उत्तराखंड
उत्तराखंड में वनाग्नि में वृद्धि
- 24 Dec 2024
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चर्चा में क्यों?
भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में वनाग्नि में 74% की वृद्धि दर्ज की गई है।
मुख्य बिंदु
- उपग्रह अवलोकन और अग्नि दुर्घटनाओं की गणना:
- उत्तराखंड में, उपग्रह डेटा ने आग की घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की, नवंबर 2023 से जून 2024 तक 21,033 आग की घटनाएँ हुईं, जबकि वर्ष 2022-2023 में इसी अवधि के दौरान 5,351 घटनाएँ हुईं।
- इस मौसम के दौरान कुल 1,808.9 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र आग से प्रभावित हुआ।
- आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक आग प्रभावित क्षेत्र (5,286.76 वर्ग किमी.) दर्ज किया गया, उसके बाद महाराष्ट्र (4,095.04 वर्ग किमी.) और तेलंगाना (3,983.28 वर्ग किमी.), हिमाचल प्रदेश (783.11 वर्ग किमी.) का स्थान रहा।
- सर्वाधिक प्रभावित राज्य:
- छत्तीसगढ़: 18,950 घटनाएँ
- आंध्र प्रदेश: 18,174 घटनाएँ
- महाराष्ट्र: 16,008 घटनाएँ
- मध्य प्रदेश: 15,878 घटनाएँ
- तेलंगाना: 13,479 घटनाएँ
- उच्च जोखिम वाले क्षेत्र:
- उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को "अत्यंत उच्च जोखिम" वाले क्षेत्र घोषित किया गया।
- राष्ट्रव्यापी जोखिम:
- भारत का लगभग 11.34% वन क्षेत्र और झाड़ी क्षेत्र अत्यंत से लेकर अत्यंत अग्नि-प्रवण क्षेत्रों में स्थित है, जिनमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, झारखंड और उत्तराखंड के कुछ हिस्से संवेदनशील हैं।
- अग्नि संवेदनशीलता:
- अत्यधिक गर्मी और ईंधन की लकड़ी की उपलब्धता जैसी जलवायु परिस्थितियाँ वनों में आग लगने की संभावना में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं।
- ज्वलनशील पदार्थों की उपस्थिति के कारण आग अक्सर अन्य वन क्षेत्रों में तेज़ी से विस्तृत हो जाती है।
- यह डेटा भारत में वनों की आग की बढ़ती गंभीरता को उजागर करता है, जिसके पारिस्थितिकी और पर्यावरण पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकते हैं।
भारतीय वन सर्वेक्षण
- स्थापना: 1 जून, 1981 को स्थापित, 1965 में शुरू किये गए वन संसाधनों के पूर्व निवेश सर्वेक्षण (PISFR) का स्थान लिया।
- 1976 में, राष्ट्रीय कृषि आयोग (NCA) ने राष्ट्रीय वन सर्वेक्षण संगठन की स्थापना की सिफारिश की, जिसके परिणामस्वरूप FSI का निर्माण हुआ।
- PISFR की शुरुआत वर्ष 1965 में भारत सरकार द्वारा खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के सहयोग से की गई थी।
- मूल संगठन: पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार।
- प्राथमिक उद्देश्य: भारत के वन संसाधनों का नियमित रूप से आकलन और निगरानी करना।
- इसके अलावा, यह प्रशिक्षण, अनुसंधान और विस्तार की सेवाएँ भी प्रदान करता है।
- कार्यप्रणाली: FSI का मुख्यालय देहरादून में है तथा शिमला, कोलकाता, नागपुर और बंगलौर में चार क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ इसकी उपस्थिति पूरे भारत में है।
- पूर्वी क्षेत्र का एक उपकेंद्र बर्नीहाट (मेघालय) में है।