बिहार
भारत के पहले डॉल्फिन रिसर्च सेंटर में निष्क्रियता
- 21 Nov 2024
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चर्चा में क्यों?
भारत में डॉल्फिन संरक्षण को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि बिहार में स्थित नेशनल डॉल्फिन रिसर्च सेंटर (NDRC) उन्नत उपकरणों और सक्षम मानव संसाधनों की कमी के कारण उद्घाटन के महीनों बाद भी कार्यरत नहीं हो पाया है।
मुख्य बिंदु
- उद्घाटन एवं वर्तमान स्थिति:
- पटना में गंगा के निकट स्थित NDRC का उद्घाटन 4 मार्च, 2024 को बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा किया गया था।
- इसके उद्घाटन के बावजूद, केंद्र अभी भी निष्क्रिय है, उपेक्षा का शिकार बना हुआ है और इसके काँच के दरवाजे बंद हैं।
- डॉल्फिन संरक्षण पर प्रभाव:
- इस देरी के कारण भारत के राष्ट्रीय जलीय पशु, गंगा डॉल्फिन पर आवश्यक शोध में बाधा उत्पन्न हुई है।
- "भारत के डॉल्फिन मैन" आर.के. सिन्हा, जिन्होंने 15 वर्ष पहले NDRC का प्रस्ताव रखा था, ने प्रगति की कमी पर निराशा व्यक्त की।
- आधिकारिक आश्वासन:
- बिहार वन एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने आश्वासन दिया कि NDRC वित्तीय वर्ष 2024-25 के भीतर परिचालन शुरू कर देगा।
- केंद्र का उद्देश्य डॉल्फिनों का संरक्षण करना, उनके व्यवहार और आवास का अध्ययन करना तथा मछली पकड़ने के दौरान डॉल्फिनों की सुरक्षा के लिये मछुआरों को प्रशिक्षित करना है।
- रणनीतिक स्थान और महत्त्व:
- 4,400 वर्ग मीटर में विस्तृत यह सुविधा पटना विश्वविद्यालय परिसर में गंगा के पास स्थित है, जहाँ डॉल्फिनों को उनके प्राकृतिक आवास में प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है।
- संरक्षण चुनौतियाँ:
- भारत की 3,000 गंगा डॉल्फिनों में से आधे का निवास स्थान बिहार है, तथा निर्माण और प्रदूषण जैसी गतिविधियों के कारण इनके आवासों को खतरा है।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने हाल ही में भागलपुर में पुल के मलबे से डॉल्फिन की संख्या के प्रति उत्पन्न खतरे को उजागर किया है।
- गंगा डॉल्फिन का महत्त्व:
- ये लुप्तप्राय डॉल्फिन, जो दृष्टिहीन (Blind) हैं और इकोलोकेशन पर निर्भर हैं, नदी पारिस्थितिकी तंत्र के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- इकोलोकेशन एक तकनीक है जिसका उपयोग चमगादड़, डॉल्फिन और अन्य जानवर परावर्तित ध्वनि का उपयोग करके वस्तुओं का स्थान निर्धारित करने के लिये करते हैं।
- वे न्यूनतम धाराओं वाले गहरे जल में पनपते हैं और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के दिशानिर्देशों के तहत संरक्षित हैं।
- 1801 में खोजी गई गंगा नदी डॉल्फिन ऐतिहासिक रूप से भारत, नेपाल और बांग्लादेश में गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना और कर्णफुली-सांगु नदी प्रणालियों में निवास करती है।
- गंगा नदी बेसिन में हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि ये नदियाँ मुख्यधारा और घाघरा, कोसी, गंडक, चंबल, रूपनारायण और यमुना जैसी सहायक नदियों में मौजूद हैं।
- ये लुप्तप्राय डॉल्फिन, जो दृष्टिहीन (Blind) हैं और इकोलोकेशन पर निर्भर हैं, नदी पारिस्थितिकी तंत्र के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।