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छत्तीसगढ़

केंद्र ने 8 लाख PMAY आवासों को मंज़ूरी दी

  • 06 Sep 2024
  • 5 min read

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्र ने छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 8 लाख से अधिक घरों के निर्माण को मंज़ूरी दी है।

मुख्य बिंदु 

  • केंद्र ने छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत निर्माण के लिये 8,46,931 आवासों को मंज़ूरी दी।
  • 'नियद नेल्लनार' योजना: नक्सल प्रभावित गाँवों तक बुनियादी सुविधाएँ और कल्याणकारी परियोजनाओं का लाभ सुनिश्चित करने के लिये वर्ष 2024 की शुरुआत में शुरू की गई।
    • इस योजना के तहत सुरक्षा शिविरों के 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले अंदरूनी गाँवों में विकास कार्य किया जा रहा है।
  • प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान: इसका उद्देश्य विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है। इसके तहत राज्य में 24,064 आवास स्वीकृत किये गए और उनमें से अधिकांश पूरे हो चुके हैं।

PMAY-G

  • लॉन्च: 1 अप्रैल, 2016 ग्रामीण परिवारों को बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्के आवास उपलब्ध कराने के लिये इंदिरा आवास योजना से पुनर्गठित।
  • लाभार्थियों का चयन: सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना 2011, ग्राम सभा और जियो-टैगिंग के आधार पर।

PMAY-U

  • लॉन्च: 25 जून, 2015 वर्ष 2022 तक सभी शहरी गरीबों को आवास उपलब्ध कराने के लिये।
  • विशेषताएँ: इसमें शौचालय, जलापूर्ति, विद्युत जैसी बुनियादी सुविधाएँ शामिल हैं तथा महिला सदस्यों या संयुक्त नामों के नाम पर घर का स्वामित्व प्रदान करके महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा दिया गया है।

PM जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (PM JANMAN)

  • उद्देश्य: जनजातीय समूहों, विशेष रूप से विलुप्त होने के कगार पर पहुँच चुके जनजातीय समूहों को आवश्यक सहायता, विकास और मुख्यधारा की सेवाओं एवं अवसरों से जोड़ना तथा उनकी रक्षा करना।
  • कवरेज: 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 22,544 गाँवों तथा 220 ज़िलों में 75 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) को शामिल किया गया है।
  • जनसंख्या: लगभग 28 लाख लोग इन पहचाने गए जनजातीय समूहों से संबंधित हैं।
  • महत्त्व: जनजातीय समुदायों के उत्थान और सुरक्षा, सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने तथा आवश्यक सेवाओं एवं सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण में अंतर को पाटते हुए उन्हें मुख्यधारा के विकास में एकीकृत करने के लिये सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालता है।

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG)

  • जनजातीय जनसंख्या: भारत की कुल जनसंख्या का 8.6% हिस्सा है।
  • भेद्यता: अन्य जनजातीय समूहों की तुलना में PVTG अधिक असुरक्षित हैं और उनके विकास के लिये अधिक निर्देशित निधियों की आवश्यकता होती है।
  • ऐतिहासिक संदर्भ:
    • वर्ष 1973: ढेबर आयोग ने आदिम जनजातीय समूहों (PTG) को कम विकसित के रूप में वर्गीकृत किया।
    • वर्ष 2006: भारत सरकार द्वारा PTG का नाम बदलकर PVTG कर दिया गया।
    • वर्ष 1975: सरकार ने 52 PVTG की पहचान की और उन्हें अनुसूचित जनजाति घोषित किया।
    • वर्ष 1993: अतिरिक्त 23 PVTG जोड़े गए, कुल मिलाकर 705 अनुसूचित जनजातियों में से 75 हो गए।
  • PVTG की विशेषताएँ:
    • अधिकतर समरूप तथा कम जनसंख्या।
    • भौगोलिक दृष्टि से अपेक्षाकृत पृथक।
    • लिखित भाषा का अभाव।
    • सरल प्रौद्योगिकी का उपयोग तथा परिवर्तन की धीमी दर।
  • भौगोलिक वितरण: PVTG की सबसे अधिक संख्या ओडिशा में पाई जाती है।
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