छत्तीसगढ़ Switch to English
बस्तर में 30 माओवादी मारे गए
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों ने दो अभियानों में 30 कथित माओवादियों को मार गिराया।
मुख्य बिंदु
- मुठभेड़ के बारे में:
- सुरक्षा बलों ने गंगालूर पुलिस थाना क्षेत्र में संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया।
- गोलीबारी बंद होने के बाद सुरक्षाकर्मियों ने 26 माओवादियों के शव तथा भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया।
- कांकेर-नारायणपुर सीमा पर ज़िला रिजर्व गार्ड (DRG) और सीमा सुरक्षा बल (BSF) की संयुक्त टीम और माओवादियों के बीच एक अलग मुठभेड़ हुई।
- सरकार की प्रतिक्रिया:
- केंद्रीय गृह मंत्री ने नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में इस अभियान को एक “बड़ी सफलता” बताया।
- उन्होंने सरकार की शून्य सहनशीलता की नीति दोहराते हुए कहा कि भारत 31 मार्च,2026 तक नक्सल मुक्त हो जाएगा।
ज़िला रिजर्व गार्ड (DRG)
- ज़िला रिजर्व गार्ड (DRG) छत्तीसगढ़ में एक विशेष पुलिस इकाई है, जिसे 2008 में माओवादी हिंसा से निपटने के लिये स्थापित किया गया था।
- इसमें विशेष रूप से प्रशिक्षित कार्मिक शामिल होते हैं जो प्रभावित ज़िलों में माओवाद-विरोधी अभियान चलाते हैं, तलाशी और जब्ती करते हैं तथा खुफिया जानकारी एकत्र करते हैं।
- माओवादी विद्रोह का सामना करने के लिये DRG केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) जैसे अन्य सुरक्षा बलों के साथ सहयोग करता है।
सीमा सुरक्षा बल (BSF)
- BSF की स्थापना वर्ष 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद की गई थी।
- यह गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs - MHA) के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत भारत संघ के सात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है।
- अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल हैं: असम राइफल्स (AR), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) और सशस्त्र सीमा बल (SSB)
- 2.65 लाख पुलिस बल पाकिस्तान और बांग्लादेश सीमा पर तैनात हैं।
- इसे भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा, भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय सीमा, नियंत्रण रेखा (LoC) पर भारतीय सेना के साथ तथा नक्सल विरोधी अभियानों में तैनात किया जाता है।
- BSF अपने जलयानों के अत्याधुनिक बेड़े के साथ अरब सागर में सर क्रीक और बंगाल की खाड़ी में सुंदरबन डेल्टा की रक्षा कर रहा है।
- यह प्रत्येक वर्ष अपनी प्रशिक्षित जनशक्ति की एक बड़ी टुकड़ी भेजकर संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में समर्पित सेवाओं का योगदान देता है।


मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश के धरोहर स्थल यूनेस्को की संभावित सूची में
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने मध्य प्रदेश राज्य की 4 ऐतिहासिक धरोहरों को विश्व धरोहर स्थलों की अपनी संभावित सूची में शामिल किया है।
मुख्य बिंदु
- ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में:
- सम्राट अशोक के शिलालेख:
- सम्राट अशोक के शिलालेख भारत के सबसे प्राचीन लिखित अभिलेखों में शामिल हैं, जिनकी आयु लगभग 2200 वर्ष मानी जाती है।
- ये शिलालेख न केवल उनके शासनकाल की महत्त्वपूर्ण घटनाओं को उजागर करते हैं, बल्कि बौद्ध धर्म, नैतिकता और समाज के प्रति उनकी नीतियों को भी दर्शाते हैं।
- इनमें अहिंसा, दया, धार्मिक सहिष्णुता और जनकल्याण से जुड़े संदेश अंकित हैं, जो तत्कालीन प्रशासनिक दृष्टिकोण और सामाजिक सुधार के प्रयासों को प्रतिबिंबित करते हैं।
- मध्य प्रदेश में ये शिलालेख मुख्य रूप से साँची (रायसेन), रूपनाथ (जबलपुर), गुर्जरा (दतिया) और पंगुरारिया (सीहोर) में स्थित हैं।
- चौसठ योगिनी मंदिर:
- 9वीं से 12वीं शताब्दी के बीच निर्मित चौसठ योगिनी मंदिर तांत्रिक परंपराओं और अपनी विशिष्ट गोलाकार वास्तुकला के लिये प्रसिद्ध हैं।
- मध्य प्रदेश के मितावली (मुरैना), खजुराहो, जबलपुर, मंदसौर और शहडोल में स्थित ये मंदिर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
- विशेष रूप से मितावली का चौसठ योगिनी मंदिर, अपनी गोलाकार संरचना के कारण, भारतीय संसद भवन की प्रेरणा माना जाता है, जो इसकी अद्वितीय स्थापत्य शैली को दर्शाता है।
