केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पाया गया यूट्रीकुलेरिया | 17 Jan 2025
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में एक दुर्लभ और अनोखा मांसाहारी पौधा 'यूट्रीकुलेरिया' खोजा गया है।
- सामान्यतः ब्लैडरवॉर्ट्स के नाम से जाना जाने वाला यह पौधा आमतौर पर मेघालय और दार्जिलिंग जैसे क्षेत्रों में पाया जाता है।
मुख्य बिंदु
- जैव विविधता में भूमिका:
- विशेषज्ञों का मानना है कि उद्यान में ब्लैडरवॉर्ट की उपस्थिति जैव विविधता को बढ़ाती है और केवलादेव के पारिस्थितिकी तंत्र में सकारात्मक योगदान देती है।
- यूट्रीकुलेरिया छोटे कीटों को पकड़कर पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- भारत में इसे आखिरी बार 36 वर्ष के अंतराल के बाद वर्ष 2021 में उत्तराखंड के चमोली की मंडल घाटी में खोजा गया था।
- फीडिंग मैकेनिज़्म:
- आदर्श विकास स्थितियाँ:
- यूट्रीकुलेरिया की वृद्धि पंचना बाँध से प्रचुर मात्रा में जल की आपूर्ति के कारण होती है, जो पौधे की वृद्धि के लिये आदर्श परिस्थितियाँ उत्पन्न करती है।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
- परिचय:
- यह राजस्थान के भरतपुर में स्थित एक आर्द्रभूमि और पक्षी अभयारण्य और UNESCO विश्व धरोहर स्थल है।
- चिल्का झील (उड़ीसा) और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) को 1981 में भारत के प्रथम रामसर स्थल के रूप में मान्यता दी गई।
- वर्तमान में, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान और लोकतक झील (मणिपुर) मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड में हैं।
- यह अपनी समृद्ध पक्षी विविधता और जलपक्षियों की प्रचुरता के लिये जाना जाता है और यहाँ 365 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें साइबेरियाई सारस जैसी कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियाँ भी शामिल हैं।
- यह राजस्थान के भरतपुर में स्थित एक आर्द्रभूमि और पक्षी अभयारण्य और UNESCO विश्व धरोहर स्थल है।
- जीव-जंतु:
- वनस्पति:
- प्रमुख वनस्पति प्रकार उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन हैं, जिनमें बबूल नीलोटिका का प्रभुत्व है तथा शुष्क घास के मैदान भी इसमें शामिल हैं।
- नदी:
- गंभीर और बाणगंगा दो नदियाँ हैं जो इस राष्ट्रीय उद्यान से होकर बहती हैं।