छत्तीसगढ़
दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने किया सरेंडर
- 06 May 2024
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा ज़िले में 35 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। इन कैडरों को सड़कें खोदने, सड़कों को अवरुद्ध करने के लिये पेड़ काटने और नक्सलियों द्वारा बुलाए गए शटडाउन के दौरान पोस्टर तथा बैनर लगाने का कार्य सौंपा गया था।
मुख्य बिंदु:
- अधिकारियों के मुताबिक ये नक्सली दक्षिण बस्तर में माओवादियों की भैरमगढ़, मलांगेर और कटेकल्याण एरिया कमेटी का हिस्सा थे।
- वे पुलिस के पुनर्वास अभियान 'लोन वर्रातु' (घर वापस आइए) से प्रभावित थे और खोखली माओवादी विचारधारा से निराश थे।
- माओवाद माओ त्से तुंग द्वारा विकसित साम्यवाद का एक रूप है। यह सशस्त्र विद्रोह, जन लामबंदी और रणनीतिक गठबंधनों के संयोजन के माध्यम से राज्य की सत्ता पर कब्ज़ा करने का एक सिद्धांत है।
- वे पुलिस के पुनर्वास अभियान 'लोन वर्रातु' (घर वापस आइए) से प्रभावित थे और खोखली माओवादी विचारधारा से निराश थे।
- इन नक्सलियों को सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी।
- इसके साथ ही जून 2020 में शुरू किये गए पुलिस के लोन वर्राटू अभियान के तहत ज़िले में अब तक 180 इनामी समेत 796 नक्सली मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं।
लोन वर्राटू
- ‘लोन वर्राटू’अभियान का अर्थ है ‘घर वापस आइए’।
- यह अभियान उन नक्सलियों के लिये चलाया गया, जो लाल आतंक का रास्ता छोड़कर वापस समाज की मुख्य धारा में शामिल होने का इरादा रखते थे।
- इस अभियान के तहत कई नक्सलियों ने आतंक का रास्ता छोड़ा।
नक्सलवाद
- नक्सलवाद शब्द का नाम पश्चिम बंगाल के गाँव नक्सलबाड़ी से लिया गया है।
- इसकी शुरुआत स्थानीय ज़मींदारों के खिलाफ विद्रोह के रूप में हुई, जिसने भूमि विवाद पर एक किसान की पिटाई की थी।
- यह आंदोलन जल्द ही पूर्वी भारत में छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों के कम विकसित क्षेत्रों में फैल गया।
- वामपंथी उग्रवादी (LWE) विश्व भर में माओवादियों और भारत में नक्सली के रूप में लोकप्रिय हैं।
- उद्देश्य
- वे सशस्त्र क्रांति के माध्यम से भारत सरकार को उखाड़ फेंकने और माओवादी सिद्धांतों पर आधारित एक कम्युनिस्ट राज्य की स्थापना का समर्थन करते हैं।
- वे राज्य को दमनकारी, शोषक और सत्तारूढ़ अभिजात वर्ग के हितों की सेवा करने वाले के रूप में देखते हैं, वे सशस्त्र संघर्ष एवं जनयुद्ध (People's War) के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक शिकायतों का समाधान करना चाहते हैं।