उत्तर प्रदेश
हरित महाकुंभ
- 09 Jan 2025
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चर्चा में क्यों?
31 जनवरी, 2025 को प्रयागराज में हरित महाकुंभ का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देश भर से 1,000 से अधिक पर्यावरण और जल संरक्षण कार्यकर्त्ता एकजुट होंगे।
- शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने ज्ञान महाकुंभ के हिस्से के रूप में इस अनूठे कार्यक्रम का आयोजन किया है, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री इसके मुख्य संरक्षक हैं।
मुख्य बिंदु
- पर्यावरण के संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा:
- चर्चा में प्रकृति, पर्यावरण, जल और स्वच्छता से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
- विशेषज्ञ प्रकृति के पाँच तत्त्वों के बीच संतुलन बनाने और इससे जुड़ी चुनौतियों से निपटने के संदर्भ में जानकारी साझा करेंगे।
- इस कार्यक्रम में महाकुंभ में आने वाले लोगों में पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता अभियान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के तरीकों पर विचार किया जाएगा।
- स्वच्छ महाकुंभ पहल की सफलता सुनिश्चित करने के लिये सरकारी एजेंसियाँ, जन प्रतिनिधि और स्थानीय नागरिक मिलकर काम कर रहे हैं।
- स्वच्छता रथ यात्रा:
- स्वच्छता को बढ़ावा देने और जन जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रयागराज में स्वच्छता रथ यात्रा भी शुरू की गई, जिसमें महत्त्वपूर्ण सामुदायिक भागीदारी हुई।
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य प्रयागराज को महाकुंभ श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिये स्वच्छता के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करना है।
- महाकुंभ नगर मार्ग पर प्राचीन वातावरण बनाए रखते हुए, यह पहल लाखों संभावित आगंतुकों के लिये स्वागत योग्य वातावरण सुनिश्चित करती है।
- प्रदर्शनों के माध्यम से जागरूकता अभियान:
- नुक्कड़ नाटक के कलाकारों ने रंग-कोडित कूड़ेदान लेकर गीले और सूखे अपशिष्ट को उचित तरीके से अलग करने का प्रदर्शन किया।
- रथ के साथ-साथ स्वच्छता-थीम वाले संगीत बैण्ड ने प्रस्तुति दी, जिससे स्वच्छ शहर बनाए रखने का संदेश दिया गया।
- सफाई मित्रों और नगर निगम कर्मचारियों ने स्वच्छता उपायों को बढ़ावा देने और लागू करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
महाकुंभ
- कुंभ मेला संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची के अंतर्गत आता है।
- यह पृथ्वी पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसके दौरान प्रतिभागी पवित्र नदी में स्नान करते हैं या डुबकी लगाते हैं।
- यह नासिक में गोदावरी नदी, उज्जैन में शिप्रा नदी, हरिद्वार में गंगा और प्रयागराज में गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी के संगम पर होता है। इस संयोजन को 'संगम' कहा जाता है।