजल स्तर में बढ़ोतरी हुई है। जिससे इन ज़िलों में क्रिटिकल ज़ोन की संख्या कम हो गई है।
मुख्य बिंदु:
- प्रयागराज के भूजल विभाग ने बताया कि वे यह निर्धारित करने के लिये विभिन्न मापदंडों का विश्लेषण करते हैं कि कोई ज़िला सुरक्षित, क्रिटिकल, सेमी क्रिटिकल और अधिक पानी निकाले गए ज़ोन में आता है या नहीं। सबसे महत्त्वपूर्ण महत्त्व निकाले गए पानी की कुल मात्रा तथा पुनर्भरण के साथ इसका तुलना है। गहन वार्षिक मूल्यांकन के बाद, वे प्रत्येक ज़िले को तदनुसार वर्गीकृत करते हैं।
- राज्य में जो ज़िले सुरक्षित ज़ोन में हैं उनमें प्रयागराज, प्रतापगढ़, कौशाम्बी, फतेहपुर, वाराणसी, जौनपुर, आगरा, फिरोज़ाबाद, मैनपुरी, मथुरा, अलीगढ़, एटा, हाथरस, बदायूं, चित्रकूट, महोबा, कानपुर नगर, कन्नौज, मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, गौतम बुद्ध नगर, गाज़ियाबाद, हापुड़, मिर्ज़ापुर, मुरादाबाद, अमरोहा, बिजनौर, संभल, सहारनपुर, मुज़फ्फरनगर और शामली शामिल हैं।
नमामि गंगे कार्यक्रम
- नमामि गंगे कार्यक्रत संरक्षण मिशन है, जिसे जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा ‘फ्लैगशिप कार्यक्रम' के रूप में अनुमोदित किया गया था, ताकि प्रदूषण के प्रभावी उन्मूलन और राष्ट्रीय नदी गंगा के संरक्षण एवं कायाकल्प के दोहरे उद्देश्यों को पूरा किया जा सके।
- यह जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग तथा जल शक्ति मंत्रालय के तहत संचालित किया जा रहा है।
- यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) और इसके राज्य समकक्ष संगठनों यानी राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूहों (SPMGs) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
- NMCG राष्ट्रीय गंगा परिषद का कार्यान्वयन विंग है, यह वर्ष 2016 में स्थापित किया गया था जिसने राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGRBA) को प्रस्थापित किया।
- इसके पास 20,000 करोड़ रुपए का केंद्रीय वित्तपोषित, गैर-व्यपगत कोष है और इसमें लगभग 288 परियोजनाएँ शामिल हैं।
- कार्यक्रम के मुख्य स्तंभ हैं:
- सीवेज़ ट्रीटमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर
- रिवर फ्रंट डेवलपमेंट
- नदी-सतह की सफाईम एक एकीकृ
- जैवविविधता
- वनीकरण
- जन जागरण
- औद्योगिक प्रवाह निगरानी
- गंगा ग्राम
उत्तर प्रदेश Switch to English
BHU के SWAYAM कार्यक्रम में नए पाठ्यक्रम जोड़े गए
चर्चा में क्यों?
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों ने 2024 सत्र के लिये स्वयं (SWAYAM) कार्यक्रम के लिये 15 नए पाठ्यक्रम विकसित किये हैं। पाठ्यक्रम विद्यार्थियों की आवश्यकताओं और अपेक्षाओं के अनुरूप विकसित किये गए हैं।
मुख्य बिंदु:
- इन पाठ्यक्रमों में प्रबंधन, वाणिज्य, विज्ञान, चिकित्सा, सामाजिक विज्ञान, मानविकी और दर्शनशास्त्र जैसे विभिन्न विषय शामिल हैं। इन पाठ्यक्रमों की शुरुआत के साथ BHU ने पहली बार ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में प्रवेश किया है।
- यह पहल न केवल BHU की शैक्षिक पेशकश को समृद्ध करेगी बल्कि सभी के लिये सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के व्यापक लक्ष्यों का भी समर्थन करेगी।
- पाठ्यक्रमों के लिये तकनीकी सहायता IIT मद्रास और IIT कानपुर द्वारा प्रदान की जाती है तथा यह शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित है। भारत सरकार द्वारा शुरू किये गए स्वयं (SWAYAM) कार्यक्रम का उद्देश्य सभी व्यक्तियों को सर्वोत्तम शिक्षण और सीखने के संसाधन उपलब्ध कराना है, चाहे उनकी भौगोलिक स्थिति या संस्थागत संबद्धता कुछ भी हो।
स्वयं (SWAYAM) कार्यक्रम
- स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स (SWAYAM) को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 9 जुलाई, 2017 को ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के लिये एकीकृत मंच और पोर्टल प्रदान करने हेतु शरू किया गया था। जिसमें सभी उच्च शिक्षा विषय और कौशल क्षेत्र के पाठ्यक्रम शामिल हैं।
- इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश के प्रत्येक छात्र को सस्ती कीमत पर सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली उच्च शिक्षा तक पहुँच प्राप्त हो।
- देश भर के सैकड़ों संस्थानों के शिक्षाविद वरिष्ठ स्कूली शिक्षा से लेकर स्नातकोत्तर तक लगभग सभी विषयों में SWAYAM के माध्यम से बड़े पैमाने पर ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम (MOOC) की पेशकश शामिल हैं।
उत्तराखंड Switch to English
अतिक्रमण विरोधी अभियान के खिलाफ मज़दूरों की रैली
चर्चा में क्यों?
