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State PCS Current Affairs

बिहार

बिहार के लिये विशेष श्रेणी का दर्जा

  • 24 Mar 2025
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

बिहार के मुख्यमंत्री ने 16वें वित्त आयोग के समक्ष राज्य को विशेष श्रेणी का दर्ज़ा (SCS) दिये जाने की लंबे समय से चली आ रही मांग को दोहराया, जिससे राज्य को केंद्र से मिलने वाले कर राजस्व में वृद्धि होगी।

मुख्य बिंदु

  • विशेष श्रेणी का दर्जा:
    • ऐतिहासिक एवं संरचनात्मक चुनौतियाँ: बिहार को महत्त्वपूर्ण आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें औद्योगिक विकास का अभाव एवं सीमित निवेश के अवसर शामिल हैं।
      • राज्य के विभाजन के परिणामस्वरूप अधिकांश उद्योग झारखंड में स्थानांतरित हो गए, जिससे बिहार में रोज़गार एवं आर्थिक विकास की समस्याओं में वृद्धि हुई है।
    • प्राकृतिक आपदाएँ: राज्य उत्तरी क्षेत्र में बाढ़ तथा दक्षिणी भाग में गंभीर सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहा है।
      • इन आपदाओं की पुनरावृत्ति से कृषि गतिविधियाँ बाधित होती हैं, विशेषकर सिंचाई सुविधाओं के मामले में और साथ जल आपूर्ति भी अपर्याप्त रहती है जिससे आजीविका एवं आर्थिक स्थिरता प्रभावित होती है।
    • बुनियादी ढाँचे का अभाव: बिहार का अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा राज्य के समग्र विकास में बाधा उत्पन्न करता है, जिसमें अव्यवस्थित सड़क नेटवर्क, सीमित स्वास्थ्य सेवा पहुँच एवं शैक्षणिक सुविधाओं का अभाव आदि चुनौतियाँ शामिल हैं।
    • निर्धनता तथा सामाजिक विकास: बिहार में निर्धनता दर उच्च है तथा यहाँ बड़ी संख्या में परिवार गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं।
      • नीति आयोग के एक सर्वेक्षण के अनुसार बिहार, निर्धन राज्यों की श्रेणी में शीर्ष स्थान पर है, जहाँ वर्ष 2022-23 में बहुआयामी निर्धनता 26.59% थी, जो राष्ट्रीय औसत 11.28% की तुलना में अत्यधिक है।
      • बिहार की प्रतिव्यक्ति GDP वर्ष 2022-23 के लिये राष्ट्रीय औसत 1,69,496 रुपए की तुलना में मात्र 60,000 रुपए है।

विशेष श्रेणी का दर्ज़ा

  • परिचय:
    • विशेष श्रेणी का दर्ज़ा (SCS) केंद्र द्वारा भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े राज्यों के विकास में सहायता के लिये प्रदान किया जाने वाला एक वर्गीकरण है।
    • संविधान SCS के लिये प्रावधान नहीं करता है और यह वर्गीकरण बाद में 1969 में पाँचवें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर किया गया था।
    • प्रथमतः वर्ष 1969 में जम्मू-कश्मीर, असम और नगालैंड को यह दर्ज़ा प्रदान किया गया था। तेलंगाना भारत का नवीनतम राज्य है जिसे यह दर्ज़ा प्राप्त हुआ है।
    • SCS, विशेष स्थिति से भिन्न है जो कि उन्नत विधायी तथा राजनीतिक अधिकार प्रदान करता है, जबकि SCS केवल आर्थिक एवं वित्तीय पहलुओं से संबंधित है।
      • उदाहरण के लिये अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से पहले जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्ज़ा प्राप्त था।
  • दर्ज़ा प्राप्त करने के मापदंड (गाडगिल सिफारिश पर आधारित):
    • पहाड़ी इलाका
    • कम जनसंख्या घनत्व और/या जनजातीय जनसंख्या का बड़ा हिस्सा
    • पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर सामरिक स्थिति
    • आर्थिक तथा आधारभूत संरचना में पिछड़ापन 
    • राज्य के वित्त की अव्यवहार्य प्रकृति
  • लाभ:
    • अन्य राज्यों के मामले में 60% या 75% की तुलना में केंद्र प्रायोजित योजना में आवश्यक निधि का 90% विशेष श्रेणी के राज्यों को भुगतान किया जाता है, जबकि शेष निधि राज्य सरकारों द्वारा प्रदान की जाती है।
    • वित्तीय वर्ष में अव्ययित निधि व्यपगत नहीं होती है और इसे आगे बढ़ाया जाता है।
    • इन राज्यों को उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क, आयकर एवं निगम कर में महत्त्वपूर्ण रियायतें प्रदान की जाती हैं।
    • केंद्र के सकल बजट का 30% विशेष श्रेणी के राज्यों को प्रदान किया जाता है।

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