मध्य प्रदेश
माधव राष्ट्रीय उद्यान
- 07 Feb 2025
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चर्चा में क्यों?
माधव राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश का 9वाँ टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया है, जिससे चंबल अंचल में वन्यजीवों की समृद्धि बढ़ेगी।
मुख्य बिंदु
- बाघों के संरक्षण की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम:
- विस्तार: माधव टाइगर रिज़र्व पाँच वर्षों के भीतर 1,600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तार करने की दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है।
- 100 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले बाघ सफारी की भी योजना बनाई गई है, जिसमें 20 करोड़ रुपए का बुनियादी ढाँचा निवेश होगा, जिससे पारिस्थितिकी पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की आशा है।
- वर्तमान में प्रदेश में 8 प्रमुख टाइगर रिज़र्व (कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना, सतपुड़ा, संजय दुबरी, रातापानी और नौरादेही टाइगर रिज़र्व) हैं। अब माधव नेशनल पार्क के टाइगर रिज़र्व बनने से यह संख्या बढ़कर 9 हो जाएगी, जो प्रदेश में बाघों की बढ़ती संख्या और संरक्षण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- इससे पहले सरकार ने रातापानी को आठवाँ टाइगर रिज़र्व घोषित किया था।
- ज्ञातव्य है कि हाल ही में कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता वीरा ने दो शावकों को जन्म दिया है।
- भारत में बाघों की सबसे ज़्यादा संख्या मध्य प्रदेश में (वर्ष 2022 की जनगणना के अनुसार 785) है।
माधव राष्ट्रीय उद्यान
- परिचय:
- माधव राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के शिवपुरी ज़िले में स्थित ऊपरी विंध्य पहाड़ियों का एक हिस्सा है।
- यह पार्क मुगल बादशाहों और ग्वालियर के महाराजाओं का शिकारगाह था। इसे वर्ष 1959 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला।
- पारिस्थितिकी तंत्र: यह क्षेत्र विविध पारिस्थितिकी तंत्र से परिपूर्ण है, जिसमें झीलें, शुष्क पर्णपाती वन और काँटेदार वन शामिल हैं। यहाँ बाघ, तेंदुआ, नीलगाय, चिंकारा, चौसिंघा और विभिन्न प्रकार के हिरणों का आवास है।
- बाघ गलियारा:
- यह पार्क देश के 32 प्रमुख बाघ गलियारों में से एक के अंतर्गत आता है, जो बाघ संरक्षण योजना के माध्यम से संचालित होते हैं। बाघ संरक्षण योजना वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत कार्यान्वित की जाती है।