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जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र

  • 24 Apr 2025
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

विश्व पृथ्वी दिवस पर, अधिकारियों ने पिंजौर (हरियाणा) में जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र (JCBC) से 34 गंभीर रूप से लुप्तप्राय गिद्धों (20 लंबी-चोंच वाले और 14 सफेद-पूंछ वाले) को सफलतापूर्वक महाराष्ट्र में स्थानांतरित करके गिद्ध संरक्षण को एक बड़ा बढ़ावा दिया।

मुख्य बिंदु 

  • वन्य पुनरुत्पादन के लिये स्थल:
  • BNHS और सहयोग की भूमिका:

    • बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) ने हरियाणा और महाराष्ट्र के वन विभागों के सहयोग से इस स्थानांतरण का समन्वय किया।
      • अखिल भारतीय वन्यजीव अनुसंधान संगठन BNHS वर्ष 1883 से प्रकृति संरक्षण को बढ़ावा दे रहा है।
      • इसका मिशन अनुसंधान, शिक्षा और सार्वजनिक जागरूकता पर आधारित कार्रवाई के माध्यम से प्रकृति, मुख्य रूप से जैवविविधता का संरक्षण करना है।
      • इसका लक्ष्य एक व्यापक आधार वाला स्वतंत्र वैज्ञानिक संगठन बनना है, जो संकटग्रस्त प्रजातियों और आवासों के संरक्षण में उत्कृष्टता हासिल कर सके।
  • संरक्षण प्रजनन केंद्रों का राष्ट्रीय नेटवर्क:
    • BNHS ने पूरे भारत में चार जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र स्थापित किये हैं:
      • पिंजौर (हरियाणा)
      • भोपाल (मध्य प्रदेश)

      • राजाभटखावा (पश्चिम बंगाल)

      • रानी, ​​गुवाहाटी (असम)

विश्व पृथ्वी दिवस 

  • यह प्रत्येक वर्ष 22 अप्रैल को विश्व भर में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने, शिक्षित और सक्रिय करने के उद्देश्य के साथ मनाया जाता है।
  • वर्ष 2025 की थीम: "हमारी शक्ति, हमारा ग्रह (Our Power, Our Planet)" - यह सभी से नवीकरणीय ऊर्जा के लिये एकजुट होने और वर्ष 2030 तक स्वच्छ ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने की दिशा में कार्य करने का आह्वान करता है।
  • पृथ्वी दिवस पहली बार कैलिफोर्निया में तेल रिसाव के विनाशकारी परिणामों के बारे में सीनेटर गेलोर्ड नेल्सन के अवलोकन के बाद, वर्ष 1970 में मनाया गया।
  • नेल्सन ने एक आंदोलन शुरू किया जिसमे पर्यावरण सुधारों के लिये 20 मिलियन से अधिक अमेरिकन लोग शामिल हुये। 
  • इस निर्णायक दिन के कारण अमेरिका में महत्त्वपूर्ण पर्यावरण संबंधी कानून पारित हुए, जिनमें पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) का गठन भी शामिल था।
  • वर्ष 1990 में पृथ्वी दिवस में 141 देशों के लगभग 200 मिलियन लोगों ने भाग लिया, जिससे यह एक विश्वव्यापी आयोजन बन गया।
  • महत्त्व: यह विश्व भर में हरित पहलों का जश्न मनाने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में चल रहे प्रयासों को उजागर करने का अवसर भी प्रदान करता है।

जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र

  • परिचय:
    • यह हरियाणा वन विभाग और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) की संयुक्त परियोजना है।
    • इसका उद्देश्य तीन गंभीर रूप से लुप्तप्राय गिद्ध प्रजातियों - सफेद पीठ वाले, लंबी चोंच वाले और पतली चोंच वाले - को बचाना है।
    • इस केंद्र की स्थापना सितंबर 2001 में गिद्ध देखभाल केंद्र (VCC) के रूप में की गई थी।
    • VCC को VCBC (बाद में जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र- JCBC) में उन्नत किया गया।
  • स्थिति:
    • JCBC हरियाणा के पिंजौर से लगभग 8 किमी दूर, बीर शिकारगाह वन्यजीव अभयारण्य के पास जोधपुर गाँव में स्थित है।
    • यह हरियाणा वन विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई 5 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है।
    • JCBC में वर्तमान में 160 गिद्ध हैं, जिनमें शामिल हैं:
    • यह विश्व स्तर पर एक स्थान पर इन तीन जिप्स प्रजातियों का सबसे बड़ा संग्रह है।

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