जैव विविधता और पर्यावरण
हंपबैक डॉल्फिन
- 21 Jan 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में महाराष्ट्र के बांद्रा-वर्ली समुद्री लिंक (Bandra-Worli sea link) पर हंपबैक डॉल्फ़िन (Humpback Dolphins) के एक समूह को देखा गया। आमतौर पर ये डॉल्फिन महाराष्ट्र के रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग ज़िलों के तट पर दिखाई देती हैं।
- पिछले कुछ समय में मुंबई तट के पास डॉल्फ़िन दिखाई देने की घटनाओं में वृद्धि हुई है। पिछले साल, मुंबई के पश्चिमी तट पर वर्सोवा (Versova) और मध जेट्टी (Madh Jetty) के बीच एक हंपबैक डॉल्फिन के देखे जाने की घटना चर्चा में थी।
- कुछ समय पूर्व, ससून डॉक्स (Sassoon Docks) के पास भी हिंद महासागरीय हंपबैक डॉल्फ़िन (Indian Ocean Humpback Dolphin) के एक समूह को देखा गया था।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- ये डॉल्फ़िन आमतौर पर उथले, तटीय जल में रहती हैं।
- हंपबैक डॉल्फ़िन पश्चिम और पूर्वी अफ्रीका, भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया के आस-पास के महासागरों में पाई जाती हैं। ये अधिकांशतः भूरे रंग की होती हैं।
- युवावस्था में ये काले या गहरे भूरे रंग की होती हैं और फिर जैसे-जैसे इनकी उम्र बढ़ती जाती है इनका रंग हल्का भूरा होता जाता है।
- हंपबैक डॉल्फ़िन मध्यम से छोटे आकार की डॉल्फ़िन होती हैं। ये स्तनधारी जीव हैं तथा सांस लेने के लिये पानी की सतह पर आती हैं।
- अन्य डॉल्फिन की तरह ये भी बुद्धिमान जानवर हैं जो आम तौर पर समूहों में रहती हैं।
- डॉल्फिन विलुप्तप्राय प्रजातियाँ हैं, जिन्हें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I (Schedule I of the Wildlife Protection Act, 1972) के तहत संरक्षण प्राप्त है।
हंपबैक डॉल्फिन प्रजातियाँ
साधारण नाम | वैज्ञानिक नाम | निवास | स्थिति |
इंडो-पैसिफिक हंपबैक डॉल्फिन या चाइनीज़ व्हाइट डॉल्फिन | सौसा चिनेंसिस (Sousa chinensis) |
पूर्वी हिंद महासागर और पश्चिमी प्रशांत महासागर | सुभेद्य (ताइवान की व्हाइट डॉल्फिन को गंभीर रूप से विलुप्तप्राय की श्रेणी में रखा गया है) |
अटलांटिक हंपबैक डॉल्फिन | सौसा तयूस्ज़ी (Sousa teuszii) |
पूर्वी अटलांटिक में पश्चिमी अफ्रीका के तट पर | गंभीर रूप से विलुप्तप्राय (critically endangered) |
हिंद महासागरीय हंपबैक डॉल्फिन | सौसा प्लूम्बा (Sousa plumbea) |
पश्चिमी और मध्य हिंद महासागर | विलुप्तप्राय (endangered) |
ऑस्ट्रेलियाई हंपबैक डॉल्फिन | सौसा साहुलेंसिस (Sousa sahulensis) |
उत्तरी ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणी न्यू गिनी | सुभेद्य (vulnerable) |
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972
- भारत सरकार ने देश के वन्य जीवन की रक्षा करने और प्रभावी ढंग से अवैध शिकार, तस्करी एवं वन्य जीवन तथा उनके व्युत्प्न्न के अवैध व्यापार को नियंत्रित करने के उद्देश्य से वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 लागू किया।
- इस अधिनियम में जनवरी 2003 में संशोधन किया गया तथा इस कानून के तहत अपराधों के लिये दी जाने वाली सज़ा और ज़ुर्माने को पहले की तुलना में अधिक कठोर बना दिया गया।
- इसका उद्देश्य सूचीबद्ध लुप्तप्राय वनस्पतियों और जीवों तथा पर्यावरण की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण संरक्षित क्षेत्रों को सुरक्षा प्रदान करना है।
स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस