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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में गौ-आधारित नेचुरल फार्मिंग

  • 31 Dec 2024
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि गौ-आधारित नेचुरल फार्मिंग से प्रति एकड़ 10,000 से 12,000 रुपए की बचत होकर  किसानों की आय बढ़ सकती है।

  • उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यदि राज्य के अधिकांश किसान इस पद्धति को अपनाएँ तो काफी सामूहिक बचत संभव है।

मुख्य बिंदु

  • गौ-आधारित खेती के लाभ:
    • इससे कृषि लागत कम होती है और पशुधन का संरक्षण होता है।
    • दीर्घकाल में मृदा, जल और मानव स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
  • इनपुट पर वर्तमान निर्भरता:
  • बीज:
    • उत्तर प्रदेश अपनी आवश्यकता का केवल आधा बीज ही उत्पादित करता है तथा शेष बीज को अन्य राज्यों, विशेषकर दक्षिणी भारत से ऊंची लागत पर आयात करता है।
  • उर्वरक:
    • भारत उर्वरकों, विशेषकर यूरिया, फॉस्फेट और पोटाश के लिये आयात पर बहुत अधिक निर्भर करता है
    • वर्ष 2023-2024 में अकेले यूरिया आयात पर 2,127 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।
      • भारत की उच्च मांग के कारण निर्यातक देश अक्सर कीमतें बढ़ा देते हैं।
  • गौ-आधारित नेचुरल फार्मिंग की संभावनाएँ:
    • विशेषज्ञ उर्वरक आयात पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा को बचाने की इसकी क्षमता पर प्रकाश डालते हैं।
    • उत्तर प्रदेश में 2.78 करोड़ किसान और लगभग 2 करोड़ मवेशी हैं, जो गौ-आधारित खेती के लिये एक मज़बूत आधार प्रदान करते हैं।
      • एक गाय के गोबर और मूत्र से लगभग चार एकड़ भूमि पर खेती की जा सकती है।
  • सरकारी पहल:
  • आत्मनिर्भर गौशालाएँ: गौशालाओं को गौ-आधारित नेचुरल फार्मिंग के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
  • समर्पित विश्वविद्यालय: पारंपरिक तरीकों को आधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ एकीकृत करने के लिये नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming) विश्वविद्यालय स्थापित करने की योजना।

    वित्तीय सहयता: किसानों को तीन वर्षों में वित्तीय सहायता मिलती है, पहले वर्ष 4,800 रुपए, दूसरे वर्ष 4,000 रुपए और तीसरे वर्ष 3,600 रुपए।

  • उत्पाद विपणन: प्राकृतिक कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये संभागीय मुख्यालयों पर समर्पित आउटलेट स्थापित किये गए हैं।
  • सरकार उपभोक्ता विश्वास और बाज़ार विश्वसनीयता बढ़ाने के लिये उत्पाद प्रमाणन को प्राथमिकता दे रही है।
  • जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग:

    • कोविड के बाद, जैविक, क्षेत्रीय स्तर पर उत्पादित उत्पादों की मांग अधिक है।
    • शोध संस्थान क्षेत्रीय स्वाद वाले स्वास्थ्यवर्द्धक खाद्य विकल्पों के प्रति बढ़ती प्राथमिकता पर प्रकाश डालते हैं।

नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming)

  • यह कृषि की एक ऐसी पद्धति है जो एक संतुलित और आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का प्रयास करती है जिसमें सिंथेटिक रसायनों या आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों के उपयोग के बिना फसलें उगाई जा सकें।
    • कृत्रिम उर्वरकों और कीटनाशकों जैसे कृत्रिम इनपुट पर निर्भर रहने के बजाय, प्राकृतिक किसान मृदा स्वास्थ्य को बढ़ाने और फसल विकास को समर्थन देने के लिये फसल चक्र, अंतरफसल और खाद बनाने जैसी तकनीकों पर भरोसा करते हैं।
  • प्राकृतिक कृषि पद्धतियां प्रायः पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं पर आधारित होती हैं तथा इन्हें स्थानीय परिस्थितियों और संसाधनों के अनुरूप अनुकूलित किया जा सकता है।
  • नेचुरल फार्मिंग का लक्ष्य स्वस्थ, पौष्टिक भोजन का उत्पादन करना है जो सतत् और पर्यावरण के अनुकूल हो।




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