जैव विविधता और पर्यावरण
ज़िला गंगा समितियाँ और ‘नमामि गंगे’
- 07 Apr 2022
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प्रिलिम्स के लिये:नमामि गंगे कार्यक्रम, ज़िला गंगा समितियाँ, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन। मेन्स के लिये:गंगा नदी के कायाकल्प में नमामि गंगे कार्यक्रम का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
जल शक्ति मंत्रालय ने ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के तहत 'डिजिटल डैशबोर्ड फॉर डिस्ट्रिक्ट गंगा कमेटी (DGCs) परफॉर्मेंस मॉनीटरिंग सिस्टम' (GDPMS) लॉन्च किया है।
- आम लोगों और नदी के बीच संबंध को बढ़ावा देने में डिस्ट्रिक्ट गंगा कमेटी यानी ज़िला गंगा समितियों की मदद करने के लिये इस डिजिटल डैशबोर्ड को तैयार किया गया है।
‘ज़िला गंगा समितियों’ के विषय में:
- गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रबंधन एवं प्रदूषण उपशमन में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु ज़िला स्तर पर एक तंत्र स्थापित करने के लिये गंगा नदी बेसिन पर स्थित ज़िलों में ‘ज़िला गंगा समितियों’ का गठन किया गया था।
- DGCs को ‘नमामि गंगे’ के तहत विकसित संपत्ति का उचित उपयोग सुनिश्चित करने, गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों में गिरने वाले नालों/सीवेज की निगरानी करने तथा गंगा कायाकल्प के साथ लोगों का एक मज़बूत जुड़ाव बनाने का कार्य सौंपा गया है।
‘नमामि गंगे’ क्या है?
- नमामि गंगे कार्यक्रम एक एकीकृत संरक्षण मिशन है, जिसे जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा ‘फ्लैगशिप कार्यक्रम' के रूप में अनुमोदित किया गया था, ताकि प्रदूषण के प्रभावी उन्मूलन और राष्ट्रीय नदी गंगा के संरक्षण एवं कायाकल्प के दोहरे उद्देश्यों को पूरा किया जा सके।
- यह जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग तथा जल शक्ति मंत्रालय के तहत संचालित किया जा रहा है।
- यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) और इसके राज्य समकक्ष संगठनों यानी राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूहों (SPMGs) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
- NMCG राष्ट्रीय गंगा परिषद का कार्यान्वयन विंग है, यह वर्ष 2016 में स्थापित किया गया था जिसने राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGRBA) को प्रस्थापित किया।
- इसके पास 20,000 करोड़ रुपए का केंद्रीय वित्तपोषित, गैर-व्यपगत कोष है और इसमें लगभग 288 परियोजनाएँ शामिल हैं।
- कार्यक्रम के मुख्य स्तंभ हैं:
- सीवेज ट्रीटमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर
- रिवर फ्रंट डेवलपमेंट
- नदी-सतह की सफाई
- जैव विविधता
- वनीकरण
- जन जागरण
- औद्योगिक प्रवाह निगरानी
- गंगा ग्राम
संबंधित पहलें:
- गंगा एक्शन प्लान: यह पहली नदी कार्ययोजना थी जो 1985 में पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा लाई गई थी। इसका उद्देश्य जल अवरोधन, डायवर्ज़न और घरेलू सीवेज के उपचार द्वारा पानी की गुणवत्ता में सुधार करना तथा विषाक्त एवं औद्योगिक रासायनिक कचरे (पहचानी गई प्रदूषणकारी इकाइयों से) को नदी में प्रवेश करने से रोकना था।
- राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना गंगा एक्शन प्लान का ही विस्तार है। इसका उद्देश्य गंगा एक्शन प्लान के फेज-2 के तहत गंगा नदी की सफाई करना है।
- राष्ट्रीय नदी गंगा बेसिन प्राधिकरण (NRGBA): इसका गठन भारत सरकार द्वारा वर्ष 2009 में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-3 के तहत किया गया था।
- इसने गंगा नदी को भारत की 'राष्ट्रीय नदी' घोषित किया।
- स्वच्छ गंगा कोष: वर्ष 2014 में इसका गठन गंगा की सफाई, अपशिष्ट उपचार संयंत्रों की स्थापना तथा नदी की जैविक विविधता के संरक्षण के लिये किया गया था।
- भुवन-गंगा वेब एप: यह गंगा नदी में होने वाले प्रदूषण की निगरानी में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करता है।
- अपशिष्ट निपटान पर प्रतिबंध: वर्ष 2017 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा गंगा नदी में किसी भी प्रकार के कचरे के निपटान पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
गंगा नदी प्रणाली:
- गंगा नदी उद्गम जिसे 'भागीरथी' कहा जाता है, गंगोत्री ग्लेशियर द्वारा पोषित है और उत्तराखंड के देवप्रयाग में यह अलकनंदा से मिलती है।
- हरिद्वार में गंगा पहाड़ों से निकलकर मैदानी इलाकों में प्रवेश कर जाती है।
- गंगा में हिमालय की कई सहायक नदियाँ मिलती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख नदियाँ यमुना, घाघरा, गंडक और कोसी आदि हैं।