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बिहार

पटना उच्च न्यायालय ने बिहार के कोटा वृद्धि को रद्द किया

  • 21 Jun 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

पटना उच्च न्यायालय ने राज्य में सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षण कोटा 50% से बढ़ाकर 65% करने के बिहार सरकार के निर्णय को बदल दिया।

मुख्य बिंदु:

इंद्रा साहनी एवं अन्य बनाम भारत संघ, 1992

  • सर्वोच्च न्यायालय ने पिछड़े वर्गों के लिये 27% आरक्षण बरकरार रखते हुए उच्च जातियों के बीच आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों हेतु 10% सरकारी नौकरियों के लिये सरकारी अधिसूचना को लागू  किया।
  • इसी मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने इस सिद्धांत को भी बरकरार रखा कि संयुक्त आरक्षण लाभार्थियों को भारत की जनसंख्या के 50% से अधिक नहीं होना चाहिये।
  • इस निर्णय में ‘क्रीमी लेयर’ की अवधारणा को भी महत्त्व दिया गया और प्रावधान किया गया कि पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण केवल प्रारंभिक नियुक्तियों तक सीमित होना चाहिये तथा पदोन्नति में आरक्षण नहीं होना चाहिये।

मौलिक अधिकार

  • अनुच्छेद 14: विधि के समक्ष समता
    • इसमें कहा गया है कि भारत के राज्य क्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं किया जाएगा।
    • प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह देश का नागरिक हो या विदेशी सब पर यह अधिकार लागू होता है। इसके अतिरिक्त व्यक्ति शब्द में विधिक व्यक्ति अर्थात् संवैधानिक निगम, कंपनियाँ, पंजीकृत समितियाँ या किसी भी अन्य प्रकार का विधिक व्यक्ति सम्मिलित है।
  • अनुच्छेद 15: भेदभाव पर रोक
    • इसमें प्रावधान है कि राज्य द्वारा किसी नागरिक के प्रति केवल धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान को लेकर विभेद नहीं किया जाएगा।
  • अनुच्छेद 16: सार्वजनिक नियोजन के विषय में अवसर की समानता
    • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16 में राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन या नियुक्ति से संबंधित विषयों में सभी नागरिकों के लिये अवसर की समता होगी।
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