- गुप्तकालीन मंदिर:
- 5वीं-6वीं शताब्दी के दौरान निर्मित ये गुप्तकालीन मंदिर भारतीय स्थापत्य कला की उत्कृष्टता और अद्भुत नक्काशी के प्रतीक हैं।
- इनकी वास्तुकला में उस युग की शिल्पकला, धार्मिक आस्था और स्थापत्य तकनीक का अद्वितीय समन्वय देखने को मिलता है।
- मध्य प्रदेश के उदयगिरि (विदिशा), नचना (पन्ना), तिगवा (कटनी), भूमरा (सतना) और सकोर (दमोह) में स्थित ये मंदिर प्राचीन भारतीय वास्तुकला और शिल्पकला के उत्कर्ष का जीवंत प्रमाण प्रस्तुत करते हैं।
- बुंदेला शासकों के किले-महल:
- राजपूत और मुगल स्थापत्य कला के उत्कृष्ट संयोजन से निर्मित ये किले-महल, बुंदेला शिल्पकला और सैन्य रणनीति की अद्भुत मिसाल हैं।
- ये न केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि बुंदेला राजाओं की सैन्य कुशलता और सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक भी हैं।
- मध्य प्रदेश के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों—गढ़कुंडार किला, राजा महल, जहांगीर महल (ओरछा) और दतिया महल—में स्थित ये धरोहरें आज भी अपनी भव्यता और स्थापत्य सौंदर्य से पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।
- सम्राट अशोक के शिलालेख:
यूनेस्को
- यूनेस्को (UNESCO) यानी 'संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization)' संयुक्त राष्ट्र का ही एक भाग है।
- मुख्यालय - पेरिस (फ्राँस)
- गठन - 16 नवंबर, 1945
- कार्य- शिक्षा, प्रकृति तथा समाज विज्ञान, संस्कृति और संचार के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देना।
- उद्देश्य - इसका उद्देश्य शिक्षा एवं संस्कृति के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से शांति एवं सुरक्षा की स्थापना करना है, ताकि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में वर्णित न्याय, कानून का राज, मानवाधिकार एवं मौलिक स्वतंत्रता हेतु वैश्विक सहमति बन पाए।
यूनेस्को की संभावित सूची
- यूनेस्को की अस्थायी सूची उन संपत्तियों की सूची है, जिन पर प्रत्येक राज्य पक्ष नामांकन के लिये विचार करना चाहता है।
- यूनेस्को के परिचालन दिशानिर्देश, 2019 के अनुसार, किसी भी स्मारक/स्थल को अंतिम नामांकन डोजियर के लिये विचार किये जाने से पहले एक वर्ष के लिये अनंतिम सूची में रखना अनिवार्य है।
- नामांकन हो जाने के बाद इसे विश्व धरोहर केंद्र (WHC) को भेज दिया जाता है।


राजस्थान Switch to English
एकमुश्त समझौता योजना
चर्चा में क्यों?
राजस्थान सरकार ने किसानों एवं लघु उद्यमियों के लिये एकमुश्त समझौता योजना (OTS) लागू करने की घोषणा की है।
मुख्य बिंदु
- योजना के बारे में:
- इसका प्रमुख उद्देश्य किसानों और लघु उद्यमियों को वित्तीय संकट से बचाना और भूमि विकास बैंकों की स्थिरता सुनिश्चित करना है।
- इस योजना के तहत, यदि ऋणी 1 जुलाई, 2024 तक अवधिपार हो चुके मध्यकालीन एवं दीर्घकालीन ऋण के मूलधन की 100 प्रतिशत राशि जमा करते हैं, तो उन्हें ब्याज में शत-प्रतिशत छूट प्रदान की जाएगी।
- इसके अलावा, 5 प्रतिशत अनुदान की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे पात्र ऋणी सदस्य पुनः ऋण प्राप्त करने में सक्षम होंगे।
- इस योजना से भूमि विकास बैंकों से जुड़े 36,351 अवधिपार ऋणी सदस्यों को लाभ मिलेगा।
- विभिन्न आपदाओं के कारण किसान ऋण की किस्तें समय पर नहीं चुका सके, जिससे सहकारी भूमि विकास बैंकों का अवधिपार ऋण 760 करोड़ रुपए तक पहुँच गया है।
- इस स्थिति को सुधारने के लिये सरकार 200 करोड़ रुपए खर्च करेगी, जिससे न केवल ऋणों की वसूली आसान होगी, बल्कि बैंकों की आर्थिक स्थिति में सुधार भी होगा।
- योजना का महत्त्व
- यह योजना किसानों को नया ऋण प्राप्त करने और उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ाने में सहायता करेगी।
- इस योजना से छोटे व्यापारियों को वित्तीय राहत मिलेगी, जिससे वे अपने व्यवसाय को पुनः स्थापित और सशक्त कर सकेंगे।
- इस योजना से भूमि विकास बैंकों की ऋण वसूली दर में सुधार होगा।
भूमि विकास बैंक के बारे में:
- परिचय
- भूमि विकास बैंक (Land Development Bank - LDB) विशेष रूप से कृषि और ग्रामीण विकास के लिये स्थापित सहकारी बैंक हैं।
- ये बैंक दीर्घकालिक ऋण प्रदान करते हैं, जो मुख्य रूप से किसानों को भूमि सुधार, सिंचाई, बागवानी, कृषि उपकरण खरीदने, पशुपालन और अन्य कृषि संबंधी गतिविधियों के लिये दिये जाते हैं।
