हरियाणा
राज्य विशिष्ट योजना
- 29 Oct 2024
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में, हरियाणा ने पराली दहन की समस्या से निपटने के लिये राज्य विशिष्ट योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य फसल कटाई के मौसम के दौरान वायु गुणवत्ता को बनाए रखना है।
प्रमुख बिंदु
- राज्य विशिष्ट योजना:
- हरियाणा की राज्य विशिष्ट योजना किसानों के लिये प्रोत्साहन और संसाधनों के माध्यम से पराली दहन में कमी लाने पर केंद्रित है, तथा मुख्य रूप से उन क्षेत्रों को लक्षित किया गया है जहाँ धान की कटाई के बाद पराली अवशेष के रूप में बचती है।
- सब्सिडी और संसाधन:
- सरकार पर्यावरण अनुकूल निपटान विधियों को बढ़ावा देने के लिये फसल अवशेष प्रबंधन के लिये हैप्पी सीडर्स और सुपर SMS सिस्टम जैसे उपकरणों पर सब्सिडी प्रदान करती है।
- दंड और पुरस्कार:
- पराली दहन के नियमों का उल्लंघन करने पर कठोर ज़ुर्माना लगाया जाता है, साथ ही नियमों का पालन करने वाले किसानों को प्रोत्साहन भी दिया जाता है, जिसका उद्देश्य दंडात्मक और सहायक उपायों के बीच संतुलन स्थापित करना है।
- पर्यावरणीय लक्ष्य:
- यह पहल सतत् कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने, वायु प्रदूषण को कम करने और श्वसन संबंधी स्वास्थ्य ज़ोखिमों को कम करने के माध्यम से राष्ट्रीय पर्यावरणीय लक्ष्यों के अनुरूप है।
पराली दहन के विकल्प
- पूसा डीकंपोजर: ये डीकंपोजर कवकों के उपभेदों को निकालकर बनाए गए कैप्सूल के रूप में होते हैं जो धान की पराली को बहुत तेज़ी से विघटित करने में मदद करते हैं।
- हैप्पी सीडर: यह ट्रैक्टर पर लगाया जाने वाला उपकरण है जो पराली दहन का पर्यावरण अनुकूल विकल्प प्रदान करता है।
- यह चावल के भूसे को काटकर और उठाकर, साथ ही साथ खुली मृदा में गेहूँ की बुवाई करके, तथा भूसे को बोए गए क्षेत्र पर सुरक्षात्मक मल्च के रूप में जमा करके काम करता है।
- पैलेटाइजेशन: धान की पराली को जब सुखाकर पैलेट में परिवर्तित कर दिया जाता है, तो यह एक व्यवहार्य वैकल्पिक ईंधन स्रोत बन जाता है।
- कोयले के साथ मिश्रित करने पर इन पैलेट का उपयोग ताप विद्युत संयंत्रों और उद्योगों में किया जा सकता है, जिससे कोयले के उपयोग में बचत होगी और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।