भारत निर्वाचन आयोग | 25 Sep 2024

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत निर्वाचन आयोग ने हरियाणा में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिये अपने प्रयासों को तेज़ कर दिया है, जिसमें अभियान के वित्त की वास्तविक समय निगरानी, मतदाता आउटरीच पहल और आदर्श आचार संहिता के सख्त पालन पर ध्यान केंद्रित किया गया है

मुख्य बिंदु: 

  • भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India- ECI) एक स्वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में संघ और राज्य की चुनावी प्रक्रियाओं के प्रशासन के लिये ज़िम्मेदार है।
    • इसकी स्थापना संविधान के अनुसार 25 जनवरी 1950 को ( राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है ) की गई थी। आयोग का सचिवालय नई दिल्ली में है।
  • यह निकाय भारत में लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानसभाओं तथा देश में राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के पदों के लिये चुनावों का संचालन करता है।
  • संवैधानिक प्रावधान:
    • भाग XV (अनुच्छेद 324-329): यह चुनावों से संबंधित है और इन मामलों के लिये एक आयोग की स्थापना करता है।
    • अनुच्छेद 324: चुनावों का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण निर्वाचन आयोग में निहित होगा।
    • अनुच्छेद 325: किसी भी व्यक्ति को धर्म, मूलवंश, जाति या लिंग के आधार पर किसी विशेष मतदाता सूची में शामिल होने के लिये अपात्र नहीं ठहराया जा सकता या शामिल होने का दावा नहीं किया जा सकता।
    • अनुच्छेद 326: लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिये चुनाव वयस्क मताधिकार पर आधारित होंगे।
    • अनुच्छेद 327: विधानमंडलों के चुनावों के संबंध में प्रावधान करने की संसद की शक्ति।
    • अनुच्छेद 328: किसी राज्य के विधानमंडल की ऐसे विधानमंडल के लिये चुनावों के संबंध में उपबंध करने की शक्ति।
    • अनुच्छेद 329: चुनावों के मामलों में न्यायालयों द्वारा हस्तक्षेप पर प्रतिबंध।
  • ECI की संरचना:
    • मूलतः आयोग में केवल एक निर्वाचन आयुक्त होता था, लेकिन निर्वाचन आयुक्त संशोधन अधिनियम, 1989 के बाद इसे बहुसदस्यीय निकाय बना दिया गया।
    • निर्वाचन आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की संख्या (यदि कोई हो) शामिल होगी, जिन्हें राष्ट्रपति समय-समय पर निर्धारित करें।
    • वर्तमान में, इसमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्त (EC) शामिल हैं।
      • राज्य स्तर पर निर्वाचन आयोग को मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
  • आयुक्तों की नियुक्ति एवं कार्यकाल:
  • हटाना:
    • वे किसी भी समय त्यागपत्र दे सकते हैं या कार्यकाल समाप्त होने से पहले भी हटाए जा सकते हैं।
    • मुख्य निर्वाचन आयुक्त को संसद द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया के समान ही पदच्युत किया जा सकता है, जबकि निर्वाचन आयुक्तों को केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सिफारिश पर ही हटाया जा सकता है।
  • सीमाएँ:
    • संविधान में निर्वाचन आयोग के सदस्यों की योग्यताएँ (विधिक, शैक्षिक, प्रशासनिक या न्यायिक) निर्धारित नहीं की गई हैं।
    • संविधान में निर्वाचन आयोग के सदस्यों का कार्यकाल निर्दिष्ट नहीं किया गया है।
    • संविधान ने सेवानिवृत्त निर्वाचन आयुक्तों को सरकार द्वारा किसी भी अन्य नियुक्ति से वंचित नहीं किया है।