केंद्रीय बजट 2025: बिहार के लिये प्रमुख आवंटन | 04 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट भाषण 2025 में बिहार के लिये कई परियोजनाओं की घोषणा की।
मुख्य बिंदु
- मखाने की खेती करने वाले किसानों को बढ़ावा:
- नव घोषित मखाना बोर्ड मखाना के उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और विपणन को बढ़ाएगा।
- मिथिला मखाना को 2022 में भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त हुआ, जिसमें बिहार भारत के कुल उत्पादन में 80% का योगदान देता है।
- इस पहल से पाँच लाख से अधिक किसानों को लाभ होने की उम्मीद है, खासकर दरभंगा, मधुबनी, सीतामढी, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, सुपौल और मधेपुरा में।
- विमानन अवसंरचना का विस्तार:
- बिहार में नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे भविष्य की मांगों को पूरा करेंगे।
- पटना हवाई अड्डे की क्षमता विस्तार और बिहटा में ब्राउनफील्ड हवाई अड्डे के विकास की भी योजना बनाई गई है।
- शिक्षा और बुनियादी ढाँचे में निवेश:
- पूंजी निवेश के लिये अतिरिक्त धनराशि आवंटित की जाएगी तथा बहुपक्षीय विकास बैंकों से बाह्य सहायता के लिये बिहार के अनुरोध पर तेज़ी से कार्रवाई की जाएगी।
- पूर्वी भारत के विकास के लिये पूर्वोदय पहल के अंतर्गत राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान की स्थापना की जाएगी।
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) पटना के लिये छात्रावास सहित बुनियादी ढाँचे के विस्तार की योजना बनाई गई है।
- मंदिर एवं पर्यटन विकास:
- बजट में विष्णुपद और महाबोधि मंदिर कॉरिडोर के समग्र विकास के लिये काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के समान समर्थन प्रदान करने का आश्वासन दिया गया है।
- नालंदा को एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा तथा नालंदा विश्वविद्यालय को उसके ऐतिहासिक महत्त्व को पुनः स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा।
विष्णुपद मंदिर और महाबोधि मंदिर
- गया स्थित विष्णुपद मंदिर:
- यह मंदिर बिहार के गया ज़िले में फल्गु नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।
- पौराणिक मान्यता:
- स्थानीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, गयासुर नामक एक राक्षस ने देवताओं से प्रार्थना की थी कि वे उसे दूसरों को मोक्ष (पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति) प्राप्त करने में सहायता करने की शक्ति प्रदान करें।
- हालाँकि, इस शक्ति का दुरुपयोग करने पर भगवान विष्णु ने उसे वश में कर लिया और मंदिर में एक पदचिह्न छोड़ दिया, जिसे उस घटना का निशान माना जाता है।
- वास्तुकला विशेषताएँ:
- यह मंदिर लगभग 100 फीट ऊँचा है और इसमें 44 स्तंभ हैं जो बड़े ग्रे ग्रेनाइट ब्लॉकों (मुंगेर काले पत्थर) से बने हैं और लोहे की पट्टियों से जोड़े गए हैं।
- अष्टकोणीय मंदिर पूर्व दिशा की ओर उन्मुख है।
- निर्माण:
- इसका निर्माण 1787 में महारानी अहिल्याबाई होल्कर के आदेश पर किया गया था।
- सांस्कृतिक प्रथाएँ:
- यह मंदिर पितृ पक्ष के दौरान विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण होता है, जो पूर्वजों के सम्मान के लिये समर्पित अवधि है तथा बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है।
- ब्रह्म कल्पित ब्राह्मण, जिन्हें गयावाल ब्राह्मण भी कहा जाता है, प्राचीन काल से ही मंदिर के पारंपरिक पुजारी रहे हैं।
- बोधगया में महाबोधि मंदिर:
- ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहाँ गौतम बुद्ध को महाबोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
- मंदिर का निर्माण:
- मूल मंदिर का निर्माण सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में करवाया था, जबकि वर्तमान संरचना 5वीं-6वीं शताब्दी की है।
- वास्तुकला विशेषताएँ:
- इसमें 50 मीटर ऊँचा भव्य मंदिर (वज्रासन), पवित्र बोधि वृक्ष और बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति के अन्य 6 पवित्र स्थल शामिल हैं।
- यह कई प्राचीन स्तूपों से घिरा हुआ है, जो अच्छी तरह से अनुरक्षित हैं तथा आंतरिक, मध्य और बाहरी गोलाकार सीमाओं द्वारा संरक्षित हैं।
- यह गुप्त काल के सबसे प्रारंभिक ईंट मंदिरों में से एक है, जिसने बाद की ईंट वास्तुकला को प्रभावित किया है।
- वज्रासन (हीरा सिंहासन) मूलतः सम्राट अशोक द्वारा उस स्थान को चिह्नित करने के लिये स्थापित किया गया था जहाँ बुद्ध बैठते थे और ध्यान करते थे।