राजस्थान
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व
- 25 Mar 2025
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चर्चा में क्यों?
मध्यम आकार की और स्थानीय रूप से संकटग्रस्त बिल्ली कैराकल (Caracal) को पहली बार राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व में देखा गया।
मुख्य बिंदु
- कैराकल के बारे में:
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परिचय:
- इसका वैज्ञानिक नाम: कैराकल कैराकल श्मिट्ज़ी है।
- कैराकल एक रात्रिचर बिल्ली प्रजाति है, जो अफ्रीका, मध्य पूर्व, मध्य एशिया और दक्षिण एशिया में पाई जाती है।
- इसकी पहचान लंबे, नुकीले और काले गुच्छों वाले कानों से की जाती है। इसका नाम तुर्की शब्द 'करकुलक' से लिया गया है, जिसका अर्थ है- काले कान।
- यह अत्यंत फुर्तीला शिकारी है, जो तेज़ गति और लंबी छलांग लगाने की क्षमता के लिये जाना जाता है। इसका मुख्य आहार छोटे खुर वाले जानवर और कृंतक हैं।
- ऐतिहासिक महत्त्व:
- कैराकल भारतीय वन्यजीवों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहा है। इसका उल्लेख ख़म्सा-ए-निज़ामी और शाहनामा जैसे ऐतिहासिक ग्रंथों में मिलता है, जो शिकार में इसकी उपयोगिता को दर्शाता है। यह कभी भारत के 13 राज्यों में विभिन्न जैविक प्रांतों में पाया जाता था।
- वितरण:
- ये ज़्यादातर राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं और कच्छ, मालवा पठार, अरावली पहाड़ी शृंखला में स्थित हैं।
- भारत के अलावा, कैराकल अफ़्रीका, मध्य पूर्व, मध्य और दक्षिण एशिया के अनेक देशों में पाया जाता है।
- निवास:
- यह अर्ध-रेगिस्तान, मैदानी इलाकों, सवाना, झाड़ीदार भूमि, शुष्क जंगल और नम वुडलैंड या सदाबहार वन में पाया जाता है।
- यह खुले मैदान और शुष्क, झाड़ीदार, शुष्क आवासों को पसंद करता है और इसे आश्रय की आवश्यकता होती है।
- संख्या में गिरावट:
- भारत में कैराकल की संख्या 50 से भी कम रह गई है।
- 2001 से 2020 के बीच इनकी आबादी में 95% से अधिक गिरावट दर्ज की गई है।
- आवास क्षति और शहरीकरण के कारण इनका मुख्य भोजन दुर्लभ हो गया है।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: कम चिंतनीय
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची 1
- CITES: परिशिष्ट I
- वर्ष 2021 में, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कैराकल को गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया।
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व
- यह राजस्थान के हड़ौती क्षेत्र में स्थित है, जो राजस्थान के चार ज़िलों- कोटा, बूंदी, चित्तौड़गढ़ और झालावाड़ में 759 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
- इसमें 417 वर्ग किमी. का एक मुख्य क्षेत्र और 342 वर्ग किमी. का एक बफर ज़ोन शामिल है।
- इसे वर्ष 1955 में संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था। यहाँ के वन में पेड़ बहुत मोटे और घने हैं।
- यह टाइगर रिज़र्व चार नदियों रमज़ान, आहू, काली और चंबल से घिरा हुआ है और यह दो समानांतर पहाड़ों मुकुंदरा एवं गगरोला के बीच स्थित है। यह चंबल नदी की सहायक नदियों के अपवाह क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
- रणथंभौर और सरिस्का टाइगर रिज़र्व के बाद मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व राजस्थान का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिज़र्व है।
- राजस्थान सरकार ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) के सहयोग से वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत वर्ष 2013 में इसे टाइगर रिज़र्व घोषित किया था।