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उत्तराखंड

धारचूला में भूस्खलन

  • 04 Jul 2024
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले में धारचूला जाने वाली सड़क पर भीषण भूस्खलन के कारण सड़क पूरी तरह से अवरुद्ध हो गई है।

  • अत्यधिक वर्षा के कारण उत्तराखंड में छह राजमार्ग और 96 सड़कें बंद हैं। भूस्खलन के कारण 47 ग्रामीण सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं।

मुख्य बिंदु:

  • अत्यधिक वर्षा के कारण भूस्खलन और दुर्घटनाएँ होती हैं, जो हर मानसून में उत्तराखंड के लिये एक बड़ी चुनौती बन जाती है।
    • वर्ष 2023 में जून से सितंबर तक लगभग 100 लोग मारे गए और कई लापता हो गए।
  • मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने मानसून के दौरान सभी ट्रांसफार्मरों की सुरक्षा ऑडिट कराने का आह्वान किया तथा विद्युत उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये राज्य में औद्योगिक संस्थानों के तीव्र विकास का आग्रह किया।

भूस्खलन

  • भूस्खलन को चट्टान, मलबे या मृदा के द्रव्यमान का ढलान से नीचे खिसकना कहा जाता है।
  • वे एक प्रकार का सामूहिक क्षय है, जो गुरुत्त्वाकर्षण के प्रत्यक्ष प्रभाव के तहत मृदा और चट्टान के नीचे की ओर होने वाले किसी भी प्रकार के संचलन को दर्शाता है।
  • भूस्खलन शब्द में ढलान की गति के पाँच प्रकार शामिल हैं: गिरना, लुढ़कना, खिसकना, फैलना और बहना।
  • कारण:
    • जब नीचे की ओर कार्य करने वाले बल (मुख्यतः गुरुत्वाकर्षण के कारण) ढलान बनाने वाले पृथ्वी के घटकों की ताकत से अधिक हो जाते हैं, तो ढलान विस्थापन होता है।
    • भूस्खलन तीन प्रमुख कारकों के कारण होता है: भूविज्ञान, आकृति विज्ञान और मानवीय गतिविधि।
      • भूविज्ञान सामग्री की विशेषताओं को संदर्भित करता है। धरती या चट्टान दुर्बल या खडिंत हो सकती है या अलग-अलग परतों में भिन्न-भिन्न  ताकत और कठोरता हो सकती है।
      • भूमि की संरचना को आकृति विज्ञान कहा जाता है। उदाहरण के लिये भूस्खलन की संभावना उन ढलानों पर अधिक होती है, जहाँ आग या सूखे के कारण वनस्पतियाँ नष्ट हो गई हों।
        • वनस्पति मृदा को अपने स्थान पर बनाए रखती है और पेड़ों, झाड़ियों तथा अन्य पौधों की जड़ प्रणालियों के बिना, भूमि के खिसकने की संभावना अधिक होती है।
      • मानवीय गतिविधियाँ, जिनमें कृषि और निर्माण शामिल हैं, भूस्खलन के जोखिम को बढ़ाती हैं।
  • भूस्खलन-प्रवण क्षेत्र:
  • संपूर्ण हिमालयी क्षेत्र, पूर्वोत्तर भारत के उप-हिमालयी इलाकों की पहाड़ियाँ/पर्वत, पश्चिमी घाट, तमिलनाडु के कोंकण क्षेत्र में नीलगिरी भूस्खलन-प्रवण हैं।

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