बुद्ध के अवशेष उजागर करने हेतु उत्खनन | 20 Nov 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने उत्तर प्रदेश के महाराजगंज ज़िले के रामग्राम में पुरातात्विक उत्खनन का उद्घाटन किया।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की अगुवाई में चल रही इस परियोजना का उद्देश्य भगवान बुद्ध के आठवें अवशेष के साक्ष्य को उजागर करना है, जिसके बारे में माना जाता है कि वह इसी स्थल पर दफन है।
मुख्य बिंदु
- ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्त्व:
- यह स्थल उन आठ स्थानों में से एक है जहाँ भगवान बुद्ध के अवशेष रखे गए थे तथा बौद्ध परम्पराओं में इसका अत्यधिक महत्त्व है।
- यह सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग के अंतर्गत स्थित है और ऐतिहासिक रूप से प्राचीन कोलिया साम्राज्य से जुड़ा हुआ है।
- कोलिया उत्तर-पूर्वी दक्षिण एशिया का एक प्राचीन इंडो-आर्यन वंश था जिसका अस्तित्व लौह युग के दौरान प्रमाणित होता है।
- क्षेत्रीय विकास की संभावना:
- आशा है कि उत्खनन से यह स्थान एक प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थल में बदल जाएगा।
- इस विकास से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलने तथा आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलने की आशा है।
- वैश्विक मान्यता पर ध्यान:
- इस परियोजना का उद्देश्य इस स्थल को वैश्विक बौद्ध तीर्थयात्रा सर्किट में एकीकृत करना है।
- स्थानीय प्राधिकारियों को उम्मीद है कि अंतर्राष्ट्रीय तीर्थयात्रियों और विद्वानों की यात्रा में वृद्धि होगी, जिससे क्षेत्र की सांस्कृतिक छवि में वृद्धि होगी।
सोहागी बरवा वन्यजीव अभयारण्य
- परिचय:
- यह उत्तर प्रदेश के महाराजगंज ज़िले में स्थित है।
- उत्तर में यह अभयारण्य नेपाल के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करता है तथा पूर्व में बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के साथ सीमा साझा करता है।
- इसे जून 1987 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया।
- जल निकासी:
- इसमें ग्रेट गंडक, लिटिल गंडक, प्यास और रोहिन नदियाँ बहती हैं।
- वनस्पति:
- लगभग 75% क्षेत्र साल के वनों से आच्छादित है तथा अन्य आर्द्र क्षेत्र जामुन, गुटल, सेमल, खैर आदि के वृक्षों से आच्छादित हैं।
- अभयारण्य का निचला क्षेत्र, जो बारिश के दौरान जलमग्न हो जाता है, घास के मैदानों और बेंत के वनों से युक्त है।
- जीव-जंतु: