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बिहार

वाल्मीकि महोत्सव-2025

  • 10 Mar 2025
  • 3 min read

चर्चा में क्यों ? 

8 मार्च 2025 को बिहार के मुख्यमंत्री ने वाल्मीकि महोत्सव-2025 का शुभारंभ किया।

मुख्य बिंदु 

  • महोत्सव के बारे में:
    • वाल्मीकि महोत्सव महर्षि वाल्मीकि के योगदान को सम्मान देने के साथ-साथ बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और बढ़ावा देने का एक प्रभावी मंच है।
    • स्थल : यह महोत्सव पश्चिम चंपारण ज़िले के वाल्मीकिनगर में वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के बीच स्थित नदी घाटी परियोजना विद्यालय प्रांगण में आयोजित किया गया।
    • कार्यक्रम का शुभाराम्भ ‘बिहार गीत’ की प्रस्तुति से हुआ। इसके पश्चात महर्षि वाल्मीकि पर आधारित एक लघु फिल्म प्रदर्शित की गई, जिसमें इस पावन स्थल के महत्त्व को दर्शाया गया।
    • कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री और कला संस्कृति मंत्री सहित कई महत्त्वपूर्ण अतिथि मौजूद रहे।

महर्षि वाल्मीकि

  • महर्षि वाल्मीकि संस्कृत साहित्य के आदि कवि माने जाते हैं और उन्हें महाकाव्य "रामायण" के रचयिता के रूप में जाना जाता है। 
  • वे एक महान ऋषि, तपस्वी और दार्शनिक थे। उनके जीवन का उल्लेख विभिन्न ग्रंथों में मिलता है, जिनके अनुसार वे पहले एक डाकू थे, किंतु ऋषि नारद की प्रेरणा से उन्होंने तपस्या की और एक महान संत बने। 
  • उनकी तपस्या के दौरान उनके चारों ओर 'वाल्मीक' (चींटियों का टीला) बन गया, जिसके कारण उनका नाम 'वाल्मीकि' पड़ा।
  • महर्षि वाल्मीकि का जन्म आश्विन मास की पूर्णिमा को हुआ था, जिसे हिंदू पंचांग में वाल्मीकि जयंती के रूप में मनाया जाता है।

वाल्मिकी टाइगर रिज़र्व (VTR) 

  • VTR बिहार का एकमात्र बाघ अभयारण्य/टाइगर रिज़र्व है, जो भारत में हिमालय के तराई वनों की सबसे पूर्वी सीमा का निर्माण करता है।
    • VTR बिहार के पश्चिम चंपारण ज़िले में स्थित है जो उत्तर में नेपाल तथा पश्चिम में उत्तर प्रदेश के साथ सीमा साझा करता है।
  • गंगा के मैदानी जैव-भौगोलिक क्षेत्र में स्थित इस टाइगर रिज़र्व की वनस्पति भाबर तथा तराई क्षेत्रों का संयोजन है।
  • भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021 के अनुसार, इसके कुल क्षेत्रफल का 85.71% भाग वनाच्छादित है।
  • वाल्मिकी टाइगर रिज़र्व के वनों में पाए जाने वाले वन्य स्तनधारियों में बाघ, स्लॉथ भालू, तेंदुआ, जंगली कुत्ता, बाइसन, जंगली सूअर आदि शामिल हैं।
  • गंडक, पंडई, मनोर, हरहा, मसान तथा भपसा नदियाँ इस अभयारण्य के विभिन्न हिस्सों से प्रवाहित होती हैं।

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