- इतिहास
- भारत में पहला भूमि विकास बैंक वर्ष 1920 में पंजाब के झंग में स्थापित किया गया था।
- इसके बाद वर्ष 1929 में चेन्नई में एक और बैंक की स्थापना हुई, जिसके साथ भूमि विकास बैंकों का विस्तार शुरू हुआ।
- वित्त के स्रोत
- केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा अनुदान और सहायता।
- कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिये वित्तपोषण।
- दीर्घकालिक वित्त जुटाने हेतु बॉन्ड्स का निर्गम।
- विभिन्न सहकारी एवं वाणिज्यिक बैंकों से ऋण।
- ऋण वितरण और पुनर्भुगतान
- भूमि विकास बैंक 20 से 30 वर्षों की अवधि के लिये दीर्घकालिक ऋण प्रदान करते हैं।
- ऋण की राशि आमतौर पर भूमि के मूल्य के 50% या वार्षिक राजस्व के 30 गुना तक होती है।
- ऋण प्रदान करने से पहले भूमि के स्वामित्व, आय और ऋण आवश्यकता का पूर्ण सत्यापन किया जाता है।
- ब्याज दरें आमतौर पर 11-12% होती हैं, ताकि किसान इसे आसानी से चुका सकें।


उत्तर प्रदेश Switch to English
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम पर नेशनल कॉन्फ्रेंस
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) पर नेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया।
मुख्य बिंदु
- कॉन्फ्रेंस के बारे में:
- गोरखपुर नगर निगम और WRI इंडिया के संयुक्त प्रयास से इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया।
- मुख्यमंत्री ने कॉन्फ्रेंस में पर्यावरण संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन न्यूनतम करने पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और जन जागरूकता के समन्वय से ही नेट जीरो लक्ष्य (2070) प्राप्त किया जा सकता है।
- उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि 2017 से अब तक 17 लाख हैलोजन हटाकर LED स्ट्रीट लाइट लगाई गई हैं। जिससे 1000 करोड़ रुपए की बचत और ऊर्जा की खपत में कमी हुई।
- मुख्यमंत्री ने बताया कि लखीमपुर में केले के रेशे से उत्पाद बनाने के लिये एक प्लांट की आधारशिला रखी गई, जहाँ निर्मित उत्पाद तीन माह में विघटित होकर मिट्टी में मिल जाएंगे।
- इस कॉन्फ्रेंस में वर्ष 2027 तक गोरखपुर को खुले में कचरा जलाने से मुक्त करने के लिये प्रभावी रणनीति तैयार करने पर भी चर्चा हुई।
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP):
- परिचय: राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) का उद्देश्य सभी हितधारकों को शामिल करके और आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित कर वायु प्रदूषण को व्यवस्थित रूप से संबोधित करना है।
- NCAP के तहत शहर विशिष्ट कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन के लिये 131 शहरों की पहचान की गई है।
- लक्ष्य: समयबद्ध कमी के लक्ष्य के साथ वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये एक राष्ट्रीय ढाँचा तैयार करने का यह देश में पहला प्रयास है।
- इसका लक्ष्य अगले पाँच वर्षों (तुलना के लिये आधार वर्ष- 2017) में मोटे (PM10) और महीन कणों (PM2.5) की सांद्रता में कम-से-कम 20% की कमी करना है।
- निगरानी: MoEFCC द्वारा "प्राण" पोर्टल भी लॉन्च किया गया है:
- NCAP के कार्यान्वयन की निगरानी करना।
- शहरों की कार्य योजनाओं और कार्यान्वयन की स्थिति की निगरानी करना।
- शहरों द्वारा अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं को दूसरों के अनुकरण के लिये साझा करना।
WRI इंडिया:
- परिचय
- WRI इंडिया (World Resources Institute India) एक स्वतंत्र अनुसंधान संगठन है, जो India Resources Trust के रूप में पंजीकृत है।
- यह World Resources Institute (WRI) से प्रेरित और संबद्ध है, जो वैश्विक पर्यावरण और विकास चुनौतियों के समाधान हेतु 1982 में वाशिंगटन, डीसी में स्थापित किया गया था।
- उद्देश्य
- इसका उद्देश्य पर्यावरणीय रूप से स्वस्थ और सामाजिक रूप से न्यायसंगत विकास को बढ़ावा देना है।
- WRI India शोध, विश्लेषण और नीतिगत सिफारिशों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, आजीविका संवर्द्धन और मानव कल्याण को बढ़ाने के लिये परिवर्तनकारी समाधान विकसित करता है।
- यह भारत के विभिन्न राज्यों में सतत् विकास परियोजनाओं पर कार्य कर रहा है।
- मुख्यालय
- WRI इंडिया का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।