तिलाड़ी आंदोलन की 92वीं वर्षगाँठ मनाने के लिये गांधी पार्क में एक बड़ी सार्वजनिक रैली आयोजित की गई। इसमें दैनिक वेतन भोगी और सामाजिक संगठनों के सदस्य शामिल थे, जो नगर निकायों द्वारा शुरू की गई अतिक्रमण विरोधी गतिविधियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
मुख्य बिंदु:
- यह अभियान रिस्पना नदी के बाढ़ के मैदानों से अवैध संरचनाओं को हटाने के लिये राष्ट्रीय हरित अधिकरण के निर्देशों के अनुपालन में चलाया जा रहा है।
- नगर निगम आयुक्त द्वारा इस बात पर सहमति जताए जाने के बावजूद कि निवास के प्रमाण के रूप में किसी भी वैध पहचान-पत्र का उपयोग किया जा सकता है, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) द्वारा दस्तावेज़ों को अस्वीकार कर दिया गया था।
- प्रदर्शनकारी ने इन अस्वीकृतियों को चुनौती देने और अपने परिवारों को बेदखल होने से बचाने के लिये दिये गए समय की कमी पर प्रकाश डाला।
तिलाड़ी आंदोलन
- 30 मई, 1930 को टिहरी गढ़वाल राज्य की वन नीति के खिलाफ तिलाड़ी में एक महत्त्वपूर्ण सत्याग्रह हुआ, जो उत्तराखंड के बाकी हिस्सों में अंग्रेज़ों द्वारा लागू की गई नीतियों से मिलता-जुलता था।
- जब टिहरी के महाराजा यूरोप में थे, तब उनके प्रधानमंत्री चक्रधर जुयाल ने जलियाँवाला बाग त्रासदी की याद दिलाते हुए तिलाड़ी आंदोलन को क्रूरता से दबा दिया था।
- सैनिकों ने बच्चों सहित निहत्थे लोगों को गोलियों से भून दिया और भागने की कोशिश करते हुए कई लोग यमुना नदी में डूबकर मर गए।
हरियाणा Switch to English
मोरनी के जंगल में भीषण आग
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा के हिल स्टेशन मोरनी हिल्स में 46°C से अधिक तापमान के कारण जंगल में भीषण आग लग गई।
मुख्य बिंदु:
- अत्यधिक गर्मी और शुष्क परिस्थितियों के कारण आग पहाड़ियों के एक बड़े क्षेत्र में तेज़ी से फैल गई तथा झाड़ियों एवं पेड़ों को अपनी चपेट में ले लिया। शिवालिक पर्वतमाला के निचले हिस्से में स्थित मोरनी हिल्स, समुद्र तल से लगभग 3,600 फीट की ऊँचाई पर स्थित विविध प्रकार के पौधों और जानवरों का निवास स्थल है।
- हरियाणा के विभिन्न भागों में विभिन्न पहाड़ियाँ और श्रेणियाँ पाई जाती हैं।
- शिवालिक पर्वतमाला हरियाणा के उत्तर में स्थित है तथा अरावली पर्वतमाला दक्षिण-पश्चिम से हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली तक फैली हुई है।
- हरियाणा का एकमात्र हिल स्टेशन, मोरनी हिल्स पंचकूला ज़िले में स्थित है, जबकि महेंद्रगढ़ ज़िले में स्थित ढोसी हिल्स विलुप्त ज्वालामुखी के लिये जाना जाता है।
अरावली पर्वत शृंखला
- अरावली विश्व के सबसे प्राचीनतम वलित अवशिष्ट पर्वतों में से एक है, जो मुख्य रूप से वलित चट्टानों से बना है। यह गठन प्रोटेरोज़ोइक युग (2500-541 मिलियन वर्ष पूर्व) के दौरान टेक्टोनिक प्लेटों के अभिसरण के परिणामस्वरूप हुआ।
- भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) की रिपोर्ट में अरावली रेंज की पहाड़ियों को और उनके निचले भागों के नज़दीक एक समान 100 मीटर चौड़ा बफर ज़ोन शामिल करने के रूप में परिभाषित किया गया है।
- इसकी ऊँचाई 300 से 900 मीटर है। राजस्थान में सांभर सिरोही रेंज और सांभर खेतड़ी रेंज दो प्राथमिक श्रेणियाँ हैं जो पर्वतों का निर्माण करती हैं।
- माउंट आबू पर गुरु शिखर, अरावली रेंज (1,722 मीटर) की सबसे ऊँची चोटी है।
- इसके आस-पास के प्रमुख जनजातीय समुदायों में भील, भील-मीणा, मीना, गरासिया और अन्य शामिल हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2009 में हरियाणा के फरीदाबाद, गुणगाँव (अब गुरुग्राम) और नूँह ज़िलों की अरावली रेंज में खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया।
Switch to English